राष्ट्र प्रथम ही ध्येय रहा महाराणा प्रताप का- योगी

राष्ट्र प्रथम ही ध्येय रहा महाराणा प्रताप का- योगी
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गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाराणा प्रताप,महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ जैसे ऋषि.मुनि और महापुरुष का एक ही ध्येय ‘राष्ट्र प्रथम’ का रहा है।

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री योगी ने सोमवार को कहा कि 1932 में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ द्वारा स्थापित और उनके बाद ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ द्वारा पुष्पित.पल्लवित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपने संस्थापकों की भावनाओं के अनुरूप तय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सतत प्रयत्नशील है। शैक्षिक पुनर्जागरण के साथ ही यह परिषद स्वास्थ्य और सेवा के अन्य तमाम प्रकल्पों को लेकर आगे बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि हर राह किसी न किसी मंजिल तक पहुंचाती है जरूरत सही मंजिल के लिए सही राह चुनने की है। वर्तमान में 142 करोड़ देशवासियों का लक्ष्य देश को विकसित और दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनाना है और विकसित व आत्मनिर्भर भारत की राह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव में दिए गए पंच प्रण हैं।

योगी ने कहा कि महाराणा प्रताप शौर्य, स्वाभिमान और स्वावलंबन की प्रतिमूर्ति हैं। देश को ऐसी ही भावनाओं से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत वर्ष में पंच प्रण की राह पर चलने का लक्ष्य दिया है। पंच प्रण यानी गुलामी की मानसिकता से मुक्ति, विरासत का सम्मान, महापुरुषों, लोक कलाओं.परम्पराओं पर गौरव, एकता का संकल्प और नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन। देश की 142 करोड़ आबादी यदि पंच प्रण के अनुरूप राष्ट्र प्रथम की भावना से काम करे तो विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने और देश को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने से कोई नहीं रोक सकता।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय जाति, क्षेत्र और भाषा के नाम पर वही लोग बांटना चाहते हैं जो भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में नहीं देखना चाहते। उन्होंने आह्वान किया कि 142 करोड़ लोगों के भारत को एकजुट रहकर विखंडन की खाई को चौड़ा नहीं होने देना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हर व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निवर्हन करे तो देश पंच प्रण के लक्ष्यों की ओर तेजी से अग्रसर होगा। योगी ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की शोभायात्रा को अनुशासन और रचनात्मकता की झलक देने वाला बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि यहां के विद्यार्थी व शिक्षक इस परिषद को देश की अग्रणी शैक्षिक सेवा प्रकल्प बनाते हुए राष्ट्रीय कर्तव्यों का निर्वहन करते रहेंगे।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनरल वीके सिंह के सैन्य कार्यकाल और राजनीतिक जीवन की सफलता की सराहना करते हुए कहा कि जनविश्वास का प्रतीक वही बनता है जिसके आचार.विचार में समन्वय होता है। जब कथनी और करनी में समन्वय होता है तो जनता का विश्वास प्राप्त होता है। उन्होने बताया कि सेना के अधिकारियों को लेकर सामान्य धारणा के इतर जनरल वीके सिंह विशुद्ध शाकाहारी, सात्विक हैं और सप्ताह में एक दिन व्रत रहते हैं।

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह समारोह के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री एवं भारतीय थल सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल ;डॉ वीके सिंह ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि हम कोई भी काम जब अपने नाम के लिए करते हैं तो नाम के जज्बे से सफलता जरूर मिलती है। नाम की चाह खुद में एक प्रेरणा है।

जनरल सिंह ने महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व का स्मरण कराते हुए कहा कि महाराणा प्रताप का नाम याद करते ही यह प्रेरणा मिलती है कि हमें कभी अपने कर्त्तव्य पथ से पीछे नहीं हटना है और किसी भी बाधा से घबराना नहीं है। किसी भी व्यक्ति में यदि महाराणा प्रताप जैसे ये दो गुण हो तो उसे सफलता की ऊंचाई छूने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने अनुशासित, विचार समृद्ध और लक्ष्य के प्रति जुनून रखने वाले युवा आज की आवश्यकता हैं। देश को ऐसे ही युवाओं की आवश्यकता है और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं में अध्ययनरत बच्चे व युवा इसी मानक पर आगे बढ़ रहे हैं।

जनरल सिंह ने कि बच्चों के भविष्य को तय करने वाला वर्तमान ही किसी संस्था का मापदंड होता है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के प्रबंध और यहां बच्चों के उत्कृष्ट अनुशासन को देखकर उन्हें यकीन है कि ये बच्चे भारत के मजबूत स्तम्भ बनेंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी ही विकसित भारत के कर्णधार हैं। उन्होने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे भविष्य में आने वाली चुनातियों से घबराने की बजाय संस्था के आदर्शों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने अपने स्कूली दिनों में मैथिलीशरण की एक प्रेरक कविता को प्रार्थना के रूप में गाए जाने की बात बताते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कुलगीत की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कुलगीत कुछ कर गुजरने की भावना पैदा करते हुए मार्गदर्शन करता है।

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