पर्दे के पीछे ताजपोशी
पटना। राजमहली षड़यंत्र सियासत का हिस्सा बन गये हैं। हाल ही मंे ऐसा ही एक मामला बिहार में देखने को मिला है। राज्य में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) दुबारा नीतीश कुमार के नेतृत्व मंे सरकार चला रही है। राजद के सबसे ज्यादा विधायक भी हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार नीतीश कुमार को पीएम पद की दौड़ मेंशामिल करने की रणनीति बन रही है। इसके तहत मौजूदा समय मंे डिप्टी सीएम का पद संभाल रहे लालू प्रसाद यादव के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव बिहार को संभालेंगे। यहां तक तो ठीक चल रहा था लेकिन मामला आगे चलकर फंस रहा था। राजद का नेतृत्व कौन संभालेगा? उत्तराधिकार पर बड़े बेटे का अधिकार माना जाता है। इस आधार पर बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का हक बनता है। तेजस्वी यादव यह नहीं चाहते थे। इसलिए राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव बनाए गये। पिछले दिनों पार्टी का दो दिवसीय सम्मेलन पटना मंे सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन मंे लालू प्रसाद यादव ने बड़ी चालाकी से तेजस्वी यादव की पर्दे के पीछे से ताजपोशी कर दी। तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी तो घोषित नहीं किया लेकिन खुलेआम ऐलान किया कि पार्टी के नीतिगत और महत्वपूर्ण मामलों मंे तेजस्वी यादव ही बोलेंगे। दूसरी तरफ इसी सम्मेलन मंे एक प्रस्ताव यह भी पारित कराया गया कि भविष्य मंे पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न से संबंधित कोई भी फैसला लेने का अधिकार लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को ही है। मामला साफ है कि तेज प्रताप मंत्री बने रहेंगे। अब वे शिवसेना मंे एकनाथ शिंदे जैसी बगावत भी नहीं कर सकेंगे।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दो दिवसीय सम्मेलन दिल्ली में सोमवार को संपन्न हो गया। इस सम्मेलन को इसलिए भी याद किया जाएगा कि राजद अध्यक्ष लालू यादव ने पहले दिन ही साफ कर दिया कि पार्टी के नीतिगत और महत्वपूर्ण मामलों में तेजस्वी यादव ही बोलेंगे। दूसरी ओर पार्टी ने एक प्रस्ताव पारित कर लालू यादव और तेजस्वी यादव को इस बात के लिए भी अधिकृत किया कि वो भविष्य में पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न से सम्बंधित कोई भी फैसला लेने के लिए अधिकृत हैं। इसका साफ अर्थ फिलहाल तो यही लगाया जा रहा है कि भविष्य में अगर जनता दल यूनाइटेड के साथ पार्टी के विलय की बात चले तो उस समय पार्टी नेताओं की मुहर लगाने की प्रक्रिया के बिना फौरन लालू यादव या तेजस्वी यादव इस पर कोई फैसला ले सकें। इस सम्मेलन, जिसका बहिष्कार खुद बिहार राजद के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने किया, में तेजस्वी यादव के लहजे से यह साफ दिखा कि फिलहाल नीतीश कुमार पर बयान देने वाले या सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने वाले उनके पसंदीदा नहीं हो सकते। तेजस्वी ने दोनो दिन साफ किया कि अपनी मनमर्जी से बयान देने वाले दरअसल भाजपा को मजबूत कर रहे हैं। मंत्री बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफा देने से नाराज चल रहे जगदानंद सिंह को भी मनाने की उन्होंने कोई पहल नहीं की। एक तरफ जहां जगदानंद सिंह को तेजस्वी या लालू यादव ने मनाने की कोशिश नहीं की, तो दूसरी तरफ तेज प्रताप यादव ने पूर्व मंत्री श्याम रजक के खिलाफ मंच और मीडिया के जरिए हमला बोला तो अगले ही दिन लालू यादव ने श्याम रजक की नाराजगी भाँपते हुए उन्हें मनाया और पार्टी की बैठक में उनकी उपस्थिति सुनिश्चत की। वहीं तेजप्रताप यादव को पार्टी बैठक के बजाय सैफई जाने का निर्देश दिया गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार तेज प्रताप के तेवर