अखिलेश यादव ने ज़िला वाराणसी के कार्यकर्ताओं-नेताओं से किया सम्पर्क

अखिलेश यादव ने ज़िला वाराणसी के कार्यकर्ताओं-नेताओं से किया सम्पर्क
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लखनऊ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वाराणसी ज़िले कार्यकर्ताओं-नेताओं से वार्ताक्रम में वीडियोकाॅलिंग के माध्यम से सम्पर्क किया।

प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में जनता परेशान है, शहर की सांस्कृतिक गरिमा नष्ट की जा रही है। आज उनसे मछुआरा समाज और बुनकरों के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएं बताईं। उन्होंने यह भी बताया कि समाजवादी सरकार में उन्हें जो सुविधाएं मिली थीं, भाजपा सरकार ने उन्हें बंद कर दिया है। अब वे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। लोकतंत्र में जनता का इतना उत्पीड़न कभी नहीं हुआ। भाजपा तानशाही चला रही है। अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे 2022 की तैयारी में जुट जाए। रूके हुए विकास को आगे बढ़ाने के लिए समाजवादी सरकार का बनना राज्य के हित में है।

वाराणसी के किशन दीक्षित के साथ नाविक संघ के अध्यक्ष प्रदीप साहनी 'सोनू' पार्षद मिथलेश साहनी 'बच्चा' ने भी अपनी परेशानियां बताई। श्री प्रदीप साहनी 'सोनू' ने बताया कि भाजपा राज में विकास के नाम पर कमजोर वर्ग के लोगों को परेशान किया जा रहा है। यहां विकास की जगह विनाश को बढ़ावा मिल रहा है। गरीब आदमी रोजी-रोटी को लेकर तो परेशान है ही अब उसके सिर की छत भी छीनी जा रही है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को बताया गया कि वाराणसी के राजघाट के किनारे मछुआरा समाज के लोग रहते हैं। यहां 50 परिवारों को उजाड़ दिया गया। पार्षद मिथलेश साहनी 'बच्चा' ने बताया कि मधु साहनी की झोपड़ी पर कोर्ट का स्टे था तब भी उसे तोड़ दिया गया। उनको कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया। अब रोजी-रोटी का संकट है। चार माह से नाव चलना बंद है।

प्रदीप साहनी 'सोनू' ने कहा कि भाजपा हम लोगों की तकलीफों पर ध्यान नहीं देती है। समाजवादी पार्टी से ही आशा है। भाजपा तो मदद करने से रही। भाजपा राज में संकट हैं, जीना मुश्किल है। नाविको के सामने भरण पोषण की समस्या है।

वाराणसी सेे मनोज राय धूपचंड़ी ने आज पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बुनकरों के दिन प्रतिदिन बिगड़ते हालात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भाजपा राज में बुनकर समाज के सामने घोर आर्थिक संकट है। उनका कामकाज बंद है। कारोबार का बुरा हाल है। माल बिक नहीं रहा है। बुनाई बंद है। कर्ज या उधार से लोग जीवनयापन कर रहे हैं। बुनकरों को कोई मदद नहीं मिली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहुचर्चित पैकेज का भी कोई फायदा नहीं मिला है ?

अखिलेश यादव ने बताया कि साड़ी खिलौने ढोलक, कैंची एवं अन्य उत्पाद बनाने का व्यवसाय आजमगढ़, मुबारकपुर, अकबरपुर, टाण्डा, बाराबंकी, मऊ, भदोही, अमरोहा तथा मेरठ में होता है। लेकिन लाॅकडाउन में पूरी व्यवस्था बिगड़ जाने से साड़ियां बिक नही रही है। भाजपा राज में बिजली का बिल बढ़कर आ रहा है जबकि समाजवादी सरकार में न्यूनतम निर्धारित रेट लिया जा रहा था। पुराना पेमेन्ट भी नहीं हो रहा है। पीतल नगरी मुरादाबाद का व्यवसाय भी ठप्प है।

बुनकर प्रतिनिधियों ने बताया कि परेशान हाल कारीगर अब सब्जी बेचने लगे है। सरकार बुनकरों की परेशानी सुनना नहीं चाहती है। समाजवादी सरकार आएगी तभी उन सबको विश्वास है कि उन्हें राहत मिल पाएगी। आप पर ही भरोसा है। हमारा भला समाजवादी सरकार में ही होता है।

वाराणसी के लूम संचालक इसरार अहमद 'गुल्लू' धागा मशीन चलाने वाले मोइनुद्दीन अंसारी, लूम कारीगर अजीमुद्दीन अंसारी तथा सऊद अहमद के अलावा लूम चलाने वाले हाजी जुबैर एवं परवेज आलम, हाफिज अनवार अहमद साड़ी में लगने वाले धागा के विक्रेता भी अखिलेश यादव की वार्ता के दौरान मौजूद थे। उन्होंने कुछ सब्जी बेचने वालों से भी बात की और उनका हाल जाना। ये वही सब्जी, बेचने को मजबूर हैं जो लूम कारीगर रहे है।

भाजपा राज में जिस तरह नाविक, बुनकर तथा दूसरे छोटे-मोटे काम करके जीविका कमाने वालों को दिक्कतें आ रही हैं, उससे उनमें गहरा आक्रोश है। इन गरीबों के लिए समाजवादी सरकार में कई कदम उठाए गए थे। जिनके अच्छे परिणाम निकले थे। कारीगरों की जिंदगी में बदलाव आया था। भाजपा ने उनके काम धंधे में ही रूकावट पैदा कर दी।

समाजवादी सरकार के समय मुबारकपुर में साड़ी केन्द्र और नोएडा में कारपेट बाजार बनाया गया था। लखनऊ में अवध शिल्प ग्राम की स्थापना बुनकरों और दूसरे कारीगरों के लिए की गई थी। भाजपा सरकार ने द्वेषवश ये सभी केन्द्र बंद कर दिए।

अखिलेश यादव से वाराणसी के अजय फौजी से भी बात हुई। फौजी द्वारा प्रधानमंत्री 16 फरवरी 2020 को बीएचयू के रविदास गेट पर को काला झण्डा दिखाने पर पुलिस ने बर्बरता से पिटाई की। उनको कई गम्भीर चोटें आई है। अभी उनका एमआरआई और सीटी स्कैन कराया गया है। फौजी सुरक्षा गार्डो के हमले से कोमा तक में चले गए थे। उन्हें जेल यातना भी सहनी पड़ी। उन पर कई मुकदमें लगा दिए गए। उनके सिर और कमर में काफी चोट आई है। अखिलेश यादव ने उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की और कहा कि विरोध प्रदर्शन कोई असंवैधानिक काम नहीं है। भाजपा लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों को कुचलने पर उतारू है।


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