भैंसा बुग्गी और गाड़ियों पर किसान निकाल रहे जीत का जुलूस
लखनऊ। नई कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की प्रधानमंत्री की घोषणा को किसान अपनी जीत मानते हुए जगह-जगह जश्न मना रहे हैं। गांव में ढोल और नगाड़ों से लेकर भैंसा बुग्गी व गाड़ियों पर किसानों द्वारा जीत का जुलूस निकाला जा रहा है। चारों तरफ मिठाइयां बंट रही है और किसान एक दूसरे के गले लगकर अपनी खुशी उजागर कर रहे हैं।
राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर पिछले 1 साल से किसान कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन चला रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक 1 साल के भीतर आंदोलन के तहत तकरीबन 700 किसानों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार की सवेरे प्रधानमंत्री की ओर से नए कृषि कानूनों को वापस ले जाने का ऐलान किया गया है, जिसके बाद से किसानों के भीतर खुशी का माहौल उत्पन्न हो गया है। मेरठ में किसान भैंसा बुग्गी और अपनी गाड़ियों को निकालकर सड़क पर निकल पड़े। सिवाया टोल प्लाजा पर किसानों ने अपनी जीत का जश्न मनाया और कहा किसानों को एकता के चलते जीत हासिल हुई है। उधर झांसी में महिला किसानों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया है और कहा है कि एमएसपी पर जब तक कानून नहीं बनता है उस समय तक किसानों का धरना खत्म नहीं होगा। गेहूं का एमएसपी रेट 19 रुपए 40 पैसे हैं जबकि हमारे यहां 13 एवं 14 रुपए प्रति किलो की दर से गेहूं बिक रहा है। किसानों पर तकरीबन 115 कविताएं लिखने वाले सुरेंद्र सिंह ने गाजीपुर बॉर्डर पर कहा है कि सरकार ने तमाम जख्म दिए हैं। लेकिन अभी सिर्फ एक जख्म के ऊपर मरहम पट्टी लगाई गई है। किसानों की जीत केवल एक मोर्चे पर हुई है। झांसी में किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरीशंकर बिंदा ने कहा है कि यह देश के हर किसान परिवार की जीत है। आज हमारे लिए खुशी दोगुनी हुई है। आज रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन है। लेकिन यह अधूरी कसक है। मेरठ में किसान मसीहा बाबा महेंद्र सिंह टिकैत और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के फ्लेक्स पर फूल मालाएं चढ़ाकर किसानों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है। इस दौरान किसानों ने कहा है कि यह जो जीत यूं ही नहीं मिली है बल्कि बड़ी तपस्या का फल है।