निशाने पर मंत्री कपिलदेव - ललित की कम्पनी ने नहीं लगाए थे होर्डिंग
लखनऊ। एक भारतीय मोबाइल कंपनी के स्वदेशी मोबाइल फोन लांचिंग के उपरांत उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास मिशन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल को निशाना बनाया जा रहा है। राजनीतिक स्तर पर यूपी में इसको लेकर खूब हो हल्ला मचा है। इसको धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता से जोड़कर जिस प्रकार से जनता को भ्रमित करने के लिए कुछ लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दो चार दिनों से जुटे हुए हैं, उसके पीछे की सच्चाई केवल एक राजनीतिक षडयंत्र के कुछ ओर नहीं है, क्योंकि मंत्री कपिल देव अग्रवाल को जिन मोबाइल फोन की लांचिंग और उसके प्रचार के लिए घेरने का काम किया जा रहा है, उसके लिए उन्होंने कभी भी फोन को सरकार से जोड़ने का काम नहीं किया है और प्रचार के लिए अधिकृत जिस कंपनी भारती एडवरटाइजिंग के सहारे घोटाले की बात कही जा रही है, उस कंपनी का होर्डिंग लगाने में मात्र इतना रोल है कि उन्होने लखनऊ में अपनी साइट ना होने के कारण किसी दूसरी एजेंसी का सम्पर्क मोबाइल कंपनी को बता दिया था। दरअसल मंत्री कपिलदेव को बदनाम करने में उनके विरोधियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है उनमे वो लोग भी शामिल है जो उनकी बढ़ती लोकप्रियता से कुंठित हो रहे है।
गौरतलब है कि ब्लॉकचेन स्मार्टफोन को लांच करने के लिए 22 दिसम्बर को लखनऊ स्थित ताज होटल में कंपनी के सीईओ दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास मिशन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने लांच किया। इस कार्यक्रम में मंत्री कपिल देव अग्रवाल के साथ ही विज्ञान एवं प्राद्यौगिकी राज्यमंत्री नीलिमा कटियार, सुल्तानपुर जनपद की लम्भुआ विधानसभा सीट से भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी और लखनऊ से भाजपा विधायक नीरज बोरा भी अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कंपनी के फाउंडर दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी ने यह लांचिंग कार्यक्रम आयोजित किया था। यह कार्यक्रम आज एक राजनीतिक षडयंत्र का हिस्सा बनकर विवादों में ला खड़ा कर दिया गया है। इसके लिए भारती एडवरटाइजिंग कंपनी के एमडी ललित अग्रवाल सहित चार लोगों के खिलाफ लखनऊ के थाना हजरतगंज में एफआईआर दर्ज करा दी गयी है। चूंकि ललित अग्रवाल मंत्री कपिल देव के भाई हैं तो विपक्षी दलों से जुड़े लोगों ने इसके लिए सीधा कपिल देव को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। लखनऊ के ताज होटल में लांच के बाद इस स्वेदशी फोन इनब्लाॅक को लेकर यूपी में जो राजनीतिक घमासान मचा, उसके परिदृश्य में सरकार के खिलाफ विपक्ष दुष्प्रचार करने के आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया गया है। मंत्री कपिल देव अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार का शोर मचाया गया, जबकि इसके उलट अभी तक हुई जांच में यह बात सामने आई है कि इनब्लाॅक स्वदेशी फोन की लांच और प्रचार के लिए न तो कोई भ्रष्टाचार हुआ और न ही धोखाधड़ी की गई है।
इन सब के बीच लगातार मंत्री कपिलदेव पर विरोधी हमलावर है, लेकिन विरोधियों के सवाल पर ही सवाल उठ रहा है कि इन - ब्लॉक मोबाइल कम्पनी ने जब किसी भी होर्डिंग पर यह नहीं लिखा कि यह सरकारी फोन है और इसको सरकार ने लॉन्च करने की जिम्मेदारी दी है। होर्डिंग पर सिर्फ इतना लिखा हुआ है की यह स्वदेशी फोन है, इसके अलावा मोबाइल कंपनी ने किसी भी विभाग या व्यक्ति से किसी भी तरह की धनराशि नहीं ली गयी। इन सबके साथ साथ जिस तरह ललित अग्रवाल पर सवाल उठाये जा रहे है कि उन्होंने अपने भाई मंत्री कपिलदेव के नाम का सहारा लेकर फ्रॉड कर लिया है आखिर उन सवाल उठाने वालों से पूछा जाना चाहिए कि जब ललित अग्रवाल की एजेंसी ने ना तो होर्डिंग लगाए और ना ही इस मोबाइल कंपनी में पाटर्नरशिप है, तो घोटाला कैसे हो गया और इसमें योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस की नीति पर कहाँ सवाल उठता है। इस मामले में ललित का नाम जरूर सामने आया है लेकिन मुज़फ्फरनगर में आम शोहरत है कि जिस तरह अन्य राजनैतिक व्यक्ति के परिजन उनके राजनैतिक कार्यों में शामिल रहते है,मंत्री कपिलदेव के परिवार का कोई भी सदस्य उनके राजनैतिक कार्यों में दखल नहीं देता है।
