वारिस को टिकट नहीं मिलने की सुगबुहाट के बीच थानाभवन में विरोध शुरू
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो चुकी है ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने अपने अपने उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में शामली जनपद की थानाभवन विधानसभा सीट पर उम्मीद जताई जा रही थी कि यहां पूर्व विधायक राव अब्दुल वारिस ही राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन राजनीतिक हलकों में सुगबुगाहट फैल रही है कि राव अब्दुल वारिश को इस सीट पर टिकट मिलना आसान नहीं है। तब से शामली जनपद खासकर थानाभवन इलाके की पब्लिक में इसको लेकर रोष फैलने लगा है।
दरअसल थानाभवन इलाके में राव फैमली की राजनैतिक एंव सामाजिक रूप से मजबूत पकड़ है और रालोद से यह परिवार चौधरी चरण सिंह के जमाने से जुड़ा हुआ है। राव वारिस के पिता राव अब्दुल राफे खां पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ जुड़े रहे हैं और उनकी पार्टी से विधायक भी चुने गए थे। बाद में इनकी माता राव मसर्रत बेगम भी चौधरी अजीत सिंह से जुड़ी रही और उन्होंने भी रालोद से पहले बनी पार्टी भारतीय किसान कामगार पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ चुकी है। राव अब्दुल वारिस ने भी अपनी राजनीति की शुरुआत राष्ट्रीय लोकदल से की थी। तब 2007 में उन्होंने पहली बार राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल पर थानाभवन विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा था। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की थी। बाद में राव अब्दुल वारिस बसपा में शामिल हो गए थे लेकिन जून 2021 में उन्होंने फिर से घर वापसी करते हुए राष्ट्रीय लोकदल का दामन थाम लिया था।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते गए ऐसे ऐसे रालोद के सिंबल पर राव अब्दुल वारिस के चुनाव लड़ने की चर्चाएं इलाके में चलती रही। राव अब्दुल वारिस पिछले 1 साल से थानाभवन क्षेत्र में अपने चुनाव की जोर शोर से तैयारी कर रहे हैं। थानाभवन विधानसभा के लगभग सभी गांव में जनसंपर्क कर राव वारिस राष्ट्रीय लोकदल के लिए वोट मांग रहे है। अब जब चुनाव सिर पर है ऐसे में राव वारिस को टिकट नही मिलने की चर्चा से थानाभवन इलाके की जनता में नाराजगी देखी जा रही है। उनके समर्थकों का कहना है कि भाजपा को थानाभवन सीट राव वारिस ही हरा सकते है, इसीलिये भाजपा की शह पर कुछ लोग राव वारिस को रालोद के सिंबल पर चुनाव नही लड़ने देना चाहते है।