प्रियंका ने शुरू किया जिम्मेदार कौन? अभियान-PM से पूछे तीन सवाल
नई दिल्ली। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी फेसबुक पर जिम्मेदार कौन अभियान शुरू करते हुए कोरोना से बचाव के लिए आरंभ किए गए वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि कोरोना संक्रमण कि वैश्विक महामारी की शुरुआत से ही भारत में वैक्सीन आम लोगों की जिंदगी बचाने के औजार के बजाय प्रधानमंत्री के निजी प्रचार का साधन बन गई है।
बुधवार को कौन जिम्मेदार अभियान शुरू करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट डालते हुए कहा है कि पिछले साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में कहा था कि उनकी सरकार ने कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन का पूरा प्लान तैयार कर लिया है। भारत के वैक्सीन उत्पादन और वैक्सीन कार्यक्रमों की विशालता के इतिहास को देखते हुए प्रधानमंत्री की बात पर विश्वास करना आसान था कि मोदी सरकार वैक्सीनेशन के काम को तो कम से कम बेहतर ढंग से करेगी।
उन्होंने पीएम की घोषणा को पुख्ता मानते हुए कहा है कि आखिर पंडित जवाहरलाल नेहरु ने वर्ष 1948 में वैक्सीन यूनिट व 1952 में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे को स्थापित कर भारत के वैक्सीन कार्यक्रम को एक उड़ान दी थी। हमने सफलतापूर्वक चेचक, पोलियो आदि बीमारियों को शिकस्त दी है। आगे चलकर भारत दुनिया में वैक्सीन का निर्यात करने लगा और आज दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक है। इन उपलब्धियों को जानकर देश निश्चिंत था कि भारतवासियों को वैक्सीन की समस्या नहीं आएगी।
उन्होंने कहा है कि मगर कड़वी सच्चाई यह है कि महामारी की शुरूआत से ही, भारत में वैक्सीन आम लोगों की जिंदगी बचाने के औजार के बजाय प्रधानमंत्री के निजी प्रचार का साधन बन गई है।
इसके चलते आज दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक भारत अन्य देशों से वैक्सीन के दान पर निर्भर हो गया है और वैक्सिनेशन के मामले में दुनिया के कमजोर देशों की कतार में शामिल हो गया है। ऐसा क्यों हुआ?
उन्होंने कहा है कि भारत की 130 करोड़ की आबादी के मात्र 11 प्रतिशत हिस्से को वैक्सीन की पहली डोज और मात्र 3 प्रतिशत हिस्से को फुल वैक्सीनेशन नसीब हुआ है।
उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी के टीका उत्सव की घोषणा के बाद पिछले एक महीने में वैक्सीनेशन में 83 प्रतिशत की गिरावट आ गई है।
आज मोदी सरकार ने देश को वैक्सीन की कमी के दलदल में धकेल दिया है। वैक्सीन पर अब बस पीएम मोदी की फोटो ही है। बाकी सारी जिम्मेदारी राज्यों के ऊपर डाल दी गई है। आज राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को वैक्सीन की कमी होने की सूचना भेज रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि देश में वैक्सीन कमी के पीछे सरकार की फेल वैक्सीन पॉलिसी दिखाई पड़ती है। कई की कमी के तथ्यों को उजागर करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि विश्व के बड़े-बड़े देशों ने पिछले साल ही अपने देश की जनसँख्या से कई गुना वैक्सीन आर्डर कर लिए थे। मगर मोदी सरकार ने पहला आर्डर जनवरी 2021 में दिया, वह भी मात्र 1 करोड़ 60 लाख वैक्सीन का, जबकि हमारी आबादी 130 करोड़ है।
इस साल जनवरी-मार्च के बीच में मोदी सरकार ने 6.5 करोड़ वैक्सीन विदेश भेज दी। कई देशों को मुफ्त में भेंट भी की। जबकि इस दौरान भारत में मात्र 3.5 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन लगी।
सरकार ने 1 मई से 18-44 आयु वर्ग की लगभग 60 करोड़ जनसँख्या को वैक्सीन देने के दरवाजे खोले। लेकिन मात्र 28 करोड़ वैक्सीन के आर्डर दिए। जिससे केवल 14 करोड़ जनसँख्या को वैक्सीन लगाना संभव है।
अब, देश की जनता पीएम मोदी से प्रश्न पूछ रही है कि पीएम के बयान के अनुसार उनकी सरकार पिछले साल ही वैक्सीनेशन के पूरे प्लान के साथ तैयार थी, तब जनवरी 2021 में मात्र 1 करोड़ 60 लाख वैक्सीनों का आर्डर क्यों दिया गया?
मोदी की सरकार ने भारत के लोगों को कम वैक्सीन लगाकर, ज्यादा वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी?
दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक भारत, आज दूसरे देशों से वैक्सीन माँगने की स्थिति में क्यों आ गया और वहीं ये निर्लज्ज सरकर इसे भी उपलब्धि की तरह प्रस्तुत करने की कोशिश क्यों कर रही है?