तिरहुत की राजनीति में ‘अजातशत्रु’ माने जाते हैं देवेश चंद्र ठाकुर

तिरहुत की राजनीति में ‘अजातशत्रु’ माने जाते हैं देवेश चंद्र ठाकुर

पटना। तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से लगातार चार बार विधान परिषद चुनाव में जीत हासिल कर तिरहुत की राजनीति में ‘अजातशत्रु’ के नाम से मशहूर देवेश चंद्र ठाकुर ने सीतामढ़ी संसदीय सीट से भी जीत का परचम लहरा दिया है।

देवेश चंद्र ठाकुर का जन्म 03 जुलाई 1953 को मां सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी में हुआ। उनके पिता अवध ठाकुर सीतामढ़ी कोर्ट में जाने-माने वकील थे। पिता चाहते थे कि बेटा देवेश भी वकील बने। तीन भाईयों में देवेश सबसे छोटे हैं। बड़े भाई उमेश चंद्र ठाकुर कर्नल हुए, दूसरे भाई डॉ. रमेश कुमार यूनाइटेड नेशन की यूनिवर्सिटी टोक्यो में वाइस चांसलर से रिटायर हुए। बहन डॉ. प्रेमा झा भागलपुर यूनिवर्सिटी में वर्ष 2006 से 2009 के बीच कुलपति रह चुकी हैं। दूसरी बहन वीणा झा हैं। देवेश चंद्र की शादी नेपाल बॉर्डर के पास भिट्ठा मोड़ की रहनेवाली रीता झा हुई है।

देवेश चंद्र ठाकुर अपनी प्रारंभिक शिक्षा सीतामढ़ी से पूरी की। इसके बाद उन्होंने पुणे के सैनिक स्कूल से आगे की पढ़ाई पूरी की।देवेश चंद्र ठाकुर ने बीए ऑनर्स की पढ़ाई फार्गुसन कॉलेज पुणे से की। इसके बाद एलएलबी की पढा़ई आईएलएस पुणे से की और फर्स्ट डिविजन से पास हुये। देवेश, हिंदी और अंग्रेजी पर समान अधिकार रखते हैं। इसके अलावा मराठी, बंगाली, मैथिली भी आराम से बोलते हैं। जब वह पुणे में पढ़ रहे थे तभी स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ने लगे। महाराष्ट्र प्रदेश यूथ कांग्रेस के वाइस प्रेसीडेंट चुने गए। वहां विलासराव देशमुख, सुशील कुमार सिंदे से काफी निकट रहे। देवेश चंद्र ठाकुर ने वर्ष 1990 में कांग्रेस से विधान सभा का टिकट रुन्नीसैदपुर के लिए मांगा लेकिन उन्हें बथनाहा से चुनाव लड़ने के लिये टिकट मिला। कांग्रेस प्रत्याशी देवेश चंद्र ठाकुर इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे।

देवेश चंद्र ठाकुर ने वर्ष 2002 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद का चुनाव लड़ा और चुनाव जीतने में सफल रहे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद ठाकुर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड (जदयू) में शामिल हो गये। वर्ष 2008 में देवेश ठाकुर जदयू के टिकट पर तिरहुत स्नातक क्षेत्र से उम्मीदवार बने और दूसरी बार विधान पार्षद बनें। उस समय ठाकुर नीतीश कुमार की सरकार में आपदा प्रबंधन मंत्री भी बने। वर्ष 2014 में श्री ठाकुर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर तीसरी बार विधान पार्षद बनें। वर्ष 2020 में ठाकुर ने तिरहुत स्नातक सीट से फिर से जदयू की ओर से बिहार विधान परिषद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वर्ष 2002 से 2020 तक उनकी कभी न खत्म होने वाली जीत के सिलसिले के कारण उन्हें तिरहुत की राजनीति का अजातशत्रु माना जाता है। यह श्री ठाकुर की लोकप्रियता का पैमाना ही है कि तिरहुत स्नातक क्षेत्र से वह निर्दलीय भी जीतने का दम रखते हैं और पार्टी के साथ भी। वर्ष 2022 में देवेश चंद्र ठाकुर बिहार विधान सभा के सभापति निर्वाचित हुये।

