हरियाणा सरकार पर संकट के बादल- रखा अविश्वास प्रस्ताव
चंडीगढ़। हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ सदन में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूरी देते हुए चर्चा शुरू करा दी है। राज्य के पूर्व सीएम व प्रतिपक्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदन में रखे गए अविश्वास प्रस्ताव को पढ़ना शुरू कर दिया है। इस दौरान प्रस्ताव लाने वाले सभी विधायकों ने सदन में खड़े होकर अपना समर्थन जाहिर किया है।
बुधवार को सदन में रखे गये अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा ने राजधानी दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के आंदोलन का जिक्र करते हुए अपनी जान गवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी। पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा कि शोक प्रस्ताव में मृतक किसानों के नामों को शामिल क्यों नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सीमा पर नये कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के चलते 250 से अधिक किसानों की मौत हो गई है। मैंने उनके नाम प्रस्तुत किए, लेकिन मुझे यह अखबार में नहीं मिले। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसानों के आंदोलन में सीमा पर बैठी महिलाएं मुख्यमंत्री को दिखाई क्यों नहीं देती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार बहुमत की सरकार नहीं है। इसे जनता का विश्वास नहीं मिला है। किसी दूसरे दल की बैसाखी का सहारा लेकर मौजूदा सरकार सत्ता में आई है। इस दौरान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा की गठबंधन सरकार की तुलना शाह आलम के शासन से की। पूर्व सीएम ने कहा कि सरकार के मंत्री और विधायक किसानों के डर की वजह से गांव में नहीं जा पा रहे हैं। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि सीएम को किसानों के डर से पंचकूला में 26 जनवरी को झंडा फहराना पड़ा।
पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में एक राज्य के नहीं बल्कि पूरे देश के किसान शामिल होकर नए किसी कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसानों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया है। लोहे की लाठियां बरसाई गई। उनकी राह में कांटे बिछाते हुए सड़कों पर कीलें लगाए गई। लेकिन किसानों के सिर लोहे की लाठियों से फूटने वाले नहीं हैं। उन्होंने भाजपा और जजपा के घोषणापत्र में किसानों को लेकर किए गए वादों का जिक्र करते हुए सरकार को घेरा और कहा कि सरकार ने न तो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की है और न ही किसानों को बोनस दिया है। इस दौरान कांग्रेस के विधायकों ने सदन में शर्म शर्म के नारे लगाए।