बोले राकेश-भाजपा के दिमाग से निकलने नहीं देंगे किसान व ट्रैक्टर

बोले राकेश-भाजपा के दिमाग से निकलने नहीं देंगे किसान व ट्रैक्टर

गाजियाबाद। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि नये कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को सरकार थकाकर आंदोलन से उठाना चाहती है। लेकिन उसे यह पता होना चाहिए कि किसान थकने वाले नहीं है। सरकार के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई अभी और लंबी चलेगी। नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान भाजपा के दिमाग के भीतर से ट्रैक्टर और किसान को कभी भी नहीं निकलने देंगे। सरकार को हमेशा ट्रैक्टर और किसान याद आते रहेंगे।

शनिवार को किसान आंदोलन के 1 साल पूरे होने के मौके पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आगामी 29 नवंबर को ट्रैक्टर से संसद भवन के लिए कूच करने का ऐलान किया है। उधर उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी भी राकेश टिकैत को घेरने की तैयारी कर रही है। जिसके चलते भाजपा किसान मोर्चा की ओर से पूरे उत्तर प्रदेश में ट्रैक्टर रैली के माध्यम से भाजपा के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने की रणनीति तैयार की गई है। ट्रैक्टर रैली की शुरुआत आगामी 16 नवंबर को पूर्वांचल के मऊ जनपद से की जाएगी। 16 से 30 नवंबर तक पूरे उत्तर प्रदेश में ट्रैक्टर रैलियों का आयोजन किया जाएगा। भाजपा की ओर से ट्रैक्टर रैली निकाले जाने की बात पर भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि ट्रैक्टर रैली तो निकालनी ही चाहिए, क्योंकि किसानों की अनदेखी कर रही भारतीय जनता पार्टी के दिमाग में किसान और ट्रैक्टर रहना जरूरी है। भाजपा जब ट्रैक्टर के ऊपर प्रचार करेगी तो ठीक रहेगा और किसान भी उसके दिमाग में रहेंगे। भाजपा को ट्रैक्टर से अपना प्रचार करना चाहिए। आखिर ट्रैक्टर तो किसान का ही खेती-बाड़ी का एक उपकरण है। उन्होंने कहा है कि हम भाजपा सरकार को ट्रैक्टर एवं किसान को कभी भी भूलने नहीं देंगे। सरकार को हमेशा ट्रैक्टर और किसान याद रहेगा। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में लड़ी जा रही लड़ाई अभी लंबी चलेगी। क्योंकि सरकार किसानों को थकाकर आंदोलन से हटाने के प्रयास में है। लेकिन उसे यह पता नहीं है कि किसान कभी भी थकने वाला नहीं है यदि उसे थकावट होती तो वह खेती-बाड़ी करने के धंधे में नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि कारपोरेट कंपनियों के हवाले यदि एक बार फसलों का कारोबार हो गया तो किसान बुरी तरह से तबाह हो जाएगा और उसे घाटे की वजह से अपने खेतों को भी इन कंपनियों के हाथों बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। किसान के सामने अब दो ही विकल्प हैं कि या तो वह खेती-बाड़ी को इन कंपनियों के हवाले कर दें और अपने खेत में ही मजदूर बन जाए या इनका विरोध कर आने वाली पीढ़ियों के लिए खेती-बाड़ी के धंधे को सुरक्षित करें।



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