सोनिया गाँधी के फॉर्मूले पर अब नितीश कुमार

सोनिया गाँधी के फॉर्मूले पर अब नितीश कुमार

लखनऊ। सुशासन कुमार के नाम का अब नीतीश कुमार पूरा फायदा उठाना चाहते हैं। भाजपा ने हालांकि नीतीश की इस छवि को बिगाड़ने का भरपूर प्रयास किया है और भाजपा समर्थक मीडिया भी इसमें युद्ध स्तर पर जुटी है लेकिन नीतीश कुमार की छवि के चलते ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव उनसे मिलने पहुंचे थे। समझा जाता है कि शरद पवार का भी आशीर्वाद उनको मिल चुका है। इसी के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा मुक्त भारत बनाने का अभियान शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने सोनिया गांधी का वही फार्मूला अपनाया है तो सोनिया ने 2004 में लागू कर भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया था। उस फार्मूले में वामपंथी नेताओं की मुख्य भूमिका थी। हालांकि तब त्रिपुरा और केरल में कब्जा कर रखा था लेकिन अब वे त्रिपुरा से खदेड़े जा चुके हैं लेकिन वामपंथियों के साथ होने से समाजवादी पार्टी और जनता दल (एस) जैसी पार्टियां सहज रूप से जुड़ जाएंगी। इसीलिए नीतीश की सीताराम येचुरी से मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नीतीश कुमार इसके बाद आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविन्द केजरीवाल, सीपीआई के महासचिव डी राजा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला से मुलाकात कर इस मुहिम को मजबूत करेंगे। नीतीश कुमार कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी से मिल चुके हैं। कुमार स्वामी ने नीतीश की विपक्षी दलों को एक करने की मुहिम की सराहना की है। नीतीश ने भी कहा है कि अब जीवन भर भाजपा से हाथ नहीं मिलाएंगे।

बिहार के मुख्यमंत्री अपने मिशन-2024 के लिए कहे दिनों दिल्ली में डेरा जमाए रहे। अपने इस दौरे में वह विपक्षी एकता बनाने की कोशिश करते दिखें। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी से भेंट की। उनकी मुलाकात सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी से भी हुई। उनसे मिलने नीतीश कुमार लेफ्ट पार्टी के दफ्तर पहुंचे इसके बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम साथ हैं, इसलिए उनसे मिलने यहां आए हैं। उन्होंने कहा था कि देश में कांग्रेस और वामदलों से अलग गठबंधन का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, हमने चर्चा की है कि अगर वाम दल, विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दल और कांग्रेस एक साथ आते हैं तो यह बहुत बड़ी बात होगी। इस मुलाकात के बाद सीताराम येचुरी ने कहा, हम स्वागत करते हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर इस कार्यालय में आए। यह देश की राजनीति के लिए सकारात्मक संकेत है। विपक्षी दलों को मिलकर देश और संविधान को बचाना है। इससे पहले नीतीश कुमार ने कहा था, प्रधानमंत्री पद की हमारी न इच्छा है न आकांक्षा न ही इस पद पर कोई दावा है। देश में विपक्ष की एकजुटता का हम प्रयास करेंगे। विपक्ष की एकजुटता देश के लिए अच्छा रहेगा।

