किसान आंदोलन से जुड़े गायक हरभजन मान, चक्का जाम में 31 संगठन शामिल
नई दिल्ली।केंद्र सरकार के कृषि विधेयक के खिलाफ आज तमाम विपक्षी पार्टियों के साथ भारतीय किसान यूनियन के देशव्यापी बंद का खासा असर देखने को मिल रहा है।
संसद के दोनों सदनों से तीन कृषि बिल पास हो चुके हैं लेकिन लेकिन विरोध कम होता नहीं दिख रहा है।
उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी, सीतापुर तथा रायबरेली के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आज विभिन्न दल के नेताओं के साथ सड़कों पर उतरे । कई जगह पराली जलाई गई । पुलिस के बेहद मुस्तैद रहने के बावजूद कई जगह सड़क जाम करने का प्रयास किया गया । भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी किसान इसके विरोध में सड़क पर उतरे हैं।
कृषि बिल के विरोध में आज बंद में 31 संगठन शामिल हैं । कृषि बिल के विरोध में पंजाब के मशहूर गायक हरभजन मान, कुलविंदर बिल्ला भी शामिल हुए। किसान संगठनों के अलावा कांग्रेस, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, अकाली दल, आप, टीएमसी समेत कई पार्टी कर रही है । ग्रामीण क्षेत्रों मे इसका थोड़ा असर है। बिल पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आश्वासन के बाद भी किसानों का गुस्सा कम नहीं हो रहा है। किसान बिल ने पूरे विपक्ष को एक साथ आने का मौका दे दिया है।
लखनऊ से सटे बाराबंकी के साथ ही बागपत व मिर्जापुर में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान नेशनल हाइवे पर पराली जलाकर आगजनी का प्रयास भी किया गया है। कई जगह पर सड़क जाम करने के साथ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। हर जगह पर पर्याप्त संख्या में पुलिस के साथ पीएसी के जवान भी मुस्तैद हैं।
लखनऊ के मोहनलालगंज में बड़ी संख्या में किसान तहसील में पहुंचे। बाराबंकी में सैकड़ों की संख्या में किसानों ने अयोध्या-लखनऊ हाइवे जाम कर दिया है। किसान आंदोलन से राहगीरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। हाइवे के दोनों तरफ गाडिय़ों की लंबी लाइनें लग गईं हैं। किसानों का आरोप है कि केंद्र के कृषि बिल से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कृषि क्षेत्र भी देश के बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा। किसानों ने कहा कि तीनों विधेयक वापस लिए जाने तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
किसान अध्यादेश बिल पास होने के विरोध में रायबरेली में किसान कांग्रेस की अगुवाई में पार्टी कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं ।भारतीय कम्युनिट पार्टी के सचिव अतुल कुमार अंजान ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अब खेती भी कारपोरेट घराने के हाथ सौंपना चाहती है ।