निषाद पार्टी के पिता पुत्र को झटका - मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह

निषाद पार्टी के पिता पुत्र को झटका - मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह

लखनऊ। जैसे ही मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की खबरे आयी वैसे ही निषाद पार्टी के संजय निषाद और उनके सांसद बेटे प्रवीण एक्टिव हो गए । संजय निषाद ने तो दिल्ली जाकर अमित शाह से मुलाकात कर यूपी में उप मुख्यमंत्री तो केंद्र सरकार में अपने बेटे सांसद प्रवीण निषाद के लिए मंत्री पद की मांग कर डाली मगर आज जब मंत्रीमण्डल विस्तार हुआ तो प्रवीण निषाद का नाम गायब रहा जिसके बाद संजय निषाद आग बबूला हो रहे है।

यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज है । कई राज्यों में 2022 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार अपने सहयोगी संगठनों को साधने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद एवं उनके पुत्र संत कबीर नगर से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते प्रवीण निषाद ने पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर यूपी में निषाद समुदाय की संख्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम एवं केंद्र में मंत्री पद के मांग की थी।

तब से कयास लगाए जा रहे थे की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में प्रवीण निषाद को जगह मिल सकती है । इसके साथ ही उत्तर प्रदेश से भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने भी अमित शाह से मुलाकात की थी। जैसे ही मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की खबरें सामने आई तो लग रहा था कि 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी शायद अनुप्रिया पटेल और प्रवीण निषाद को मंत्रिमंडल में शामिल कर लेगी लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी से 7 लोगों को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया तो उसमें से अपना दल की अनुप्रिया पटेल तो शामिल है जबकि प्रवीण निषाद को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई।

मंत्रिमंडल विस्तार से पहले संजय निषाद ने कहा था कि 2018 में गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में प्रवीण निषाद ने बीजेपी के उम्मीदवार को हराया था। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हमने बीजेपी के साथ मिलकर 40 सीटें जीती थी। अगर अनु्प्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाया जा सकता है तो निषाद पार्टी से भी मंत्री बनाया जा सकता है।

गौरतलब है 2017 में गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा से इस्तीफ़ा दे दिया था। जिस कारण गोरखपुर सीट पर लोकसभा का उपचुनाव आया तो संजय निषाद ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ मिलकर अपने बेटे प्रवीण निषाद को गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव लड़ाने की मनुहार की। अखिलेश यादव भाजपा को उप चुनाव में हराना चाहते थे इसीलिए वो तैयार हो गए। जब चुनावी नतीजे तो समाजवादी पार्टी के बलबूते प्रवीण निषाद लोकसभा का चुनाव जीत चुके थे। बाद में संजय और प्रवीण निषाद ने अखिलेश को धोखा देकर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा से दोस्ती कर ली और प्रवीण निषाद को भाजपा के टिकट पर संतकबीर नगर से लोकसभा का टिकट लेकर जीत हासिल कर ली थी ।

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