मध्य प्रदेश में भी मिशन सर्जरी संभव
नई दिल्ली। इस सच्चाई को भाजपा नेतृत्व अच्छी तरह से जानता है कि मध्य प्रदेश में पार्टी को सत्ता जनता से नहीं मिली थी बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के माध्यम से सत्ता छीनी गयी थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही तब भी मुख्यमंत्री थे और अब भी हैं। राज्य में विधानसभा के चुनाव अगले साल होने हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में 2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा को 56 सीटों का नुकसान हुआ था। कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनायी थी लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदार युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी थे। राहुल गांधी के वह नजदीक भी थे लेकिन दिग्विजय सिंह की रणनीति से ज्योतिरादित्य का पक्ष कमजोर हो गया और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने। यही विवाद आगे चलकर कांग्रेस के बिखराव का कारण बना। ज्योतिरादित्य की बगावत के चलते ही शिवराज सिंह ने पुनः सरकार बनायी थी। इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में भी सर्जिकल ऑपरेशन कर सकती है। उत्तराखण्ड से लेकर गुजरात तक भाजपा का यह प्रयोग सफल रहा है। भाजपा नेतृत्व देख रहा है कि शिवराज सिंह चौहान की जगह किसको बैठान से पार्टी का विजय रथ निर्वाध चल सकता है। शिवराज सिंह हालांकि भाजपा के स्टार प्रचारक हैं और आदिवासियों को लुभाने के लिए गौरव यात्रा भी निकाल चुके हैं। मध्य प्रदेश में इंटेलीजेंस के सर्वे से बीजेपी के माथे पर परेशानी झलक रही है। अगले विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 18 साल की एंटी इनकम्बेंसी से बड़ा नुकसान हो सकता है।ऐसे में हल एक ही है, सरकार की बड़ी सर्जरी।मिशन 2023 में ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य बीजेपी के लिए मुश्किलों भरा हो सकता है।इन्हीं इलाकों से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और बीजेपी के मध्यप्रदेश प्रमुख वीडी शर्मा आते हैं।सूत्रों की मानें तो हालिया सर्वे रिपोर्ट्स को ध्यान में रखते हुए पार्टी के रणनीतिकार मध्य प्रदेश में बड़े फेरबदल और सर्जरी पर विचार कर सकते हैं, जिसमें कई मंत्रियों,विधायकों के टिकट पर कैंची चल सकती है।बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मध्य प्रदेश नहीं सारे देश में लागू होगा, इस देश में गुजरात एक आइडियल स्टेट हो गया है, वहां हर 5 साल में बीजेपी के लिए वोट प्रतिशत बढ़ा है।बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर गुजरात की तर्ज पर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार और वीडी शर्मा के नेतृत्व वाले राज्य संगठन दोनों में बदलाव की मांग की है।खत को लेकर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हर राज्य में स्थिति अलग है, मप्र में अभी ऐसा कुछ नहीं है।हां, उन्होंने पहले भी पत्र लिखा है।हालांकि सूत्रों की मानें तो गुजरात के उलट मध्य प्रदेश में सर्जरी राज्य के पार्टी संगठन के बड़े फेरबदल के साथ शुरू हो सकती है और राज्य सरकार में 4 खाली पदों को भरने के साथ अहम बदलाव हो सकते हैं।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देश में सबसे लंबे समय तक बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं, एक ताकतवर ओबीसी नेता जिनका विकल्प आसान नहीं।ऐसे में उनकी जगह किसी और को बिठाने की पार्टी में जल्दबाजी नहीं है और पार्टी के शीर्ष नेताओं में इसको लेकर आमराय भी नहीं, ऐसे में माना जा रहा है कि राज्य बीजेपी प्रमुख जिनका तीन साल का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है, उनकी जगह किसी आदिवासी या दलित चेहरे को बिठाकर बदलाव की शुरुआत होगी.
संगठन के साथ सरकार में भी बदलाव होंगे, जिसमें कई युवा चेहरे, खासकर विंध्य के नेताओं को वरीयता मिलेगी।अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, जिससे जाति, उम्र और क्षेत्र को साधा जा सके।फिलहाल राज्य में अभी 30 मंत्री हैं, जिनमें 10 क्षत्रिय, 8 ओबीसी, 3 एससी, 4 एसटी, 2 ब्राह्मण हैं।सूत्रों के मुताबिक- हालिया सर्वे के आधार पर मौजूगा 127 में 60-70 विधायकों के टिकट कट सकते हैं।
गौरतलब है कि 20-30 सालों से विधानसभा में जमे बड़े नामों को टिकट न देने से मध्य प्रदेश में भी हिमाचल जैसे विद्रोह को नकारा नहीं जा सकता, इसलिए सूत्रों के मुताबिक-उन्हें ड्रॉप करने से पहले ऐसे नेताओं को विश्वास में लेकर फैसला होगा, असाधारण स्थिति में ऐसे नेताओं या उनके परिजनों को 2024 में लोकसभा चुनाव में जगह मिल सकती है। 30-40 साल से सक्रिय नेताओं को ड्रॉप करने में उम्र की भी अहमियत होगी, राज्य में ओबीसी मतदाताओं को साधने के लिए उनकी नुमांइदगी पर फोकस होगा क्योंकि उनकी आबादी 48 प्रतिशत से ज्यादा है, पिछले बार कठोर फैसले से चूकने पर 2013 के मुकाबले पार्टी को 56 सीटों का नुकसान हुआ था और सरकार चली गई थी, पार्टी इस बार ऐसे हालात नहीं चाहती।
चौहान भी चुप नहीं बैठै। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश में प्रवेश करने के एक दिन पहले वहां सियासत तेज हो गई थी बीजेपी ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के जवाब में जनजातीय गौरव यात्रा का ऐलान किया । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गौरव यात्रा में शामिल होकर इसकी शुरुआत की।इस यात्रा में प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री भी शामिल हुए। इस दौरान शिवराज आदिवासी युवाओं के साथ परंपरागत वेशभूषा में लोकनृत्य करते भी नजर आए। शिवराज सिंह के साथ उनके चार मंत्री भी इस यात्रा में शामिल हुए।दरअसल, अगले साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं।इसी को लेकर बीजेपी ने आदिवासी वोट बैंक पर फोकस किया है।बीजेपी की गौरव यात्रा आदिवासी बहुल्य 47 सीटों के लिए हुई। आदिवासी बहुल्य इलाकों में बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था। 20 नवंबर से 4 दिसंबर तक टंट्या मामा जनजातीय गौरव दिवस यात्रा निकाली। यात्रा का सबसे ज्यादा फोकस मालवा-निमाड़ पर रहा। यात्रा के लिए पार्टी ने विधायकों को भीड़ जुटाने और गांवों में संपर्क साधने का लक्ष्य दिया था। वन मंत्री कुंवर विजय शाह ने कहा कि बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है, जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेने वाले वीरों को सम्मानित किया जिन्हें कांग्रेस और इतिहासकारों ने देश के पन्नों में स्थान नहीं दिया था।हम गर्व से कह सकते हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे वीरों टंट्या मामा भील, भीमा नायक, बिरसा मुंडा, रघुनाथ शंकर शाह को सम्मानित किया और उनकी याद में मेले आयोजित किए जा रहे हैं।
इस प्रकार मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए शतरंज की बिसात बिछने लगी है।करती है। पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्र (पेसा) अधिनियम का उद्देश्य ग्राम सभाओं या ग्राम सभाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ जनजातीय आबादी को शोषण से बचाना है। (हिफी)