संवैधानिक व सामाजिक मर्यादा का महत्त्व
लखनऊ। कांग्रेस में फजीहत कराने वालों में आंतरिक प्रतिस्पर्धा चल रही है। इसके शीर्ष नेता शुरू से ही अपने बयानों के लिए चर्चित रहे है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सभी प्रवक्ता भी उसी रास्ते पर हैं। इनको संवैधानिक और सामाजिक मर्यादा का भी ध्यान नहीं रहता। हद तो तब हुई जब इन्होंने देश के सर्वोच्च पद को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की। यदि ऐसी टिप्पणी एक बार होती तो उसे मानवीय भूल और भाषाई विवशता माना जा सकता था लेकिन गलती पर टोकने के बाद पुनः वही शब्द दोहराना दुस्साहस की श्रेणी में आयेगा। वस्तुतः राष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार की बड़ी पराजय और पार्टी में क्रास वोटिंग कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं हो रही है। उसने संवैधानिक मर्यादा के उल्लंघन में भी संकोच नहीं किया। इसी प्रकार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की पुत्री पर पत्रकार वार्ता करके आरोप लगाना सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन था। इन दोनों प्रकरण से कांग्रेस की स्थिति हास्यास्पद हुई है।
राष्ट्रपति पद हेतु चुनाव पहले भी होते रहे हैं। परस्पर आरोप-प्रत्यारोप भी चलते थे लेकिन निर्वाचन प्रक्रिया समाप्त होते ही इस पर विराम लग जाता था। इस बार विपक्ष सर्वोच्च संवैधानिक पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करने में विफल रहा। वैचारिक विरोध तक गनीमत थी लेकिन विपक्ष के उम्मीदवार और अन्य नेताओं में वनवासी समुदाय की महिला के प्रति सम्मान का भाव भी नहीं था। उनके विजयी होने और राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद भी अमर्यादित टिप्पणी की गई। ये वही नेता थे जो बात-बात पर संविधान और लोकतंत्र को संकट में बताते रहते हैं किन्तु संवैधानिक मर्यादाओं के पालन में इनका स्वयं ही विश्वास नहीं है। वस्तुतः ये भाजपा को मिल रही सफलता से बेहाल हैं। इनको यह समझ नहीं आ रहा है कि सत्ता पक्ष का विरोध कैसे करना है। कुनबे पर आधारित दल सरकार के विरोध में एकजुटता प्रदर्शित करने का प्रयास करते है। विचारधारा की दुहाई देते है लेकिन परिवार केंद्रित विचार से बाहर निकलना इनके लिए सम्भव नहीं होता। दूसरी तरफ द्रोपदी मुर्मू ने चुनाव प्रचार के दौरान भी मर्यादा के अनुरूप आचरण किया। वह विपक्ष के नकारात्मक प्रचार से प्रभावित नहीं हुई। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने सर्वोच्च पद की गरिमा को कायम रखा है। उन्होंने कहा था कि उनका जन्म आजाद भारत में हुआ है। उनका चुनाव इस बात का प्रमाण है कि भारत में गरीब सपने देख सकते हैं। सपने को सच भी कर सकते हैं। वह ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से आती हैं। वहां प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा था। अनेक बाधाओं के बावजूद दृढ़ संकल्प के चलते वह कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनीं। वार्ड पार्षद से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मिला है। इसका श्रेय देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को है। उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। इस निर्वाचन में देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है। इस निर्वाचन में पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उस समय की थी जब देश अपनी आजादी की पचासवीं वर्षगांठ मना रहा था।