सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा को लिखी दो चिट्ठी- रखी यह मांग

सांसद संजय सिंह ने  राज्यसभा  को लिखी दो चिट्ठी- रखी यह मांग

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने रेलवे स्टेशन पर लोगों का बोझ उठाकर गुज़र-बसर कर रहे कुली भाइयों की समस्या पर चर्चा की मांग की। इसके अलावा उन्होंने फिर एक बार बढ़ती महंगाई और जीएटी के मुद्दे पर भी राज्सभा को पत्र लिखा है।

सांसद संजय सिंह ने रेलवे स्टेशन पर लोगों का बोझ उठाकर गुज़र-बसर कर रहे कुली भाइयों की समस्या पर चर्चा की मांग को लेकर चिट्ठी में लिखा कि आप के संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि भारत के रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों का सामान उठाकर गुजर-बसर करने वाले कुलियों का जीवन संकट में आ गया है। महंगाई के इस दौर में कुली साथी एक ओर कोरोना महामारी के कारण आर्थिक रूप से दयनीय स्थिति में हैं वहीं रेलवे के निजीकरण के कारण कुलियों के परिवार की माली हालत बहुत कमजोर होती जा रही है। यात्रियों का सामान उठाने के लिए रेलवे प्राइवेट कंपनियों के साथ अनुबंध कर कुलियों के रोजगार को खत्म कर रही है। पूर्व सरकार ने दुनिया का बोझ उठाने वाले कुलियों के लिए नौकरी का प्रावधान किया था किन्तु अभी तक इनकी सारी भर्तियाँ रुकी हुई है। जिसके कारण इनका भविष्य अंधकार में है। उन्होंने कहा कि कुली साथियों के जीवन में सुधार लाने की जरूरत है जिस पर व्यापक चर्चा होना अतिआवश्यक है। अंत में उन्होंने लिखा कि कृपया शून्यकाल के दौरान मुझे इस मुद्दे पर अपनी बात रखने की अनुमति प्रदान करें।

सांसद संजय सिंह ने फिर एक बार बढ़ती महंगाई और जीएसटी के मुद्दे पर पत्र लिखते हुए कहा कि हमारे देश में महंगाई हर रोज नया आसमान छू रही है। इस बढ़ती महंगाई ने आम आदमी के जीवन को हिला कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद से आज पहली बार ऐसा हुआ है कि अब लोगों को आटा से लेकर अस्पतालों के कमरे, स्याही, दाह संस्कार और आ आदमी के जरूरत की हर चीज पर 5ः से लेकर 18ः तक टैक्स देना होगा। सरकार दाल, दही, लस्सी और चावल सभी पर टैक्स लगा रही है। यहां तक कि अब लोगों को अपने ही बचत खाते से पैसे निकालने पर टैक्स देना होगा। इस बेतहाशा कर वृद्धि से आम लोगों का जीविकोपार्जन और बर्बाद हो जायेगा। पहले से ही देश में लगभग 19 करोड़ लोग हर रात खाली पेट सोने को मजबूर हैं और देश में पाँच साल से कम उम्र के हर दिन लगभग 4500 बच्चे भूख और कुपोषण के कारण मर रहें है। अकेले भूख के कारण हर साल तीन लाख से अधिक बच्चों की मौतें हो रही हैं। जबकि देशहित में असली कदम यह होता कि गरीबों को महंगाई से राहत दिलाने का प्रयास किया जाता और जिनके पास अधिक धन-दौलत है उनसे टैक्स की वसूली की जाती। सरकार का यह कदम देश में भुखमरी. कुपोषण और गरीबी को बढ़ावा देगा और लोगों को आटा-चावल के लिए भी तरसा देगा। उपरोक्त विकट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस फैसले पर पुनः विचार करने की आवश्कता है।

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