कांग्रेस की बिरासत को समझें राहुल
नई दिल्ली। अब तो यह तय है कि कांग्रेस ने ठान लिया है कि 'बरउं संभु न त रहौं कुआरी' अर्थात कांग्रेस नेता बनाएगी तो राहुल गांधी को ही अन्यथा कार्यकारी अध्यक्ष से ही काम चलता रहेगा। कांग्रेस जैसी गरिमामयी राजनीतिक पार्टी के 136 साल बीत चुके हैं और अभी 28 दिसम्बर को उसका स्थापना दिवस मनाया गया। युवराज राहुल गांधी को इस पार्टी की बिरासत में समझना चाहिए। राहुल अगर इसको महत्व देते तो स्थापना दिवस से पहले विदेश यात्रा पर नहीं जाते। स्थापना दिवस से एक दिन पहले ही राहुल गांधी का विदेश यात्रा पर जाना यही संकेत देता है कि राहुल पार्टी को अपने निजी स्वार्थ से ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। इसके बावजूद वे उन नरेन्द्र मोदी से मुकाबला कर रहे हैं जो अपनी पार्टी भाजपा को मां की तरह सम्मान देते हैं। इसलिए राहुल गांधी की स्थापना दिवस से पहले विदेश यात्रा का विपक्षी दल उपहास उड़ा रहे हैं तो उसे अनुचित नहीं कहा जा सकता।
देश में कृषि कानून के मसले पर चल रहे आंदोलन और कांग्रेस के स्थापना दिवस (28 दिसम्बर) के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विदेश दौरे पर गए हैं. विवाद होने के बाद कांग्रेस की ओर से इस यात्रा की पुष्टि भी कर दी गई, लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी को फिर एक बार कांग्रेस को आड़े हाथों लेने का मौका मिल गया है। बीजेपी के हमलों के बीच कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं, बल्कि सोनिया गांधी हैं।
भाजपा सांसद जनरल वीके सिंह ने राहुल की यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल को बधाई, यहां कांग्रेस स्थापना दिवस मना रही है और राहुल विदेश में आराम कर रहे है...शायद बहुत थक गए हैं। कांग्रेस का हाल ये है कि जो समझदार है उसे बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। जनरल वीके सिंह ने कहा कि यूपीए का नेतृत्व कोई भी करे चाहे शरद पवार करें, कपिल सिब्बल करें आज कांग्रेस का क्या हाल है सब जानते हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की हालत उस बच्चे की तरह है, जो पहले एक खिलौना मांगता है और जब वो मिल जाता है तो कहता है ये नहीं दूसरा चाहिए। वीके सिंह से पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने भी तंज कसा था। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस इधर अपना 136वां स्थापना दिवस मना रही है और राहुल जी '9 2 11' हो गये!
बीजेपी की ओर से लगातार किए जा रहे हमले के बीच कांग्रेस अब सफाई देने में जुट गई है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी एक निजी यात्रा पर गए हैं। उनकी नानी की तबीयत ठीक नहीं है। ऐसे में बीजेपी को इस पर सवाल नहीं खड़े करने चाहिए। सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी अभी पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं, सोनिया गांधी हैं। पार्टी राहुल को जो भी जिम्मेदारी देती है, वो उसका वहन करते हैं। रणदीप सुरजेवाला के अलावा केसी वेणुगोपाल ने भी बीजेपी द्वारा उठाए गए सवालों पर निशाना साधा. जबकि पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर जब महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मुख्यालय पहुंचीं, तो उनसे भी राहुल गांधी को लेकर सवाल हुआ। हालांकि, प्रियंका ने कोई जवाब नहीं दिया।
कुछ दिनों पूर्व ही राहुल गांधी के इटली जाने की खबर सामने आई थी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर काफी विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद ही कांग्रेस पार्टी की ओर से राहुल की विदेश यात्रा की खबर की पुष्टि की गई थी. विदेश दौरे पर रहते हुए भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी के स्थापना दिवस पर बधाई दी। राहुल गांधी संक्षिप्त निजी यात्रा पर विदेश रवाना हुए। हालांकि, कांग्रेस ने यह नहीं बताया कि राहुल गांधी कहां गए हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पुष्टि की है कि राहुल कुछ दिनों तक बाहर रहेंगे। उन्होंने कहा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी संक्षिप्त व्यक्तिगत यात्रा के लिए विदेश रवाना हुए हैं और वह कुछ दिनों तक बाहर रहेंगे। यह पूछे जाने पर कि पूर्व कांग्रेस प्रमुख कहां गए हैं, सुरजेवाला ने कोई खुलासा नहीं किया। इस बीच सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी सुबह कतर एयरवेज की उड़ान से इटली के मिलान रवाना हुए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस, जो काँग्रेस के नाम से प्रख्यात है, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं, जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। काँग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में 28 दिसंबर 1885 में हुई थी। इसके संस्थापकों में ए0 ओ0 ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। 