पचहत्तरवें वर्ष में उन्हें राष्ट्रपति का नया दायित्व मिला है। भारत अगले पच्चीस वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है। इन पच्चीस वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता सबका प्रयास और सबका कर्तव्य दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि भारत आज हर क्षेत्र में विकास के नए आयाम जोड़ रहा है। कोरोना महामारी के वैश्विक संकट का सामना करने में भारत ने जिस तरह का सामर्थ्य दिखाया है, उसने पूरे विश्व में भारत की साख बढ़ाई है। कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की दो सौ करोड़ डोज लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वह समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है। स्पष्ट है कि द्रोपदी मुर्मू का संबोधन पद की गरिमा के अनुरूप था। उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोच्च मानने का संदेश दिया। इससे कांग्रेस को समझना होगा। द्रोपदी मुर्मू का राष्ट्रपति पद पर आसीन होना देश के लिए गौरव का विषय है। इसमें सामाजिक समरसता और चेतना का विचार समाहित है।
उधर, कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी की बेटी को लेकर अमर्यादित आरोप लगाया। इसके लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने पत्रकार वार्ता बुलाई थी जबकि उनके पास पुख्ता प्रमाण नहीं थे। गोवा असागाव सिली सोल्स कैफे एंड बार को लेकर कांग्रेस ने बेहद गंभीर आरोप लगाए थे। उसका मालिकाना हक एक स्थानीय परिवार के पास होने की बात सामने आई है। गोवा के एक्साइज कमिश्नर के सामने इस परिवार ने कहा कि प्रॉपर्टी पर उसका एकाधिकार है। एक्साइज कमिश्नर ने प्रॉपर्टी के मालिकों मर्लिन एंथनी डीश्गामा और उनके बेटे डीन डीश्गामा को कारण बताओ नोटिस भेजा था। जवाब में उन्होंने कहा कि उन्होंने गोवा एक्साइज ड्यूटी एक्ट 1964 के नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। शिकायत में आरोप था कि बार का लाइसेंस जून में किसी एंथनी डीश्गामा के नाम पर रीन्यू किया गया जिनकी मई 2021 में मौत हो चुकी थी। कांग्रेस ने इसी को आधार बनाकर स्मृति ईरानी की बेटी पर आरोप लगाया था। इसके साथ ही उन्होने स्मृति ईरानी से त्यागपत्र की मांग भी की थी। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया था कि सिली सोल्स कैफे एंड बार का संबंध स्मृति ईरानी की पुत्री से है जबकि उनकी पुत्री की ओर से कहा गया कि न तो वह इस बार या रेस्तरां की मालिक हैं न ही इसका संचालन उनके द्वारा होता है। कांग्रेस ने कथित शो का वीडियो क्लिप दिखाया था, जिसमें ईरानी की बेटी को सिली सोल्स कैफे एंड बार रेस्तरां का मालिक बताया गया था। स्मृति ईरानी ने अपनी बेटी पर आधारहीन आरोप लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का एलान किया। उन्होने कहा जनता और न्याय की अदालत में इस इस मामले को ले जाएंगी। कांग्रेस का आरोप दुर्भावनापूर्ण है। उन्होंने व कांग्रेस को किसी भी गलत काम का सबूत दिखाने की चुनौती दी। कांग्रेस नेताओं के खिलाफ स्मृति ईरानी के दो करोड़ के मानहानि मामल में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पहली नजर में ये साबित हुआ है कि स्मृति ईरानी या उनकी बेटी के नाम पर किसी बार का लाइसेंस नहीं है न ही वो रेस्टोरेंट और बार की मालिक हैं। स्मृति ईरानी या उनकी बेटी ने कभी भी लाइसेंस के लिए आवेदन भी नहीं दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि गोवा सरकार द्वारा दिया गया शो कॉज नोटिस भी स्मृति ईरानी या उनकी बेटी के नाम पर नहीं जारी किया गया है। पहली नजर में ये लगता है कि याचिकाकर्ता स्मृति ईरानी ने जो कागजात पेश किए हैं वो उनके पक्ष को मजबूत करते हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा कि अगर कांग्रेस नेताओं द्वारा किये गए ट्वीट पोस्ट को सोशल मीडिया पर रहने देते हैं तो उससे स्मृति ईरानी और उनके परिवार की छवि को गहरा नुकसान पहुंचेगा। (हिफी)
(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)