राजनीतिक कार्रवाही और राजनीतिक एजेंटों के बारे में नैतिक निर्णय
लखनऊ। अभी विदेश की एक खबर पढ़ी। वहां की स्वास्थ्य मंत्री ने अपने पद से इसलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि एक विदेशी (भारतीय) महिला को समय से उचित चिकित्सा नहीं मिल सकी। यह प्रेरणा हमारे आज के कुछ नेताओं के लिए भी है जो बेशर्मी से अपने दायित्व की तरफ से आंखें फेर लेते हैं। हमारे देश में भी आदर्शवादी नेताओं की कमी नहीं है।
अभी विदेश की एक खबर पढ़ी। वहां की स्वास्थ्य मंत्री ने अपने पद से इसलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि एक विदेशी (भारतीय) महिला को समय से उचित चिकित्सा नहीं मिल सकी। यह प्रेरणा हमारे आज के कुछ नेताओं के लिए भी है जो बेशर्मी से अपने दायित्व की तरफ से आंखें फेर लेते हैं। हमारे देश में भी आदर्शवादी नेताओं की कमी नहीं है। अगस्त 2017 की बात है जब रेल हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सुरेश प्रभु ने रेल मंत्री से पद से इस्तीफा दे दिया था। देश में जब पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार थी, तब रेल मंत्रालय का दायित्व पंडित लाल बहादुर शास्त्री संभाला करते थे जो बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने। तमिलनाडु के अरियालुर में 27 नवम्बर 1956 को भीषण रेल हादसा हुआ था। हादसे में 142 लोगों की मौत हो गयी थी। लाल बहादुर शास्त्री ने हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री का पद छोड़ दिया था। शास्त्री जी के बाद नैतिक आधार पर लगभग 43 साल के बाद बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री और तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया था। आज भले ही उनकी नैतिकता पर सवाल उठाये जा रहे हैं लेकिन 1999 में गौसाल ट्रेन हादसा हुआ था। इस हादसे में 290 लोगों की जान चली गयी थी। नीतीश कुमार रेल मंत्री थे और नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सन् 2000 में रेल मंत्री रहते ममता बनर्जी ने भी दो रेल हादसों की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी बाजपेयी ने उनका त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया था। अब इस प्रकार की नैतिकता का राजनीति में अभाव हो गया।
इन दिनों विदेश की एक नेता की चर्चा हो रही है, होना भी चाहिए। अच्छे कार्य की सराहना अंततः राष्ट्र-राज्य के ही हित में होती है। पुर्तगाल की स्वास्थ्य मंत्री ने एक गर्भवती भारतीय पर्यटक की प्रसूति वार्ड से निकाले जाने के बाद मौत की रिपोर्ट आने के कुछ घंटे बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लिस्बन के अस्पतालों के बीच स्थानांतरित होने के दौरान 34 वर्षीय भारतीय महिला को कथित तौर पर हृदयाघात हुआ। वहीं, स्थानीय मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लिस्बन के सबसे बड़े सांता मारिया अस्पताल से ले जाने के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। अधिकारियों ने बताया कि एक आपातकालीन सीजेरियन सेक्शन के बाद उसके बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य में पहुंचाया गया। महिला की मौत की जांच शुरू कर दी गई है। वहीं, बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पुर्तगाल के अस्पतालों के प्रसव इकाइयों में कर्मचारियों की कमी के कारण यह त्रासदी हुई। उधर, पुर्तगाल की सरकार ने एक बयान में कहा कि मार्टा टेमिडो 2018 से स्वास्थ्य मंत्री थीं और उन्हें कोविड काल में पुर्तगाल की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने का श्रेय है। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पुर्तगाल की लूसा समाचार एजेंसी के अनुसार पुर्तगाल के प्रधान मंत्री एंटोनियो कोस्टा ने कहा कि महिला की मौत की वजह से टेमिडो ने इस्तीफा दिया है। हाल के महीनों में पुर्तगाल में इसी तरह की घटनाएं हुई हैं, जिसमें दो शिशुओं की मौतें शामिल हैं, जिनकी माताओं को स्पष्ट रूप से अस्पतालों के बीच स्थानांतरित किया गया था और काफी देर से उन्हें उपचार की सुविधा प्राप्त हुयी थी। यह शासन की कमी थी।
