कांग्रेस पार्टी का हो रहा बिखराव

कांग्रेस पार्टी का हो रहा बिखराव

लखनऊ। गोवा में कांग्रेस के 8 विधायकों ने पार्टी छोडकर भाजपा का दामन थाम लिया है। इसे कुछ लोग आपरेशन लोटस बता रहे हैं। राजनीति के शब्दों में यह आरोप है लेकिन यह आधा सच हो सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री दिगंवर कामत की इस बगावत में बड़ी भूमिका बतायी जा रही है लेकिन पूरा सच नहीं है। राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा से भी इसको नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्यों कि गोवा में 2017 के विधान सभा चुनाव के बाद भी कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। दरअसल, यह राजनीति का अधोपतन है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ठीक ही कहा कि पार्टीं में जबतक मलाई खाने को मिलती है, तब तक पार्टी ठीक रहती है और जैसे ही मलाई मिलना बन्द हो जाती है तो वही दल बुरा हो जाता है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कांग्रेस के इस संकट में भाजपा की भूमिका से इनकार किया है। हालांकि भाजपा ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर कटाक्ष जरूर किया है।

कुछ दिन पहले ही भाजपा के गोवा के प्रदेशाध्यक्ष सदानंद तनावड़े ने दावा किया है कि कांग्रेस के 11 में से 8 विधायक अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले जुलाई की शुरुआत में भी माइकल लोबो सहित 5 विधायकों के बागी होने की चर्चा थी। बता दें कि एक तरफ तो कांग्रेस की इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा चल रही है, दूसरी तरफ इस तरह की खबर सामने आई है। कांग्रेस पार्टी की यह यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और 150 दिन में 3,570 किलोमीटर का सफर तय कर जम्मू कश्मीर में इसका समापन होगा। गोवा में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले विधायक विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से मिले थे। राज्य भाजपा प्रमुख सदानंद शेत तनवड़े ने दावा किया है कि विधायक पार्टी में शामिल हो रहे हैं। गोवा में विधानसभा सत्र नहीं चल रहा है तो इन विधायकों की स्पीकर से बैठक को सामान्य नहीं माना जा रहा। गोवा विधानसभा में कुल संख्या 40 है और भाजपा सत्ता में है। जुलाई में ऐसी खबरें थीं कि शीर्ष नेता दिगंबर कामत और माइकल लोबो सहित कम से कम छह कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल होंगे। कांग्रेस ने तब स्पीकर से कामत और लोबो को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित करने के लिए कहा था। उस समय कांग्रेस अपने कम से कम सात विधायकों को अपने पास रखने में कामयाब रही, जबकि अन्य ने भी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया। पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं होने वाले चार लोगों में- लोबो और कामत के अलावा- केदार नाइक और लोबो की पत्नी दलीला लोबो शामिल थे। कांग्रेस ने विपक्ष के नेता के पद से माइकल लोबो को हटा दिया। साल की शुरुआत में चुनाव से ठीक पहले भाजपा से कांग्रेस में आए थे। गोवा में 40 विधानसभा सीटों के लिए इसी साल फरवरी में चुनाव हुए थे। एनडीए के 25 विधायक हैं और वहीं कांग्रेस के 11 एमएलए थे। कांग्रेस के 11 में से 8 विधायक बीजेपी में शामिल हो गये तो अब सिर्फ तीन विधायक बचे हैं। सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही वहां कांग्रेस के विधायकों की बेचैनी देखी जा रही है।