इस संबंध में मंत्री कपिल देव अग्रवाल का कहना है कि लांच के समय उनके द्वारा इनब्लाॅक फोन को स्वदेशी बताया था, न कि इसके सरकारी फोन बताया गया था। होर्डिंग और बैनर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के फोटो कंपनी द्वारा लगवाये गये थे। इसका संज्ञान मिलने पर हमने कंपनी को नोटिस दिया, तो कंपनी के सीईओ दुर्गा प्रसाद ने लिखिम माफीनामा भेजकर अवगत कराया कि उनके द्वारा शिष्टाचार के तहत पीएम और सीएम के फोटो लगवा दिये गये थे। वह यह समझ रहे थे कि जब कार्यक्रम में दो मंत्री और विधायक आ रहे हैं, उनके फोटो लग रहे है, तो पीएम और सीएम का फोटो नहीं लगा होने पर कहीं कोई नाराज न हो जाये। दुर्गा प्रसाद को यह भी जानकारी नहीं थी कि पीएम या सीएम का फोटो लगाने के लिए पूर्वानुमति लेनी पड़ती है। मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि जहां तक कंपनी के प्रचार सवाल है तो किसी माध्यम से यह कार्य उनके छोटे भाई ललित अग्रवाल की भारती एडवरटाइजिंग कंपनी को मिला था, लेकिन ललित ने यह कहकर काम करने से इंकार कर दिया कि लखनऊ में उनकी साइट नहीं है, इसके बाद यह काम जागरण इमेज कंपनी को दिला दिया गया। इसमें होर्डिंग इसी कंपनी के द्वारा लगाये गये हैं। अपने भाई ललित को निर्दोष बताते हुए उन्होंने कहा कि उनके भाई की भारती एडवरटाइजिंग कंपनी है। उनका नाम जोड़कर विपक्ष भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है। जहां तक होर्डिंग पर पीएम और सीएम के फोटो का मामला है तो कंपनी स्वयं डिजाइन तैयार कराकर देती है। उनका कहना है कि सरकारी मद से इसमें कोई भी पैसा नहीं लिया गया है तो भ्रष्टाचार या अनियमितता कैसे हो सकती है। कार्यक्रम के आयोजक दुर्गा प्रसाद की एक छोटी सी भूल के कारण यह मामला बना और उनके राजनीतिक विरोधियों ने इसके तूल देने की साजिश रची है। उनका कहना है कि मैं अकेला इस कार्यक्रम में शामिल नहीं था। मैंने फोन को स्वदेशी बताया है, न कि इसे सरकारी बताकर प्रचार किया है। कार्यक्रम तक ही मेरा इस फोन से संबंध था इसके बाद नहीं।
बता दें कि मुजफ्फरनगर की सदर विधानसभा से विधायक कपिल देव अग्रवाल ने इस सीट पर 2016 में हुए उपचुनाव में सपा सरकार के दौरान भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी। इस उपलब्धि को देखते हुए पार्टी ने 2017 के चुनाव में भी उन पर विश्वास जताया और इस चुनाव में भी वह भाजपा की सीट को कायम रखने में सफल रहे। सरकार में मंत्री बने तो उनको बिजनौर और शाहजहांपुर जनपदों का प्रभारी मंत्री भी बनाया गया। इन जनपदों में मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने सरकार की योजनाओं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। हाल ही में बुलन्दशहर सीट के उपचुनाव में संगठन ने उनको चुनाव प्रभारी बनाकर वहां पार्टी प्रत्याशी की जीत की जिम्मेदारी दी। इस उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी को विजयी बनाने में मंत्री कपिल देव ने वहां रहकर जमीनी स्तर पर बेजोड़ काम किया। इस तरह से संगठन और सरकार में लगातार बढ़ते कपिल देव अग्रवाल के रूतबे ने उनके विरोधियों में बैचनी पैदा कर रखी थी और अब ये विरोधी इनब्लाॅक फोन के बहाने एक राजनीतिक साजिश कर इस प्रकरण को तूल देने में जुटे हैं, जिसका कोई आधार ही नहीं है।