सरकार जारी करेगी फरमान - हैलो नहीं अब वंदे मातरम्
मुंबई। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि इस विरोध के बाद शिंदे सरकार का आगे क्या कदम होता है? फिलहाल तो एकनाथ शिन्दे और उद्धव ठाकरे के बीच सेना बनाम शिवसेना का झगड़ा चल रहा है। इसका फैसला करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पीठ का गठन कर दिया है। हैलो की जगह वंदे मातरम् जैसे बदलाव एकतरफ जहाँ भाजपा के हिन्दुत्व मुद्दे को मजबूत करेंगे, वहीं एकनाथ शिन्दे की बगावत के पक्ष की सार्थकता को सिद्ध करेंगे।
महाराष्ट्र में अब भाजपा की रणनीति आगे बढती दिख रही है । कुछ दिनों पहले ही महाराष्ट्र सरकार में सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने यह घोषणा की थी कि अब से महाराष्ट्र में सभी सरकारी कार्यालयों में अधिकारी और कर्मचारी फोन पर अपनी बात की शुरुआत वंदे मातरम से करेंगे। हैलो के बजाय वंदे मातरम कहना अनिवार्य होगा। इस सिलसिले में आधिकारिक आदेश भी जल्द निकाला जाएगा। उन्होंने कहा 'हैलो' विदेशी शब्द है और इसका त्याग करना जरूरी है। वंदे मातरम सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि हर भारतीय की भावना है। महाराष्ट्र की शिंदे सरकार की तरफ से अभी सिर्फ घोषणा की गई है। इसको लेकर परिपत्रक अभी निकलना बाकी है, लेकिन उससे पहले ही विपक्ष ने आक्रामकता दिखाते हुए सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि इस विरोध के बाद शिंदे सरकार का आगे क्या कदम होता है? फिलहाल तो एकनाथ शिन्दे और उद्धव ठाकरे के बीच सेना बनाम शिवसेना का झगड़ा चल रहा है। इसका फैसला करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पीठ का गठन कर दिया है। हैलो की जगह वंदे मातरम् जैसे बदलाव एकतरफ जहाँ भाजपा के हिन्दुत्व मुद्दे को मजबूत करेंगे, वहीं एकनाथ शिन्दे की बगावत के पक्ष की सार्थकता को सिद्ध करेंगे।
महाराष्ट्र में हाल ही भाजपा की मदद से बनी एकनाथ शिन्दे की सरकार ने देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर राज्य की जनता से सुबह 11 बजे साथ मिलकर राष्ट्रगान के सामूहिक गायन में हिस्सा लेने की अपील की थी। सरकार ने कहा कि देश भर में राष्ट्रगान (जन, गण, मन) का सामूहिक गायन पूर्वाह्न 11 बजे से शुरू होकर 11.01 बजे समाप्त हो जाना चाहिए। इसी तरह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि 'वास्तविक' शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में आगामी निकाय चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। सरकार द्वारा पिछले सप्ताह सभी सरकारी कार्यालयों में फोन पर हैलो की जगह 'वंदे मातरम' बोलने की घोषणा भी की गयी थी। इसको लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। विपक्ष ने सरकार के इस फैसले को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बीजेपी वंदे मातरम का राजनीतिकरण करने के साथ-साथ ढोंग कर रही है। सरकार राज्य की मूल परेशानियों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रवक्ता चरन सिंह सप्रा ने जमकर हमला बोला। सप्रा ने कहा कि 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' तो पहले से ही बोला जाता है। सरकार, राज्य की गंभीर समस्याओं को छोड़कर वंदे मातरम को प्राथमिकता देने में लगी हुई है, इसमें उनकी छिपी हुई राजनीति है। जनता के मुद्दों पर चर्चा करने से शिंदे-बीजेपी सरकार भाग रही है। शिवसेना के उद्धव गुट के प्रवक्ता आनंद दूबे ने भी सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि वंदे मातरम तो लोग बहुत पहले से बोलते आ रहे हैं, लेकिन बीजेपी के कहने से लोग बोलने लगेंगे, यह गलत है। बीजेपी ढोंग करके वंदे मातरम का राजनीतिकरण करने में जुटी हुई है।
इसी प्रकार का मामला राष्ट्र गान को लेकर है। महाराष्घ्ट्र सरकार ने जनता से सामूहिक राष्ट्रगान में हिस्सा लेने को कहा था। सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, राज्य सरकार के सभी विभागों, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के सभी लोगों के लिए इसमें हिस्सा लेना अनिवार्य है, वहीं सभी नागरिकों से भी इस गायन में भाग लेने की अपेक्षा की जाती है। आदेश में कहा गया कि यह केन्द्र सरकार के 'स्वराज महोत्सव' का हिस्सा है। आदेश में कहा गया, 'निजी प्रतिष्ठान, व्यापारी और अन्य सरकारी विभागों, केन्द्र सरकार के तहत आने वाले सरकारी विभागों से भी इसमें शामिल होने की अपेक्षा की जाती है। छात्रों से आशा की जाती है कि राष्ट्रगान गाने के लिए वे खुले मैदानों में एकत्र होंगे।
इस तरह का माहौल निकाय चुनाव में भी काम आएगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि 'वास्तविक' शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में आगामी निकाय चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। शिंदे शिवसेना के बागी गुट का नेतृत्व करते हैं। उन्होंने ठाणे में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि बागी गुट 'वास्तविक' शिवसेना का प्रतिनिधित्व करता है। शिंदे ने कहा, 'भाजपा और शिवसेना आगामी निकाय चुनाव में ठाणे सहित सभी जगहों पर गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे।' उल्लेखनीय है कि मुंबई सहित राज्य के कई नगर निगमों में आने वाले महीनों में चुनाव होने है। ठाणे जिले के कोपरी-पाचपाखाड़ी से विधायक शिंदे ने कहा, '(शिवसेना संस्थापक) बालासाहेब ठाकरे हमेशा भाजपा-शिवसेना का गठबंधन चाहते थे। वह कभी नहीं चाहते थे कि शिवसेना का जुड़ाव कांग्रेस या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से हो। हम बालासाहेब की बातों का पालन कर रहे हैं। भाजपा और शिवसेना राज्य की सत्ता में भी है। 'मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का यह बयान ऐसे समय में आया, जब मंत्रिपरिषद में 18 मंत्रियों को शामिल करने के बाद विभागों का भी आवंटन कर दिया गया। शिंदे ने नगर विकास और 11 अन्य विभाग जहां अपने पास रखे हैं, वहीं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को अहम गृह विभाग आवंटित किए जाने के साथ ही भाजपा को कई महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए हैं।
शिंदे की घोषणा इस लिहाज से अहम है कि बागी 40 विधायकों में से कई मुंबई और महानगरीय क्षेत्रों से आते हैं और शिवसेना के पारपंरिक मराठी 'वोट बैंक' में सेंध लगा सकते हैं। ठाणे नगर निगम के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवसेना ठाणे में पिछले 25 साल से शासन कर रही है और मतदाता सही चुनाव करेंगे। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था और बहुमत हासिल किया था, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर दोनों पार्टियां अलग हो गईं। अब शिवसेना के बागी विधायक भाजपा से नजदीकी के साथ ही बाला साहेब ठाकरे की विरासत पर भी कब्जा जमाना चाहते हैं। हैलो इसमें मदद नहीं कर पाएगा जबकि वंदे मातरम् फेविकोल की तरह काम करेगा।(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)