गोवा कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित करके उन 13 विधायकों के पार्टी में फिर से शामिल करने पर रोक लगा दी थी जो कुछ महीने पहले सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए थे। उनमें से कई को प्रमोद सावंत सरकार में मंत्री बनाया गया है। प्रदेश अध्यक्ष गिरीश चोडनकर की अध्यक्षता में प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी की बैठक में यह निर्णय किया गया। चोडनकर ने कहा कि इसी तरह के प्रस्ताव पार्टी की उत्तर और दक्षिण गोवा जिला समितियों ने भी पारित किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति को भेजा जाएगा। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस सबसे बड़ा दल था और उसे 17 सीटें मिली थीं, लेकिन कई विधायकों के भाजपा में चले जाने की वजह से उसके केवल पांच विधायक रहे गए। प्रमोद सावंत ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया था। मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए सहयोगी दल गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के तीन सदस्यों और एक निर्दलीय सदस्य को मंत्री पद से हटाया गया था। कांग्रेस के 10 विधायक कुछ दिन पहले ही बीजेपी में शामिल हो गए थे और इसके साथ ही 40 सदस्यीय सदन में भाजपा विधायकों की संख्या बढ़कर 27 हो गई थी। उनके समर्थन के बाद सावंत ने जीएफपी के मंत्रियों को हटाने का फैसला किया था। क्षेत्रीय पार्टी जीएफपी ने साल 2017 में मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाई थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्होंने जीएफपी के तीन विधायकों और एक निर्दलीय विधायक रोहन खुंटे से अपने-अपने मंत्री पदों से इस्तीफा देने को कहा था। बाद में कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले चंद्रकांत कावलेकर, फिलिप नेरी रोड्रिग्ज, एतानासियो मोन्सेराते तथा विधानसभा उपाध्यक्ष माइकल लोबो को राजभवन में शपथ दिलाई गयी। बता दें कि एक तरफ तो कांग्रेस की इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा चल रही है, कांग्रेस पार्टी की यह यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और 150 दिन में 3,570 किलोमीटर का सफर तय कर जम्मू कश्मीर में इसका समापन होगा। जुलाई में ऐसी खबरें थीं कि शीर्ष नेता दिगंबर कामत और माइकल लोबो सहित कम से कम छह कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल होंगे। कांग्रेस ने तब स्पीकर से कामत और लोबो को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित करने के लिए कहा था। उस समय कांग्रेस अपने कम से कम सात विधायकों को अपने पास रखने में कामयाब रही।

गोवा में 40 विधानसभा सीटों के लिए फरवरी में चुनाव हुए थे। मौजूदा समय में एनडीए के 33 विधायक हैं, वहीं कांग्रेस के सिर्फ 3 एमएलए बचे हैं।

गोवा में कांग्रेस के आठ विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन कर ली। दलबदल करने वाले गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने इसके बाद कहा कि उन्होंने और बाकी विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने से पहले भगवान से अनुमति ली और भगवान मान गए। दिगंबर कामत ने एनडीटीवी से कहा कि कांग्रेस में कोई लीडरशिप नहीं बची है। भारत जोड़ो का मतलब ही नहीं है, क्योंकि कांग्रेस है ही नहीं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने पार्टी नहीं छोड़ने की शपथ ली थी। मैंने महालक्ष्मी मंदिर में भगवान की शपथ ली थी कि कांग्रेस नहीं छोड़ूंगा। फिर मैंने भगवान से बात की। उन्होंने कहा कि यहां पूरी प्रक्रिया है, शिवलिंग पर पंडित जी भगवान पर फूल चढ़ाकर पूछते हैं। मुझे भगवान ने इशारा किया कि मैं बीजेपी में जाऊं। उन्होंने कहा कि मुझसे ज्यादा पूरे गोवा में भगवान को कोई नहीं मानता। मुझे कुछ बनाना है या नहीं, ये निर्णय मैंने पार्टी पर छोड़ दिया है। मैं यहां का सबसे सीनियर विधायक हूं। बता दें कि गोवा चुनाव से कुछ दिन पहले ही फरवरी में कांग्रेस उम्मीदवारों ने राहुल गांधी की उपस्थिति में वफादारी का संकल्प लिया था। अब वफादारी सिर्फ सत्ता की मलाई तक सीमित हो गयी है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

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