सरकार का रवैया पूर्णतया मजदूरों के प्रति असंवेदनशील और अमानवीय : अखिलेश यादव

सरकार का रवैया पूर्णतया मजदूरों के प्रति असंवेदनशील और अमानवीय : अखिलेश यादव

लखनऊ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि Covid-19 संकट काल में भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली की कीमत लोगों को अपने जान-माल के नुकसान से चुकानी पड़ रही है। सत्ता में बैठे भाजपाई अपनी संकीर्ण सोच के साथ बेबस मजदूरों के मामले में भी चुनावी स्वार्थ साधने में लगे है। जनता की निगाहों में भाजपाई राहत और सेवा का सच सामने आने से बौखलाए मुख्यमंत्री विपक्ष की आलोचना का झूठा सहारा ले रहे हैं। लेकिन प्रदेश के नागरिक देख रहे है कि समाजवादी पार्टी ही निरन्तर, बिना किसी भेदभाव के राहत कार्यों में लगी है। वह पीड़ितों की आर्थिक मदद भी कर रही है जबकि भाजपा सरकार का रवैया पूर्णतया श्रमिकों के प्रति असंवेदनशील और अमानवीय है।

अखिलेश यादव ने कहा प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र जनपद वाराणसी में मजदूर मजबूरी में भटक रहे हैं। उनकी दयनीय हालत पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। स्टेशन तय न होने से ट्रेने अटक रही हैं, बसों की भारी कमी है। प्रशासनिक अधिकारी अब भोजन पानी की व्यवस्था में भी उदासीनता बरत रहे हैं। मथुरा में एनएच-2 रायपुरा जाट गांव में मजदूरों ने जाम लगा दिया। कानपुर देहात में बारा टोल प्लाजा पर वाहन रोके जाने से श्रमिक नाराज थे। सरकारी दावों के बाद भी हकीकत यह है कि गुजरात-महाराष्ट्र से ट्रकों, बाइक, साइकिल और दूसरे साधनों से रोज हजारों श्रमिक उत्तर प्रदेश में आ रहे हैं।

जो श्रमिक आ रहे हैं उनकी जिन्दगी भी हर क्षण खतरे में रहती है। अब तक सड़क हादसों में या परेशानी में फांसी लगाकर मरने वालों की तादाद सैकड़ा तक पहुंच चुकी है। मिर्जापुर में सड़क किनारे बिहार के तीन प्रवासियों को डम्फर ने कुचल दिया। अयोध्या और बुलंदशहर में हुए हादसों को मिलाकर 9 लोग अपनी जिन्दगी खो चुके है। हिमांचल प्रदेश से बिहार जा रहे श्रमिकों की बस को कुशीनगर जनपद के पथेरवा थाना क्षेत्र में एक बेकाबू ट्रक ने टक्क्र मार दी जिससे 25 श्रमिक घायल हुए इनमें 14 की हालत गम्भीर है। प्रयागराज में मेजा सर्किल में 18 दिनों में 12 हत्याएं हो चुकी है।

भाजपा और संघी संगठन प्रारम्भिक बड़े-बड़े दावों और प्रचार के बाद अब गरीबों की भूख प्यास भूलने लगे हैं। बाहर से आए हजारों श्रमिकों की रोजी-रोटी की कोई व्यवस्था नहीं है। महाराष्ट्र से बांदा आए सुनील उर्फ संजय ने आर्थिक तंगी के चलते जान गंवा दी। पैदल लौटने पर मजबूर उत्तर प्रदेश की एक गरीब गर्भवती का सड़क पर प्रसव हो गया। सरकार से हारकर एक 15 वर्षीय लड़की ने अपने घायल पिता को लम्बी यात्रा कर दरभंगा पहुंचाया। इन सभी मामलों में सरकार ने उपेक्षा व हृदयहीनता का शर्मनाक परिचय दिया। समाजवादी पार्टी ने इनमें से प्रत्येक पीड़ित परिवार को एक-एक लाख रूपए की मदद दी।

प्रदेश में कोरोना संकट से निबटने में भाजपा सरकार की असफलता इसी से जाहिर है कि संक्रमण के मामलें थम नहीं रहे है। सरकार के अव्यवहारिक निर्णयों से इसमें और वृद्धि की आशंका है।

मुख्यमंत्री जब न कानून व्यवस्था सम्हाल पा रहे है, न अपने अधिकारियों पर अंकुश लगा पा रहे है और नहीं जनता से किए गए वादे निभा पा रहे हैं तो अपनी नाकामियों को स्वीकार करते हुए इस्तीफा क्यों नहीं दे देतेे हैं ?


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