इस सीट पर BJP के टिकट के लिये लंबी कतार
सहारनपुर। उत्तर प्रदेश की तीसरे नंबर की और सबसे ज्यादा साढ़े चार लाख मतदाताओं वाली सहारनपुर नगर सीट पर भाजपा अपनी वापसी को लेकर बेताब है। उपयुक्त उम्मीवार की तलाश में भाजपा में टिकटार्थियों की लंबी लाइन लगी है।
दिलचस्प बात यह है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश में भाजपा की जबरदस्त लहर थी लेकिन समाजवादी पार्टी के संजय गर्ग ने आंधियों को पीछे धकेलते हुए भाजपा पर शानदार जीत दर्ज की थी। इससे भाजपा को बेहद मायूसी हुई। 62 वर्षीय संजय गर्ग इससे पूर्व भी दो बार भाजपा को पराजित कर चुके हैं। वह जिले में विपक्ष का प्रमुख चेहरा हैं और अखिलेश यादव ने उन्हें समाजवादी व्यापार सभा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी हुई है।
2022 के विधानसभा चुनावों में सपा से उनकी उम्मीदवारी तय है लेकिन उनके सामने भाजपा का आत्मविश्वास डगमगाया हुआ है। वजह संजय गर्ग खुद बनिया होने के कारण भाजपा के मजबूत वोट बैंक वैश्य बिरादरी में तगड़ी सेंधमारी करते हैं। जिससे भाजपा की राह यहां कठिन हो जाती है। इस बार के चुनाव में भाजपा की कुर्सी ऐसे उम्मीदवार का चयन करने की है जो संजय गर्ग को तगड़ी चुनौती पेश कर सके और जीत भी दर्ज कर सके।
विपक्ष की ओर से संजय गर्ग अकेले ही दमदारी से चुनाव लड़ेंगे जबकि भाजपा में टिकटार्थियों की भीड़ लगी है। सहारनपुर और कानपुर शहर उत्तर प्रदेश में दो ऐसे स्थान हैं जहां पंजाबी समाज की सबसे ज्यादा मौजूदगी है। भाजपा अपवाद को छोड़कर पंजाबी समाज के व्यक्ति को ही चुनाव लड़ाती आ रही है। 1977 में सुमेरचंद गोयल और 2012 में राघव लखनपाल शर्मा भाजपा के गैर पंजाबी उम्मीदवार थे। हालांकि इन दोनों की जीत हुई थी पर भाजपा पंजाबियों पर ही दांव लगाती है।
1991 और 1993 में पंजाबी समाज के प्रमुख नेता लाजकृष्ण गांधी भाजपा से विधायक रहे। 1996, 2002 और 2017 में विपक्षी उम्मीदवार संजय गर्ग भाजपा को पराजित कर विधायक चुने गए। 2012 में राघव लखनपाल शर्मा भाजपा से लड़े और जीते। उन्हें 85170 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार सलीम अहमद को 72544 वोट मिले थे। बसपा के संजय गर्ग 36140 वोटों पर ही रूक गए थे। सपा के मजाहिर हसन को 19755 वोट मिले थे। विपक्ष में बिखराव का फायदा भाजपा के राघव लखनपाल को मिला था।