जदयू की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अगले दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम पर पटना से दिल्ली रवाना हुए थे। जदयू ने उन्हें देशभर में विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए अधिकृत किया है। दिल्ली एयरपोर्ट पर उन्होंने मीडिया से कहा कि पीएम बनने की मेरी कोई आकांक्षा नहीं है। मैं विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि आज देश में क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की साजिश चल रही है। अपने अभियान में नीतीश कुमार सबसे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी से मिलने दिल्ली स्थित उनके आवास 12 तुगलक लेन गए। दोनों के बीच बातचीत करीब 50 मिनट तक चली। राहुल गांधी से विपक्षी दलों को एकजुट करने की रणनीति पर चर्चा हुई। इसके बाद नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के आवास पहुंचे। वहां उनकी एचडी कुमार स्वामी से बातचीत हुई। कुमारस्वामी ने नीतीश कुमार की विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम की सराहना की। कहा कि आपके आने से एक माहौल बना है। आप आगे बढ़िये हम आपके साथ हैं। इसके बाद नीतीश कुमार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीआई महासचिव डी राजा और ओमप्रकाश चौटाला से भी मुलाकात करने पहुंचे।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार की कांग्रेस एवं अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं के साथ आरंभ हो रही मुलाकातें महत्वपूर्ण हैं। इससे स्पष्ट है कि वह कांग्रेस को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। उनकी कोशिश केंद्र से लड़ने के लिए विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने की है, इसलिए हाल में उन्होंने कहा था कि इस बार मेन फ्रंट बनेगा। यह एक राजनीतिक रूप से परिपक्व पहल है क्योंकि अभी भी कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। उसे साथ लिये बगैर विपक्ष एनडीए के खिलाफ कोई विकल्प खड़ा नहीं कर सकता है। दूसरी तरफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों में जुटे टीआरएस, तृणमूल कांग्रेस, आप आदि दल कांग्रेस को साथ लेकर चलने में सहज नहीं हैं। इन दलों की कोशिश एक गैर कांग्रेसी तीसरे विकल्प की है। इसके पीछे क्षेत्रीय राजनीति से जुड़े कारक तो महत्वपूर्ण हैं ही, इन दलों की अपनी महत्वाकाक्षाएं भी हैं। तीनों दलों को कांग्रेस का साथ इसलिए भी ठीक नहीं लगता क्योंकि वे अपने राज्यों में कांग्रेस से लड़ते आ रहे हैं। सही मानें तो कांग्रेस भी टीआरएस, तृणमूल और आप को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं है। कई अन्य दलों की स्थिति भी अभी स्पष्ट नहीं है। मौका आने पर सपा कांग्रेस की बजाय तीसरे मोर्चे में जाने को प्राथमिकता दे सकती है क्योंकि कांग्रेस के साथ वह पहले गठबंधन कर चुकी है, जो बेअसर रहा।पिछले कई सालों के दौरान विपक्षी एकता की जितनी भी कोशिशें हुई, उनमें बीजद और वाईएसआर कांग्रेस ऐसे दल हैं जिन्हें विपक्ष अपने साथ लेने के लिए तैयार नहीं कर पाया है। यह विपक्ष की सबसे बड़ी विफलता है कि वे एनडीए का हिस्सा नहीं होते हुए भी विपक्ष में भी नहीं हैं। नीतीश कुमार ने कहा है कि अब जीवन में कभी भी भाजपा से जदयू का समझौता नहीं हो सकता है। यह भी कहा कि जदयू मानती है कि बिना कांग्रेस और वामदलों के साथ गठबंधन के भाजपा के खिलाफ मजबूत लड़ाई नहीं हो सकती है लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर गैर भाजपा और गैर कांग्रेस गठबंधन चाहते हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम पर हैं। अपने अभियान में नीतीश कुमार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मिलने राबड़ी देवी के आवास पर गए। उनके साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी थे। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उनका स्वागत किया।

नीतीश कुमार के भाजपा से अब कभी समझौता नहीं करने संबंधित वक्तव्य पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कहा कि नीतीश जी चाहे जितना जोर लगा लें, चाहे जितनी बातें बनाते रहें और चाहे जितनी सफाई देते फिरें लेकिन बिहार की जनता और देश के राजनैतिक वर्ग के सामने इनका राजनीतिक चरित्र बेनकाब हो चुका है। आरोप लगाया कि वह अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। डॉ जायसवाल ने दावा किया कि उनके बड़े भाई और हालिया सहयोगी लालू प्रसाद को भी उन पर भरोसा नहीं है। डॉ जायसवाल ने सलाह दी कि नीतीश जी पीएम बनने का दिवास्वप्न देखने से पहले बिहार की गिरती विधि- व्यवस्था को ठीक करने में अपना ध्यान केंद्रित करें। उधर, नीतीश के कदम अब पीछे लौटते नहीं दिखते। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

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