किसान नहीं, कॉरपोरेट घराने है BJP सरकार की प्राथमिकता: अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कड़ाके की ठंड में धरना दे रहे हजारों किसानों की अनदेखी से यह बात स्पष्ट हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्राथमिकता में गरीब, किसान, नहीं बल्कि कारपोरेट घरानों का हित साधन है।
अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि कड़ाके की ठंड में हजारों किसान खेती बचाने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं। कई अपनी जान भी गंवा बैठे हैं लेकिन भाजपा सरकार अंधी-बहरी बनी हुई है। हद तो यह है कि एक ओर बातचीत का ढोंग किया जा रहा है, दूसरी ओर किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की भी कुचेष्टा हो रही हैं। स्वयं प्रधानमंत्री,उनके मंत्री एवं भाजपा के छोटे बड़े सैकड़ों नेता कृषि सुधार अधिनियमों के पक्ष में स्वयं प्रचारक बनकर किसानों के खिलाफ मैदान में उतर आए हैं।
उन्होने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों की आवाज को दबाने के लिए दमन का सहारा लिया है। किसानों पर या उनके समर्थन में खड़े लोगों पर गम्भीर धाराओं में मुकदमें दर्ज किए गए हैं। कितने ही लोग जेल यातना सह रहे हैं। लेकिन बेख़बर सरकार कदमताल की स्थिति में है। घोषणाएं तो बहुत हो रही हैं लेकिन परिणाम शून्य निकलता है। दिखावे में उछलकूद बहुत है पर गाड़ी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ती दिखती है। वस्तुतः भाजपा सरकार नान-स्टार्टिंग है। ऐसी सरकार जो है तो डबल इंजन की मगर स्टार्ट नहीं हो पाई है। तो नतीजा कहां दिखेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान और उनके समर्थक सड़क पर हैं लेकिन मुख्यमंत्री और उनकी सरकार उड़ने का रिकार्ड बनाने में लगी हैं। अब हार थककर कार से चलने की घोषणा कर रहे हैं। वह कहां और क्यों जा रहे हैं, यह दिशाहीनता राज्य को भारी पड़ेगी। चार वर्ष में उनके काम काज का रिपोर्ट कार्ड शून्य रहा है। प्रदेश में विकास कार्यठप्प हैं, जनहित की एक भी योजना लागू नहीं है। समाजवादी पार्टी के कामों को ही अपना बनाकर किसी तरह इज्जत बचाई जा रही हैं। इस सच्चाई से राज्य की जनता अवगत है।
उन्होने कहा कि भाजपा सरकार ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को जेल भेजा है, किसानों की गिरफ्तारी की है क्योंकि समाजवादी पार्टी के अधिकतर कार्यकर्ता किसान ही हैं। समाजवादी पार्टी के इस संघर्ष में किसान, मजदूर, नौजवान, व्यापारी दुकानदार, कारोबारी सब साथ हैं क्योंकि कृषि कानूनों का असर सब पर पड़ना है।
भाजपा सत्ता के बलबूते किसानों के आंदोलन का दमन करने के लिए छल कपट की रणनीति अपनाए हुए है। समाजवादी किसानों के सम्मान और अधिकारों की न केवल दृढ़ समर्थक हैं अपितु उसके लिए संघर्षशील भी हैं। समाजवादी सरकार में ही किसानों को सर्वाधिक लाभ मिले हैं। भाजपा सरकार भूले नहीं कि तानाशाही सरकारों को बेदखल करने का जनता और समाजवादियों का गौरवशाली इतिहास रहा है।