कार्यक्रमों में देवेश चंद्र ठाकुर जिस मंच पर रहते हैं वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके परिचय में कहते दिखते हैं' गंगा की गहराई से नेपाल की तराई तक वाले नेता हैं देवेश चंद्र ठाकुर'।देवेश चंद्र ठाकुर' को प्लांटेशन का बेहद शौक है।इनका दूसरा बड़ा शौक नॉनवेज खाना और लोगों को खिलाना है। हर सत्र के दौरान स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुने जाने वाले एमएलसी चाहे वे किसी भी दल के हों, ' केकड़ा भोज ' पर जरूर बुलाते हैं। इसके लिए मुंबई के समुंद्र से बड़े-बड़े केकड़े मंगवाते हैं और खुद से बनाकर खिलाते हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाने वाले देवेश चंद्र ठाकुर अपनी ख्याति और सेवा के लिए मशहूर होने के कारण, बिहार विधान परिषद में सभापति के पद को सुशोभित किया है। देवेश चंद्र ठाकुर अपने पिता की प्रेरणा से सामाजिक सरोकार से जुड़कर गरीब और जरूरतमंदों की सेवा करने की ठान ली। श्री ठाकुर ने प्रतिभावान छात्र-छात्राओं, खिलाड़ियों एवं गरीब बच्चों को आगे बढ़ाने और जरूरतमंदों एवं पिछड़ों के लिए काम करते रहे हैं। श्री ठाकुर अभी तक हजारों निशक्तों के बीच ट्राई साइकिल का वितरण कर चुके हैं। पटना, दिल्ली, मुंबई आदि कहीं भी गंभीर बीमारी का इलाज कराना हो अथवा उच्च शिक्षण संस्थानों में बच्चों के पढ़ाई में परेशानी हो, सभी में वह सहयोग करते रहे है। वर्ष 2012 में मुंबई में देवेश चन्द्र चंद्र ठाकुर ने बिहार शताब्दी उत्सव समारोह का भव्य आयोजन कराया, जिसमें जिसमें दो लाख से अधिक बिहारी शामिल थे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बतौर मुख्य अतिथि इस कार्यक्रम में शामिल थे। इसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी।अपने ऐच्छिक कोष से कराए गए कार्यों के अलावा जिला मुख्यालय में स्टेडियम निर्माण में अहम भूमिका के साथ- साथ समय-समय पर विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन में सहयोग, प्रत्येक वर्ष कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन कराना, बच्चों के बीच स्कॉलरशिप का वितरण कराया, स्वतंत्रता सेनानी एवं महापुरुषों की प्रतिमा अपनी निजी संसाधन से लगवाना आदि इनके मुख्य कामों में शामिल है।उन्होंने बच्चों की समुचित शिक्षा के लिए समर्पण भाव दिखाते हुए रुन्नीसैदपुर प्रखंड के अथरी गांव स्थित अपने पैतृक भवन एवं भूमि सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल को दान कर दिया।

वर्ष 2024 के आम चुनाव में सीतामढ़ी से जदयू प्रत्याशी देवेश चंद्र ठाकुर ने राजद के अर्जुन राय को 51 हजार 356 मतों के अंतर से पराजित किया और पहली बार सांसद बनें। देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि सीतामढ़ी सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर वह भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ को मजबूत और सपनों को साकार करना चाहते है। उन्होने कहा है कि भारत सरकार द्वारा मां सीता की धरती सीतामढ़ी को आकांक्षी जिला के रूप में चयन किया गया है, जिससे यहां का समुचित विकास हो सके। उन्होंने कहा कि वह यहां का चतुर्दिक विकास कराएंगे। साथ हीरेलवे की कनेक्टिविटी बढ़ाने, शिक्षा के साथ-साथ खेल एवं युवा कार्यक्रमों को बढ़ावा देने तथा मेडिकल कॉलेज के जल्द निर्माण में अपनी अहम भूमिका अदा करेंगे। इसके अलावा अयोध्या के तर्ज पर सीतामढ़ी में भी मां सीता की भव्य मंदिर का निर्माण कराएंगे। इसके अलावा सीतामढ़ी शहर के आस-पास एक और केंद्रीय विद्यालय की स्थापना एवं जिले में एयरपोर्ट बनवाने की दिशा में भी काम करेंगे।

Next Story
epmty
epmty
Top