19वीं सदी के आखिर में और शुरूआत से लेकर मध्य 20वीं सदी में, काँग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने 1.5 करोड़ से अधिक सदस्यों और 7 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी। सन् 1947 में आजादी के बाद, काँग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आजादी से लेकर 2014 तक, 16 आम चुनावों में से, काँग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत जीता है और 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया। अतः, कुल 49 वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही।
भारत में, काँग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैंय पहले जवाहरलाल नेहरू (1947-1965) थे और हाल ही में मनमोहन सिंह (2004-2014) थे। 2014 के आम चुनाव में, काँग्रेस ने आजादी से अब तक का सबसे खराब आम चुनावी प्रदर्शन किया और 543 सदस्यीय लोक सभा में केवल 44 सीट जीती। तब से लेकर अब तक कोंग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है, भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने कलकत्ते के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था। अपने शुरुआती दिनों में काँग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्ग की संस्था का था। इसके शुरुआती सदस्य मुख्य रूप से बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी से लिये गये थे। काँग्रेस में स्वराज का लक्ष्य सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया था। 1907 में काँग्रेस में दो दल बन चुके थे- गरम दल एवं नरम दल। गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल (जिन्हें लाल-बाल-पाल भी कहा जाता है) कर रहे थे। नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एवं दादा भाई नौरोजी कर रहे थे। गरम दल पूर्ण स्वराज की माँग कर रहा था परन्तु नरम दल ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था।
प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनों दल फिर एक हो गये और होम रूल आंदोलन की शुरुआत हुई जिसके तहत ब्रिटिश राज में भारत के लिये अधिराजकीय पद (अर्थात डोमिनियन स्टेट्स) की माँग की गयी।परन्तु 1915 में गाँधी जी के भारत आगमन के साथ काँग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया। चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली सफलता मिली। 1919 में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गान्धी काँग्रेस के महासचिव बने। उनके मार्गदर्शन में काँग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय संस्था बन गयी। तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेताओं की एक नयी पीढ़ी आयी जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई एवं सुभाष चंद्र बोस आदि शामिल थे। गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई एवं कार्यवाहियों के लिये भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ। काँग्रेस ने कई प्रान्तों में सामाजिक समस्याओं को हटाने के प्रयत्न किये जिनमें छुआछूत,पर्दा प्रथा एवं मद्यपान आदि शामिल थे।
1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद से भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस भारत के मुख्य राजनैतिक दलों में से एक रही है । इस दल के कई प्रमुख नेता भारत के प्रधानमन्त्री रह चुके हैं। जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, नेहरू की पुत्री इन्दिरा गांधी एवं उनके नाती राजीव गांधी इसी दल से थे। राजीव गांधी के बाद सीताराम केसरी काँग्रेस के अध्यक्ष बने जिन्हे सोनिया गांधी के समर्थकों ने निकाला तथा सोनिया को हाईकमान बनाया, राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी काँग्रेस की अध्यक्ष तथा यूपीए की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं। (हिफी)