गहलोत-सचिन तकरार थमने के आसार

गहलोत-सचिन तकरार थमने के आसार

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट को लेकर चल रही तकरार नए साल में थमने के आसार नजर आ रहे है। इसी साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में कांग्रेस का सुलहनामा भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर सकता है। भाजपा को इस बार राजस्थान में अपनी सरकार बनने की उम्मीद है। सचिन पायलट और गहलोत के झगड़े से भाजपा का लक्ष्य आसान लग रहा था लेकिन अब बताया जा रहा है कि पार्टी संगठन के बड़े नेता राजस्थान के विधायकों को फोन कर उनसे इस्तीफा वापस लेने की अपील कर रहे हैं। इसमें कई विधायकों ने हामी भर दी है। प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा इसमें खास भूमिका निभा रहे हैं । उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि प्रदेश में जल्द ही संगठन में नई नियुक्तियां होगी। साथ ही उन्होंने अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की तकरार मामले में भी खुद के स्तर पर जल्द हल निकालने का दावा किया था। वहीं बीते साल सीएम गहलोत ने बजट में मनरेगा मजदूरों के कार्यदिवस को 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने की घोषणा की थी। इसका प्रभाव भी इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड सकता है।

राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच चल रहे टकराव के बीच गहलोत समर्थक विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से दिए अपने इस्तीफे वापस लेना शुरू कर दिया है। मुख्य सचेतक एवं गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री महेश जोशी ने भी अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। बताया जा रहा है कि यह पूरी कवायद विधानसभा सत्र को लेकर हो रही है। राजस्थान में 23 जनवरी से विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। इसमें विधायकों के इस्तीफे को लेकर कोई पेंच नहीं फंसे इसलिए इस्तीफे वापस लिये जा रहे हैं। जाहिर है कि राजस्थान कांग्रेस में पिछले साल सितंबर में मचे बवाल के बाद कांग्रेस इसके डैमेज कंट्रोल में जुट गई हैं। सितंबर में 90 विधायकों के इस्तीफे दिए जाने के बाद बीजेपी के निशाने पर आई कांग्रेस की ओर से विधायकों को एकजुट करनी की रणनीति बनाई जा रही है। सूत्रों से यह भी जानकारी मिल रही है कि पार्टी संगठन के बड़े नेता राजस्थान के विधायकों को फोन कर उनसे इस्तीफा वापस लेने की अपील कर रहे हैं। दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार विधायकों की ओर से सितंबर में दिए गए इस्तीफे के बाद बीजेपी की ओर से इस संबंध में कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस मामले में कोर्ट ने 6 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया था। अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष से पूछा था कि 25 सितंबर को 91 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय लेने में क्या निष्क्रियता बरती गई। कोर्ट में जवाब देने के लिए स्पीकर को तीन हफ्ते की मोहलत दी गई। लिहाजा बताया जा रहा है कि अब अदालत की सुनवाई से ठीक दो दिन पहले कांग्रेस विधायक अपने इस्तीफे वापस लेना शुरू कर दिया है। इसके पीछे यह कारण सामने आया है विधायक अदालत के किसी भी प्रतिकूल फैसले से बचने के लिए ऐसा कदम उठा रहे हैं। इस मामले में मीडिया के सामने कांग्रेस के मुख्य सचेतक और मंत्री महेश जोशी ने भी बयान दे दिया है। उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि मुझे पता है कि विधायक इस्तीफा वापस ले रहे हैं। यह मसला विधायक और स्पीकरों के बीच का है। इस्तीफा दिए जाने वाले घटनाक्रम से सब पीछे हट रहे हैं, उनमें मैं भी शामिल हूं।

विधायकों की ओर से इस्तीफा लेने की सूचना के अलावा बड़ी खबर यह भी है कि प्रदेश कांग्रेस के संगठन में बड़े बदलाव हो सकते हैं। तीन दिन पहले राजस्थान आए प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने संकेत दे दिए थे। उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि प्रदेश में जल्द ही संगठन में नई नियुक्तियां होगी। साथ ही उन्होंने अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की तकरार मामले में भी खुद के स्तर पर जल्द हल निकालने का दावा किया था। लिहाजा बताया जा रहा है कि अब विधायको ने अदालत में सुनवाई से ठीक दो दिन पहले अपना इस्तीफा वापस लेना शुरू कर दिया है। विधायक अदालत के किसी भी प्रतिकूल फैसले से बचने के लिए और विधानसभा चुनाव को देखते हुए ऐसा कदम उठा रहे हैं।

नए साल के आगमन से पहले ही गहलोत सरकार ने अपना पिटारा खोल दिया था। राजस्थान सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत राज्य में कार्यरत संविदा कार्मिकों के मानदेय में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी कर दी धी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मनरेगा योजना के तहत राज्य में कार्यरत संविदा कार्मिकों के मानदेय में 5 प्रतिशत की वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी । यह वृद्धि 1 नवम्बर, 2022 से की गई है। इससे राज्य सरकार पर 4.10 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। गहलोत सरकार के निर्णय से योजना के तहत राज्य में विभिन्न पदों पर कार्यरत संविदा कर्मियों की आय बढ़ेगी। उनका जीवन स्तर और अधिक बेहतर होगा। उल्लेखनीय है कि गहलोत ने वर्ष 2022-23 के बजट में प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत मानदेय कर्मचारियों (जिनके मानदेय में प्रतिवर्ष वृद्धि का प्रावधान नहीं है) के मानदेय में वृद्धि के संबंध में घोषणा की थी। वहीं बीते साल सीएम गहलोत ने बजट में मनरेगा मजदूरों के कार्यदिवस को 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने की घोषणा की थी। राजस्थान सरकार की ओर से मनरेगा मजदूरों के लिए की जाने वाली इस घोषणा के बाद लगभग लाखों लोगों को फायदा होगा। राजस्थान में अभी मनरेगा में काम करने वाले कामगारों को 220 रुपए की मजदूरी मिलती थी। अब 5 प्रतिशत के इजाफे के बाद यह मेहनताना 231 हो जाएगा।

सत्तारूढ़ कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच 'खींचतान' और बयानबाजी तथा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के 'सफल' राजस्थान चरण के बीच साल2022 बीता। बीता साल राज्य के राजनीतिक पटल पर अनेक अमिट निशान छोड़ गया। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने राज्य से राज्यसभा की चार सीटों के लिए तथा एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव में अपना दम दिखाया। वहीं कोटा में छात्र आत्महत्याएं, जोधपुर जिले में रसोई गैस सिलेंडर फटने से 35 लोगों की मौत, सांप्रदायिक तनाव की छिटपुट घटनाएं, उदयपुर में कथित तौर पर मोहम्मद का अपमान करने के लिए एक दर्जी की हत्या, जैसे घटनाक्रम भी इस साल में दर्ज हुए। राजनीतिक पटल की बात की जाए तो राजस्थान के लिए बीता साल काफी 'घटना प्रधान' रहा। तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने 2020 में कुछ विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी। साल 2022 में गहलोत गुट की बारी थी जब उसने पार्टी आलाकमान के सामने अपना 'शक्ति प्रदर्शन' किया। उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी। इसे कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले राज्य के मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के तौर पर देखा गया क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। हालांकि, सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत सरकार का समर्थन किया था। तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी। अब यह विवाद पटाक्षेप की तरफ बढ रहा है। (हिफी)

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