नीतीश का सियासी परवाज- परवान चढ़ने के पहले ही थम गया था
पटना। बिहार में सर्वाधिक नौ बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार का सियासी परवाज , परवान चढ़ने के पहले ही थम गयाा था।
नीतीश कुमार ने अपने सियासी जीवन की शुरूआत जे.पी.आंदोलन में वर्ष 1977 में हरनौत विधानसभा से की थी। हरनौत विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से टाल क्षेत्र में आता है और मोकामा के बाद दलहन-तिलहन के लिए यह टाल क्षेत्र मशहूर है। टाल क्षेत्र को मुद्दा बना कर उन्होंने राजनीति में कदम रखा था।
वर्ष 1977 में हरनौत विधानसभा क्षेत्र से नीतीश कुमार ने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें निर्दलीय भोला प्रसाद सिंह ने मात दे दी। श्री कुमार वर्ष 1980 में भी हरनौत विधानसभा क्षेत्र से चुनावी समर में उतरे, लेकिन इस बार भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। जनता पार्टी (सेक्यूलर) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे श्री कुमार को इस बार निर्दलीय प्रत्याशी अरूण कुमार सिंह ने मात दे दी। बताया जाता है कि लगातार दो हार के बाद कुमार ने तय कर लिया था कि वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगे।
वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में कुमार फिर हरनौत से चुनाव लड़ने उतरे। इस बार उनकी किस्मत चमक गयी। लोकदल प्रत्याशी नीतीश कुमार ने कांग्रेस के बृजानंदन प्रसाद सिंह को पराजित किया और पहली बार विधानसभा पहुंच गये। इसके बाद उन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। हरनौत सीट को श्री कुमार का अभेद किला माना जाता है। वर्ष 2005 से लेकर अबतक हुए चुनावों में उनकी पार्टी जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के प्रत्याशी यहां से लगातार जीतते रहे हैं।
कुमार ने वर्ष 1989 में बाढ़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और पहली बार जीतकर संसद पहुंचे। उन्होंने इसके बाद बाढ़ संसदीय सीट से वर्ष 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीता। वर्ष 2004 में उन्होंने बाढ़ और नालंदा दो जगहों से लोकसभा का चुनाव लड़ा। नालंदा में कुमार ने जीत हासिल लेकिन बाढ़ में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विजय कृष्णा ने जनता दल के नीतीश कुमार को पराजित किया था। इसके बाद से कुमार ने न विधानसभा और न ही लोकसभा का चुनाव लड़ा है। कुमार, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भूतल परिवहन मंत्री, कृषि मंत्री और रेल मंत्री भी रहे हैं।
नीतीश कुमार 03 मार्च 2000 को पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बनें।हालांकि, बहुमत नहीं होने के कारण उन्होंने सात दिन में ही इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राबड़ी देवी की सरकार गिरने के बाद नीतीश कुमार 24 नवंबर 2005 से अबतक आठ बार मुख्यमंत्री बने हैं। बीच में 20 मई 2014 से 22 फरवरी 2015 तक नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था।