बाहरी प्रत्याशी पर दांव लगाकर क्या मीरापुर में फंस गई है भाजपा

बाहरी प्रत्याशी पर दांव लगाकर क्या मीरापुर में फंस गई है भाजपा

मुजफ्फरनगर। 2022 के इलेक्शन में जनपद मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा पर भाजपा ने 2017 की तरह इस बार भी बाहरी प्रत्याशी पर दांव लगाया है, जो उसे भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर में परिसीमन के बाद साल 2012 में मीरापुर विधानसभा अस्तित्व में आई थी। पूर्व की जानसठ विधानसभा एवं मोरना विधानसभा का हिस्सा मिलाकर इस विधानसभा सीट का गठन किया गया था।


2012 में इस सीट पर हुए चुनाव में बसपा के मौलाना जमील ने जीत हासिल की थी। तब भाजपा के प्रत्याशी वर्तमान में मुजफ्फरनगर जिला पंचायत के चेयरमैन वीरपाल निर्वाल चुनाव हार गए थे। 2017 में समाजवादी पार्टी ने लियाकत अली पर दांव लगाया तो भाजपा ने हरियाणा से पैराशूट प्रत्याशी अवतार भड़ाना को लाकर चुनावी मैदान में उतार दिया था। तब भाजपा के टिकट के दावेदार स्थानीय नेताओं के साथ-साथ कार्यकर्ताओं ने भी विरोध जताया था, लेकिन अनुशासित पार्टी के रूप में जाने जानी वाली भाजपा के कार्यकर्ता मामूली विरोध के साथ अपना मन मसोज कर रह गए थे। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने अवतार सिंह भड़ाना को जिताने के लिए जी जान लगा दी और नतीजा आया कि अवतार सिंह भड़ाना 193 वोटों से चुनाव जीत गए।

इधर अवतार भड़ाना चुनाव जीते उधर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई। तब मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ साथ जनता ने भी उम्मीद जगाई थी कि अब मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में बदलाव आएगा। योगी सरकार में जब अवतार सिंह भड़ाना को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली तो उन्होंने मीरापुर की जनता को बाय बाय कर दिया। अवतार सिंह भड़ाना मीरापुर विधानसभा इलाके से गायब हो गए तो मीरापुर विधानसभा की जनता ठगी सी रह गई। अब जब यूपी में 2022 के इलेक्शन की तैयारी हुई तो मीरापुर विधानसभा सीट पर भाजपा के स्थानीय नेता वर्तमान में अमित चौधरी, वीरेंद्र प्रमुख कुतुबपुर, अमित राठी जहां जाट होने के नाते टिकट की दावेदारी कर रहे थे, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता एंव पूर्व जिलाध्यक्ष यशपाल पंवार, जिला पंचायत के पूर्व सदस्य नजर सिंह गुर्जर भी गुज्जर वोटों के आधार पर अपनी दावेदारी जता रहे थे, लेकिन जब भाजपा ने स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर फिर से मीरापुर सीट पर पैराशूट प्रत्याशी के रूप में गाज़ियाबाद के प्रशांत गुर्जर को उतारा तो एक बार फिर से कार्यकर्ताओं में उबाल आ गया। लेकिन अनुशासित माने जाने वाली भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता खुलकर विरोध नहीं कर पाए और प्रशांत चौधरी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया।


भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि मीरापुर विधानसभा बनने के बाद क्षेत्र की जनता 2017 की तरह इस बार बाहरी प्रत्याशी को हजम करने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि भाजपा का कार्यकर्ता हो या वोटर वह मन से भाजपा प्रत्याशी के साथ खड़ा होता नजर नहीं आ रहा है। भाजपा ने जिस गुर्जर वोटों के आधार पर प्रशांत गुर्जर को टिकट दिया है, वहां समाजवादी पार्टी एंव रालोद गठबंधन के प्रत्याशी और रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे चंदन चौहान अपने गुज्जर सजातीय मतों में बड़ी सेंध लगा रहे हैं। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि गुर्जर बिरादरी भी आंकलन करने में जुटी है कि उनके लिए स्थानीय नेता चंदन चौहान गुर्जर मुफीद रहेंगे या पैराशूट प्रत्याशी प्रशांत चौधरी । प्रशांत गुर्जर पर मीरापुर विधानसभा की जनता कितना भरोसा करेगी, यह तो मतदान के दिन 10 फरवरी को आभास हो जाएगा और 10 मार्च को नतीजा आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि मीरापुर की जनता किस पर भरोसा जतायेगी।

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