सिद्धार्थनाथ ने साधा निशाना- अखिलेश को नहीं पता रामनवमी और महानवमी का अंतर

सिद्धार्थनाथ ने साधा निशाना- अखिलेश को नहीं पता रामनवमी और महानवमी का अंतर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुये कहा कि जिसे रामनवमी और महानवमी का अंतर नहीं पता, वह अब जनता को अपने झूठे बयानों से बरगला रहे हैं।

कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने गुरूवार को कहा कि कोरोना के दौरान घर में दुबके रहने वाले अखिलेश यादव अब जनता को ठगने के लिए यात्रा निकाल रहे हैं जबकि सीएम योगी कोरोना काल में पॉजिटिव होने के बाद भी लगातार बैठकें और दौरे करते रहे। यह अंतर दर्शाता है कि जनता की सेवा के लिए कौन तत्पर है और कौन सत्ता में आकर लूटने के लिए लालायित है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को जनता ने कई बार नकार दिया है, इनकी सरकारों में सिर्फ गुंडागर्दी, जंगलराज, अराजकता, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण का बोल बाला रहा है। योगी सरकार में बुंदेलखंड में पहली बार किसी सरकार ने तरक्की के दरवाजे खोले हैं, जो दशकों से पिछड़े बुंदेलखंड को नई पहचान देगा।

दरअसल, आज सुबह अखिलेश यादव ने अपने निजी ट्विटर हैंडल से ट्विट किया था कि 'आपको और आपके परिवार को रामनवमी की अनंत मंगलकामनाएं'। जबकि शारदीय नवरात्र में महानवमी होती है। लोगों के विरोध के कारण उन्हें ट्विट डीलीट करना पड़ा, लेकिन तब तक सोशल मीडिया पर स्क्रीन शॉट वायरल हो गया। इसे लेकर ही कैबिनेट मंत्री ने अखिलेश यादव पर शब्दों के बाण चलाए। उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी में सभी वरिष्ठों को किनारे कर अखिलेश यादव खुद तानाशाह के रूप में अध्यक्ष बन गए हैं, उनसे बड़ा झूठा खोजने पर भी नहीं मिलेगा। योगी सरकार के हर कार्य को अपना बताने लगते हैं, ऐसा लगता है कि योगी सरकार के कार्यकाल में कराए गए कार्य उन्हें रात में सपने में भी आते हैं। जिस कारण दिन में वह उन्हें अपना बताने लगते हैं।

कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि भाजपा के लिए सत्ता सेवा का माध्यम है, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस, सपा और बसपा की सरकारों में अधिक से अधिक भ्रष्टाचार करने की प्रतिस्पद्र्धा थी। यह दल सिर्फ अपना पेट भरने के लिए सत्ता में आना चाहते हैं। यूपी कांग्रेस के संगठन में भी घोटाले की बातें सामने आ रही हैं। इस बारे में सच कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ही बता सकती हैं, लेकिन सवाल यह है कि जो पार्टी अपने संगठन में घोटाला नहीं रोक पा रही है, उसे नैतिकता के आधार पर जनता के बीच जाने भी नहीं जाना चाहिए।





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