कोरोना ने समझाया पेड़ों का महत्व: आनंदीबेन पटेल

कोरोना ने समझाया पेड़ों का महत्व: आनंदीबेन पटेल

झांसी। उत्तर प्रदेश सरकार के वृहद वृक्षारोपण " वन महोत्सव कार्यक्रम " में हिस्सा लेने रविवार को वीरांगना नगरी झांसी पहुंची राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समाज, मनुष्य और अन्य प्राणियों पर वृक्षों के पड़ने वाले जबरदस्त प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि कोरोना ने हमें वृक्षों के महत्व को एक बार फिर से पहचाने का मौका दिया है।

यहां पहुंज नदी स्थित सिमरधा बांध पर आयोजित वन महोत्सव कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि पेड़ों का कितना महत्व है, जब तक कोरोना नहीं आया तब तक यह पता ही नहीं चला कि इसका प्रभाव समाज, मनुष्य और प्राणियों पर कितना पड़ता है । पेड़ों के महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में यह वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम हो रहा है। आज लगभग 25 करोड़ पौधे राज्यभर में लगाये जाने हैं, पिछले चार साल से जो यह मुहिम चली है उसमें लगभग एक करोड से अधिक पौधे लगाये गये हैं।

कोरोना काल में ऑक्सीजन के लिए मारामारी हो रही थी । अब सबको पता चला कि ऑक्सीजन आती कहां से है। हमारा जीवन बचाने के लिए ऑक्सीजन देने का काम यह पेड़ ही करते हैं और इसमें भी सबसे अधिक, 24 घंटे ऑक्सीजन देने का काम पीपल का पेड़ करता है इसलिए ज्यादा से ज्यादा पीपल के पेड लगाये जाने चाहिए। कोरोना काल में कई मीडिया रिपोर्टों में दिखाया गया कि गांवों में कोरोना संक्रमित लोग जो अस्पताल नहीं गये । वह पीपल के पेड़ के नीचे खटिया लगाये रहे ताकि ज्यादा से ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके। मुझे खुशी है पिछले तीन साल से मुख्यमंत्री राज्य सरकार के जिन कार्यक्रमों में राज्यपाल की उपस्थिति को जरूरी मानते हैं तो स्वयं राजभवन आकर उसमें शामिल होने का आमंत्रण देते हैं। उन्होंने मुझे झांसी में जाकर नदी किनारे वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम का हिस्सा बनने का न्योता दिया।

वृक्षारोपण एक क्रमिक प्रक्रिया है जो लगातार चलती रहनी चाहिए। सभी को अपने जीवन में अपने हर जन्मदिन पर एक पेड़ लगाने का संकल्प करना होगा। हिंदू संस्कृति में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी अनिवार्य है और कोरोना काल में तो इसके लिए भी लकड़ी नहीं मिल पाती थी और न जाने कहां कहां से इंतजाम करना पड़ता था और अगर नहीं मिलती थी तो क्या क्या होता था इससे भी सब वाकिफ हैं। व्यक्ति विशेष के मरने के बाद शवदाह के लिए जरूरी लकड़ी की आवश्कता को पूरा करने के लिए हर व्यक्ति पांच पेड़ लगाने का संकल्प करे ताकि जब भी जीवनचक्र थमे तो अंतिम संस्कार उन पेड़ों की लकड़ी काटकर किया जा सके। हमें ऐसा करना ही होगा। जलवायु परिवर्तन, कोरोना जैसी बीमारियां कहां से आती हैं, क्यों आती हैं, किसके माध्यम से आती हैं। यह हम सभी को अब पता चला है ।

कोरोना ने हम सभी को सिखा दिया है कि मास्क और दो गज दूरी कितनी जरूरी है। अगर आप इस नियम का पालन नहीं करोगे और संक्रमित होगे तो आपके सानिध्य में मास्क लगाकर आने वाले लोग भी संक्रमित होंगे। यह शोचनीय प्रश्न है। आप पांच लोगों को यूं ही कोरोना बांटेंगे और उनको सारी सावधानियां बरतने के बाद भी कोरोना संक्रमित करने पर जिम्मेदारी किसकी होगी। पीएम से लेकर सीएम और अधिकारी भी मास्क और दो गज दूरी की जरूरत को समझाते रहते हैं लेकिन तब तक कुछ नहीं होगा जब तक आप स्वयं सजग नहीं होंगे। अब सभी जगहें खुल रहीं हैं लेकिन हमें नियमों का उल्लंघन नहीं करना है । मेरा सभी से करबद्ध निवेदन है कि स्वयं भी मास्क पहनें और दूसरों को भी पहनने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए सबको जागरूकर होना होगा।

सरकार कोरेाना काल में आपके लिए सब करेगी लेकिन आपका इस बारे में ध्यान रखना बेहद जरूरी है। दूसरी लहर में हुई व्यापक जनहानि के पीछे भी कहीं न कहीं हमारी लापरवाही ही जिम्मेदार है इसलिए अब बेहद सर्तक रहना जरूरी है। कोरोना की तीसरी लहर के तो और भी घातक होने की आशंका है । ऐसे में आप सोंचे कि कितना सावधान रहने की जरूरत है। अपने परिवार , अपने गांव का ध्यान रखिए। यदि हर गांव सोच लें कि मेरे यहां कोई व्यक्ति बिना मास्क के बाहर नहीं निकलेगा तो कोई भी संक्रमित नहीं होगा चाहे कितना ही कोराना आये। वृक्षारोपण के कार्यक्रम में कोरोना को लेकर बरती जाने वाली सावधानियों में किसी तरह की ढिलाई अभी नहीं लाए जाने के संबंध में बताये जाने की जरूरत को ध्यान में रखते हैं मैंने अपने विचार सांझा किये हैं।

कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सरकारी योजना के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र बांटे गये और इसके बाद राज्यपाल ने पंडाल में लगायी गयी प्रदर्शनी स्टॉलों को देखा। तत्पश्चात श्रीमती पटेल ने पहूंज नदी किनारे बनायी गयी स्मृतिवाटिका में पीपल का पौधा भी रोपित किया। कार्यक्रम के बाद राज्यपाल ने सिद्धेश्वर नगर स्थित वृद्धाश्रम में लोगों से मुलाकात की और इसके बाद जिला जेल का भी निरीक्षण किया।

वार्ता

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