संघ ने देखा था वैभवशाली भारत का सपना

संघ ने देखा था वैभवशाली भारत का सपना

नई दिल्ली। संघ का मानना है कि जब तक समाज में ऊंच-नीच व छुआछूत का भाव रहेगा, तब तक संपूर्ण समाज का संगठन करना संभव नहीं है। समता के आधार और समरसता के व्यवहार से ही समाज में एकता स्थापित हो सकती है। इसलिए संघ ने अपने स्वयंसवकों से आह्वान किया है कि वह सामाजिक समरसता का संदेश घर-घर पहुंचाएं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना समाज को संगठित करने के उद्देश्य से हुई थी। संघ संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने भारत की परतंत्रता पर गहन शोध किया था। डॉ. हेडगेवार शक्तिशाली समाज और राष्ट्र का निर्माण चाहते थे। उनका मानना था कि सामाजिक एकता और राष्ट्रीय स्वाभिमान का भाव कमजोर होने से देश को परतंत्रता झेलनी पड़ी। विदेशी आक्रांता इसी कमजोरी के कारणांे से सफल हुए थे। अन्यथा भारत की तरफ देखने का इनमें साहस नहीं होता। डॉ हेडगेवार भारत को एक बार फिर विश्व गुरु के पद पर आसीन देखना चाहते थे। उन्होने परम वैभवशाली भारत का सपना देखा था। इसको साकार करने के लिए ही उन्होंने संघ की स्थापना की थी। संघ की शाखा में संगठन और संस्कार का भाव जागृत होता है। यहां से निकल कर स्वंय सेवक समाज जीवन के अनेक क्षेत्रों में विलक्षण कार्य कर रहे हैं। इसके माध्यम से समरसता स्थापित हो रही है। सेवा, आरोग्य प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण प्राकृतिक कृषि, किसान मजदूर युवा, महिला सशक्तीकरण, शिक्षा, वनवासी आदि अनेक क्षेत्रों में संघ की प्रेरणा से निस्वार्थ भाव से कार्य चल रहा है।

प्रयागराज में संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक हुई। इसमें ऐसे अनेक विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। विशेष कार्यक्रमों के वृत्त रखे गये। इनमें सरसंघचालक की पिछले सितंबर में हुई मेघालय यात्रा का विषय भी शामिल था। इस यात्रा में मेघालय के खासी,जयंतिया व गारो लोगों द्वारा सरसंघचालक का भव्य स्वागत किया गया था। डॉ मोहन भागवत ने खासी समुदाय के पारंपरिक धार्मिक पूजा स्थल में दर्शन पूजन किया था। इसके पहले डॉ भागवत ने दिल्ली में सुयश कार्यक्रम के तहत विभिन्न सामाजिक कार्य में जुड़े संस्थाओं के कार्यक्रम में भाग लिया था। बैठक में मेघालय यात्रा और सुयश कार्यक्रम को लेकर कार्यकारी मंडल ने विस्तार से चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त संघ से ऑनलाइन माध्यम से जुड़ने के लिए बड़ी संख्या में आ रहे लोगों को संघ कार्य से जोड़ने पर भी विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में संघ कार्यविस्तार पर भी चर्चा हुई। अगले दो वर्ष में सभी मंडलों और एक लाख स्थानों तक कार्य पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। युवाओं को संघ के प्रत्यक्ष कार्य से जोड़ा जाएगा।परिवार प्रबोधन एवं पर्यावरण संबंधी कार्यों पर भी विचार-विमर्श हुआ।इस वर्ष देशभर में लगे संघ शिक्षा वर्ग की भी समीक्षा की गई। संघ का मानना है कि जब तक समाज में ऊंच-नीच व छुआछूत का भाव रहेगा, तब तक संपूर्ण समाज का संगठन करना संभव नहीं है। समता के आधार और समरसता के व्यवहार से ही समाज में एकता स्थापित हो सकती है। इसलिए संघ ने अपने स्वयंसवकों से आह्वान किया है कि वह सामाजिक समरसता का संदेश घर-घर पहुंचाएं।

संघ का मानना है कि इसके अलावा वंचित समाज के शैक्षणिक, सांस्कृतिक व आर्थिक विकास के लिए प्रयास करना होगा। अनुसूचित समाज के बंधुओं से संबंध, सम्मान व सहभाग के आधार पर देश विरोधी शक्तियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। भूमि सुपोषण सामाजिक समरसता पशुपालन कुटुम्ब प्रबोधन घरेलू चिकित्सा पर्यावरण धर्मजागरण के क्षेत्र में भी संघ प्रबोधन का कार्य करेगा।

पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाओ,पानी बचाओ और प्लास्टिक हटाओ के अभियान संचालित किए जाएंगे। इस अभियान में अन्य सामाजिक संगठनों का सहयोग लेने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के कार्य को तेज गति से बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि पेड़ों के संरक्षण के लिए पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए और प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का कम से कम उपयोग करने के लिए समाज जागरण की आवश्यकता है। समय रहते अगर पर्यावरण संरक्षण के प्रति हम सचेत नहीं हुए तो समाज को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छह गतिविधियां हैं, उनमें एक पर्यावरण संरक्षण गतिविधि भी है। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के माध्यम से संघ पर्यावरण मे सुधार के लिए काम करता है। इस गतिविधि का उद्देश्य समाज में जागरुकता निर्माण के माध्यम से पर्यावरण का संरक्षण करना है।

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि वर्ष 2024 के अंत तक देश के सभी मंडलों में शाखा पहुंचाने की योजना बनाई गई है। कई प्रांतों ने 99 फीसद तक काम पूरा कर लिया है। चित्तौड़, ब्रज एवं केरल प्रांत में मंडल स्तर तक शाखाएं शुरू हो गई हैं। पहले देश में 58 हजार स्थानों पर संघ की शाखाएं थीं। अब वर्तमान में 61,100 से अधिक स्थानों पर शाखाएं लग रही हैं। साप्ताहिक मिलन मंडली में भी 4000 की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या विस्फोट चिंताजनक है। इसलिए इस विषय पर समग्रता से एवं एकात्मता से विचार करके सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के संसाधन सीमित हैं। इस पर देश में जन जागरण एवं प्रबंधन की आवश्यकता है। सरकार्यवाह होसबाले ने प्रयागराज के गौहनिया स्थित जयपुरिया स्कूल के वात्सल्य परिसर में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की चार दिवसीय बैठक के अंतिम दिन बुधवार को प्रेस वार्ता में कहा कि मतांतरण होने से हिंदुओं की संख्या कम हो रही है। देश के कई हिस्सों में मतांतरण की साजिश चल रही है। कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ भी हो रही है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों में विभाजन की नौबत आई है। भारत का विभाजन भी जनसंख्या असंतुलन के कारण हुआ।

सरकार्यवाह ने बताया कि वर्ष 2025 में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस निमित्त संघ कार्य को लेकर समय देने के लिए देशभर में तीन हजार युवक शताब्दी विस्तारक के नाते निकले हैं। अभी एक हजार शताब्दी विस्तारक और निकाले जाएंगे। उम्मीद है कि तब तक डा। हेडगेवार का लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा। (हिफी)

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