किन शर्तों पर 17 महीने बाद मनीष सिसोदिया की हुई जमानत?- पढ़िए खबर

किन शर्तों पर 17 महीने बाद मनीष सिसोदिया की हुई जमानत?- पढ़िए खबर

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के लिए आज राहत की बड़ी खबर सुबह तब सामने आई थी जब आप नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया की सुप्रीम कोर्ट ने जमानत स्वीकार कर ली। शाम होते-होते मनीष सिसोदिया दिल्ली की तिहाड़ जेल से वापस आ चुके हैं। मनीष सिसोदिया किस मामले को लेकर जेल में गए थे । मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने किन शर्तों के आधार पर 17 महीने बाद जमानत दी है।

दरअसल दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 में कथित घोटाले को लेकर सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था। जिस समय मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया, उस समय वह दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन पर आबकारी नीति 2021-22 को बनाने , उसे लागू करने और उसमें हुए कथित घोटाले में शामिल होने का आरोप था। अपनी गिरफ्तारी के बाद मनीष सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को अपने डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया था। मनीष सिसोदिया ने इस दौरान निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक में अपनी जमानत याचिका दाखिल की लेकिन हर बार उन्हें मायूसी मिली क्योंकि सीबीआई उनकी जमानत का जबरदस्त विरोध करती थी और उस विरोध के कारण उनकी जमानत अर्जी खारिज हो जाती थी ।

दरअसल दिल्ली के शराब घोटाले मामले में मनीष सिसोदिया के साथ-साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सतेंद्र जैन और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता अभी भी जेल में बंद है जबकि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह जमानत पर पहले ही बाहर आ चुके हैं। निचली अदालत और हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने 6 अगस्त को इस पूरे मामले में सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 6 अगस्त के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी या उन्हें अभी जेल में ही रहना पड़ेगा लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए दोनों जजों की पीठ ने कहा , जमानत के मामले में हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट सुरक्षित खेल खेल रहे हैं। सजा के तौर पर जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि "जमानत के मामले में हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट सुरक्षित खेल रहे हैं। सजा के तौर पर जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता। अब समय आ गया है कि अदालतें समझें कि जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है। बिना ट्रायल पूरा किए किसी को जेल में रखकर सजा नहीं दी जा सकती है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी हालांकि अदालत ने मनीष सिसोदिया को जमानत देने के साथ कुछ शर्ते भी लगाईं हैं। मनीष सिसोदिया को 10 लाख रुपए का मुचलका भरने के साथ-साथ अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा साथ ही हर सोमवार को संबंधित थाने में हाजिरी लगानी होगी तथा वह इस मामले से जुड़े किसी भी गवाह को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगे। हालांकि जब अदालत ने मनीष सिसोदिया की जमानत स्वीकार की तब अतिरिक्त महाधिवक्ता जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि मनीष सिसोदिया को दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश करने से रोका जाए लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया। सुबह जमानत मिलने के बाद शाम तक परवाना तिहाड़ जेल पंहुचा और शाम के लगभग 7 बजे मनीष सिसोदिया जेल से बाहर आए। जेल से बाहर आने के बाद सबसे पहले मनीष सिसोदिया ने कहा अगर कोई तानाशाही सरकार किसी को गलत तरीके से जेल में डालेगी उसे बाबा साहब का संविधान रोकेगा। मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद क्या वह फिर से डिप्टी सीएम बनेंगे या आम आदमी पार्टी में उनकी क्या भूमिका होगी। यह तो आने वाला समय में ही तय हो पाएगा लेकिन फिलहाल मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से बाहर आ चुके हैं।

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