से न तो लालू और न ही तेजस्वी सहज थे। पार्टी की इस दो दिवसीय बैठक की सबसे खास बात ये रही कि जहां लालू यादव ने अपने भाषण में केंद्रीय एजेन्सियों के छापे से न घबराने की अपील कार्यकर्ताओं से की, वहीं तेजस्वी यादव ने नेताओं और कार्यकर्ताओं से समाज में वंचित समाज (वो चाहे दलित हो या अति पिछड़ा वर्ग) के लोगों के सामने झुक कर रहने की सलाह दी, जो निश्चित रूप से जनता दल यूनाइटेड के वोटरों को साथ रखने की अपील के रूप में देखा जा रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल में काफी पहले से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। नाराज चल रहे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को मनाने की हर कोशिश अब तक असफल मानी जा रही है जिसको लेकर पशुपति पारस ने बड़ा बयान दिया था। उन्होने तेजप्रताप को सलाह देते हुए कहा है कि राजनीति में कुशल व्यवहार जरूरी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होते समय पशुपति कुमार पारस ने तेजप्रताप को सलाह देते हुए कहा कि राजनीति में कुशल व्यवहार जरूरी है। ऐसे में गलती बार-बार न करें। जगदानंद सिंह वरिष्ठ नेता कुशल प्रशासक है और उनका सम्मान जरूरी है।
बता दें कि 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर पटना स्थित राजद के कार्यालय में पूरी तैयारी कर ली गई थी, लेकिन, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के नहीं पहुंचने पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। इसके अलावा पिछले कई दिनों से जगतानंद सिंह पार्टी कार्यालय भी नहीं आए थे। कहा जा रहा है कि वे पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव के एक बयान से वह आहत हैं। तेजप्रताप यादव ने युवा राजद के एक कार्यक्रम में कहा था कि लोगों को समझना चाहिए कि कुर्सी किसी की बपौती नहीं है। आज किसी के पास है, कल किसी और के पास होगी। उन्होंने कहा था कि कि कुछ लोग हिटलर बने हुए हैं। इस बयान के बाद ही जगतानंद सिंह नाराज बताए जा रहे हैं।
बिहार के सियासी गलियारे से बड़ी खबर आई है। राजद में चल रही अंदरूनी कलह चरम पर आ गयी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस्तीफे की पेशकश कर दी। लालू प्रसाद यादव को जगदानंद सिंह ने अपना इस्तीफा वाला पत्र सौंप दिया है। अब चर्चा चल रही है कि बिहार में राजद का अगला अध्यक्ष कौन होगा। इस श्रृंखला में कई नेताओं के नाम हैं जिनमें उदय नारायण चौधरी और श्याम रजक का नाम सामने आया राष्ट्रीय परिषद की बैठक में लालू प्रसाद यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया जाएगा। उसके बाद लालू यादव बिहार प्रदेश अध्यक्ष को लेकर नया फैसला करने को स्वतंत्र हो गये।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव व बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से श्याम रजक ने गत दिनों मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद तेजस्वी ने कहा कि श्याम रजक व तेजप्रताप यादव के बीच जो कुछ हुआ वह एक गलतफहमी का हिस्सा था, उसे दूर कर लिया गया है, पार्टी में सब कुछ सामान्य है। बता दें कि दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राजद के राष्ट्रीय परिषद के खुला अधिवेशन में तेजप्रताप यादव नहीं शामिल हुए। लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र और वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री तेजप्रताप यादव ने राजद महासचिव श्याम रजक पर गाली-गलौज करने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि उनके पास इसका ऑडियो भी मौजूद है। इसे वे सोशल मीडिया पर डालेंगे और बिहार की जनता को सुनाएंगे। उन्हें बेनकाब करेंगे। तेजप्रताप दिल्ली में राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान मंच से श्याम रजक पर जमकर बरसे थे। (हिफी)