अब, अपने देश का एक ताजा उदाहरण देखिए। मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक बड़ा मामला सामने आया है। जबलपुर के बरगी स्वास्थ्य आरोग्यम केंद्र में मां की गोद में मासूम बेटे ने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि इलाज के अभाव में पांच वर्षीय लड़के की मौत हुई है। मृतक का नाम तिनहेटा देवरी निवासी ऋषि ठाकुर है। इलाज के लिए समय पर स्वास्थ्य केंद्र में जिम्मेदार डॉक्टर नहीं पहुंचे, जिसके चलते इलाज शुरू नहीं हो सका और बच्चे की मौत हो गई। हाथ में मासूम बेटे का शव लिए मां का वीडियो भी सामने आया है। बताया जा रहा है कि सुबह से मासूम को इलाज के लिए मां गोद मे लेकर बैठी थी। परिजनों ने बरगी के अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर पर देर से आने के आरोप लगाए हैं। बरगी अस्पताल में डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं होने और जानकारी के बाद भी समय पर नहीं पहुंचने का आरोप मृतक बच्चे के परिजनों ने लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि समय पर इलाज मिलने से बच्चे की जान बच सकती थी, लेकिन लापरवाही के चलते शर्मनाक घटना हुई है। जबलपुर के थाना बरगी के आरोग्यम अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा है। मां की गोद में मासूम का शव और रोती मां का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। दूसरी ओर, इस मामले में अब नया मोड़ आ गया है। क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य डॉ, संजय मिश्रा ने कहा कि आरोग्यम केंद्र में डॉ. लोकेश श्रीवास्तव सुबह से ड्यूटी कर रहे थे। बच्चा मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया। वह सेप्टीसीमिया का शिकार था। इस स्थिति से माता-पिता को अवगत कराया गया था। डॉ. की बात से संतुष्ट होकर माता-पिता अस्पताल से वापस गए। इसके बाद स्थानीय लोगों ने माता-पिता को वापस बुलाकर मामले को उलझाया। विवाद जब बढ़ने लगा तो ड्यूटी डॉक्टर ने पोस्टमार्टम की बात कही लेकिन, परिजन नहीं माने और मामले को तूल दिया गया।
राजनीति में नैतिकता का एक उदाहरण बिहार से भी मिला है। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनते ही मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों पर लगातार सवाल उठ रहे थे। सबसे ज्यादा सवालिया निशान बिहार सरकार के मंत्री कार्तिक सिंह पर लगा जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इनका विभाग बदल दिया। विधि विभाग से कार्तिक सिंह को गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेवारी दे दी गई लेकिन शाम होते ही कार्तिक सिंह ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया। बिहार सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कार्तिक सिंह पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा कि बीजेपी को मैं पच नहीं रहा था इसलिए मेरा मीडिया ट्रायल कराया गया। कार्तिक सिंह ने कहा कि बीजेपी को लग रहा था कि राजद से एक भूमिहार मंत्री कैसे बन गया, इसलिए मेरा मीडिया ट्रायल करवाया जा रहा था। मुझ पर तरह-तरह का आरोप लगाया गया। जो लोग मुझ पर आरोप लगा रहे हैं उन्हें पता नहीं है कि मेरे बाबा स्वतंत्रता सेनानी थे और मेरे पिताजी हाई स्कूल में शिक्षक थे।
छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम अपने एक हालिया बयान से चर्चा में आ गए हैं। मंत्री के बयान का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। मंत्री एक कार्यक्रम में शराब और उसके बाद खराब सड़कों पर दिए बयान से चर्चा में रहे। बलरामपुर-रामानुजंगज जिले में नशा मुक्ति को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा- "हरिवंश राय बच्चन ने लिखा बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला, लेकिन सब में नियंत्रण होना चाहिए। शराब में मात्रा के अनुसार पानी मिलाकर पीने से वह एक निदान का काम करती है। खराब सड़कों को लेकर सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि "प्रयास है कि खराब सड़कें जल्द बन जाएं, लेकिन एक कारण है कि जहां खराब सड़कें होती हैं, वहां सड़क दुर्घटना कम होती है। वहां लोगों की मृत्यु कम होती है, जहां अच्छी सड़कें बन जाती हैं वहां हादसे भी ज्यादा होते हैं।" (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)