जानिए - उन लोकसभा सीटों के बारे में जहां हार जीत का अंतर रहा बहुत कम

जानिए - उन लोकसभा सीटों के बारे में जहां हार जीत का अंतर रहा बहुत कम

लखनऊ। चुनाव में हार जीत अगर बहुत कम वोटो से हो तो प्रत्याशी के मन में अफसोस बना रहता है। फिर प्रत्याशी और उसके समर्थक हिसाब जोड़ते रहते हैं कि काश इतनी वोट हमें और मिल जाती तो हम चुनाव जीत जाते लेकिन हार जीत किस्मत का भी खेल होती है । उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में छह लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर हार जीत का अंतर 2 हजार से 5 हजार के बीच रहा। इसके साथ ही इन छह लोकसभा सीटों पर नोटा को इतनी वोट मिल गई कि अगर नोटा की वोट हारने वाले प्रत्याशी को मिल जाती तो जीत उसके हिस्से में भी आ सकती थी लेकिन वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है।

जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की 6 उन लोकसभा सीटों की जिनके बारे में आपको बताएंगे जिन पर हार और जीत का अंतर दो से 5 हजार वोटो के बीच रहा इन सीटों पर हार जीत के अंतर से ज्यादा वोटरों ने नोटा का बटन दबाया। सबसे पहले हम बात करेंगे हमीरपुर लोकसभा सीट की। हमीरपुर लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी के अजेंद्र सिंह लोधी और भारतीय जनता पार्टी के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के बीच रहा। समाजवादी पार्टी के अजेंद्र सिंह लोधी को जहां चार लाख 90 हजार 683 वोट मिला तो वही पुष्पेंद्र सिंह चंदेल भी 4 लाख 88 हजार 54 वोट पाकर उनके नजदीक रहे। इस लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के अजेंद्र सिंह लोधी ने 2,629 वोटो से जीत दर्ज की। इस लोकसभा सीट पर 13 हजार 453 लोगों ने नोटा को भी दबाया, मतलब 13 हजार 653 लोगों में से अगर मात्र 2630 वोटर भारतीय जनता पार्टी के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल की तरफ झुक जाते तो उनकी जीत सुनिश्चित हो सकती थी लेकिन यहां जीत अजेंद्र सिंह लोधी के हिस्से में आई। दूसरी सबसे कम वोटो से जीतने वाली सीट लोकसभा सीट का नाम है फर्रुखाबाद। फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने मुकेश राजपूत पर अपना दांव लगाया तो समाजवादी पार्टी ने डॉक्टर नवल किशोर शाक्य को टिकट दिया था। दोनों के बीच रोचक मुकाबला हुआ। इस लोकसभा सीट पर भाजपा के मुकेश राजपूत 4 लाख 87 हजार 963 वोट पाकर समाजवादी पार्टी के नवल किशोर शाक्य जिनको 4 लाख 85 हजार 285 वोट मिला, को 2678 वोटो से हराने में कामयाब रहे। इस लोकसभा सीट पर भी नोटा के बटन दबाने वालों की संख्या 4 हजार 365 रही जबकि इस सीट पर 2 हजार 678 वोटो का हार जीत का अंतर रहा। यहां भी स्पष्ट है कि अगर समाजवादी पार्टी के नवल किशोर शाक्य की तरफ नोटा को पड़ने वाली वोट चली जाती तो फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की जीत हो सकती थी ।

इसके साथ ही हम बात करेंगे तीसरी लोकसभा सीट बांसगांव की। बांसगांव लोकसभा सीट पर हार जीत का अंतर मात्र 3 हजार 150 वोटो का रहा जबकि इस लोकसभा सीट पर 9 हजार 21 लोगों ने नोटा का बटन दबाकर सभी प्रत्याशियों को नकारने का काम किया था लेकिन नोटा को मिले 9021 वोटो ने कांग्रेस पार्टी के सदल प्रसाद का समीकरण बिगाड़ दिया। दरअसल इस लोक सभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के कमलेश पासवान ने चार लाख 28 हजार 693 वोट पाकर कांग्रेस के सदल प्रसाद को 3 हजार 150 वोटो से हरा दिया। कांग्रेस के प्रत्याशी सदल प्रसाद को चार लाख 25 हजार 543 वोट मिले यानी अगर सभी प्रत्याशियों को ना पसंद करके के चक्कर में 9021 नोटा का बटन दबाने वाले 9021 वोटर में से कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद के पक्ष में मात्र 3 हजार 200 वोटर आ जाते तो बाजी यहां भी पलट सकती थी और जीत कांग्रेस के हिस्से में आ सकती थी लेकिन कमलेश पासवान ने नजदीकी मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी को शिकस्त दे दी।

इसके साथ ही चौथी लोकसभा सीट की बात करेंगे। यह चौथी लोकसभा सीट है सलेमपुर । सलेमपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के राम शंकर राजभर और भाजपा के रविंद्र कुशवाहा के बीच तगड़ा मुकाबला हुआ। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी रामशंकर राजभर ने चार लाख 5 हजार 472 वोट लेकर भाजपा के रविंद्र कुशवाहा को 3 हजार 572 वोटो से हरा दिया। रविंद्र कुशवाहा को चार लाख 1 हजार 899 वोट मिला। इस लोकसभा सीट पर भी 7 हजार 549 वोटरों ने नोटा पर बटन दबा दिया था। सलेमपुर लोकसभा सीट पर हार जीत के अंतर के 3 हजार 572 वोटो के मुकाबले नोटा को मिली वोट अगर इस सीट पर भी भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में 3 हजार 600 वोट आ जाती तो जीत उनके हिस्से में आ सकती थी लेकिन नोटा का बटन दबाने वाले वोटरों ने इस सीट पर भी हार भाजपा के रविंद्र कुशवाहा के हिस्से में लिख दी।

इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीट फूलपुर है, जिस पर हार जीत का अंतर 5000 से कम रहा यानी इस लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रवीण पटेल ने चार लाख 52 हजार 600 वोट पाकर 4 हजार 332 वोटो से कांग्रेस पार्टी के अमरनाथ मौर्या को चुनाव हरा दिया। अमरनाथ मौर्या प्रवीण पटेल के सामने बेहतर चुनाव लड़े और उन्होंने 4 लाख 48 हजार 268 वोट प्राप्त की। इस लोकसभा सीट पर भी नोटा ने कांग्रेस प्रत्याशी का खेल बिगाड़ दिया। फूलपुर लोकसभा सीट पर नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या 5 हजार 460 रही जबकि हार जीत का अंतर 4 हजार 332 वोटो का रहा। इस सीट पर भी नोटा के बटन दबाने वाले अगर कांग्रेस के हिस्से में आ जाते तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की लोकसभा सीटों की संख्या 7 हो सकती थी। इसके साथ ही छठी ऐसी लोकसभा धौरहरा रही जिस पर हार जीत का अंतर बहुत नजदीक का रहा। समाजवादी पार्टी के आनंद भदौरिया ने चार लाख 43 हजार 743 वोट पाकर भाजपा की रेखा वर्मा को 4 हजार 449 वोटो से बड़ी मामूली शिकस्त दी। रेखा वर्मा को इस चुनाव में चार लाख 39 हजार 294 वोट मिले। इस लोकसभा सीट पर भी हार जीत के अंतर से ज्यादा नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या रही। इस लोकसभा सीट पर 7 हजार 144 लोगों ने नोटा का बटन दबाकर भाजपा प्रत्याशी की किस्मत में जीत से दूरी लिख दी।

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