कांग्रेस नेतृत्व की परीक्षा
नई दिल्ली। देश की आजादी में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाली और सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस एक बार फिर नेतृत्व की परीक्षा देने जा रही है। आजादी के बाद सबसे ज्यादा वर्षों तक शासन करने वाली कांग्रेस अब तक नेहरू-गांधी परिवार के नेतृत्व में रही है। अब केन्द्र से लेकर राज्यों तक सत्ता से बेदखल होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव होने जा रहे हैं जिसमें नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य हिस्सा नहीं ले रहा है। पहले अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए हाईकमान ने ही पहल की थी लेकिन राजस्थान मंे गहलोत समर्थकों ने विद्रोह करके गहलोत का ही नुकसान कर दिया। इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के लिए आगे आए। दूसरी तरफ पूर्व अंतरराष्ट्रीय राजनयिक और प्रख्यात लेखक शशि थरूर उम्मीदवार हैं। हालांकि कहा यही जा रहा कि खड़गे हाईकमान के प्रत्याशी हैं लेकिन राहुल और सोनिया ने इससे इनकार किया है। दोनों प्रत्याशी अपने-अपने पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। शशि थरूर ने खड़गे कैम्प पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं लेकिन इतना जरूर कहा कि गांधी परिवार सभी को आशीर्वाद देता है। उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को सफल बताया है। थरूर के प्रचार में उतने समर्थक नहीं दिखते जितने मल्लिकार्जुन खड़गे का समर्थन कर हरे हैं। अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को मतदान होना है।
कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने कहा है कि पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महासचिव, प्रभारी, सचिव और संयुक्त सचिव अपने प्रभार वाले राज्यों में मतदान नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये पदाधिकारी अपने गृह राज्य अथवा पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में ही मतदान कर सकेंगे। प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने इन पदाधिकारियों को भेजे पत्र में यह बात कही है।मिस्त्री ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में गुप्त मतदान होगा और यह पता नहीं लगाया जा सकता कि किसने किसे वोट दिया तथा किस राज्य से किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले। उन्होंने यह भी कहा था कि चुनाव प्राधिकरण ने यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया है कि दोनों उम्मीदवारों के लिए समान अवसर हों।
कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में उम्मीदवार और पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि वह सामूहिक नेतृत्व में भरोसा करते हैं और पार्टी को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सभी के साथ मिलकर काम करेंगे। उत्तर पूर्व भारत के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए खड़गे ने कहा कि उनका प्राथमिक उद्देश्य पार्टी में 50 साल से कम उम्र के लोगों को विभिन्न पदों पर बैठाकर नयी ऊर्जा का संचार करने का है, जिनमें महिलाएं और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लोग होंगे। उन्होंने कहा, ''मैं सलाह-मशविरा और सामूहिक नेतृत्व में भरोसा करता हूं। मैं नहीं चाहता कि लोग मेरे पीछे चलें, बल्कि साथ में चलते हुए उनसे बात करना चाहता हूं। हम मिलकर पार्टी के सांगठनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए काम करेंगे। राज्यसभा सांसद ने यह भी कहा कि सोनिया गांधी ने उन्हें अपने घर बुलाया था और कांग्रेस का नेतृत्व करने को कहा था। मैंने उनसे कहा कि मैं तीन नाम सुझा सकता हूं लेकिन उन्होंने कहा कि वह नाम नहीं मांग रही हैं और मुझे पार्टी का नेतृत्व करने के लिए कहा है। खड़गे ने कहा कि वह चुनाव लड़ने के लिए सहमत हुए क्योंकि गांधी परिवार का कोई भी सदस्य पार्टी अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने को तैयार नहीं था। चुनाव इसलिए हो रहे हैं क्योंकि सोनिया और राहुल गांधी दोनों ने एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का वादा किया था। उन्होंने पार्टी के सदस्यों से भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होने का आग्रह किया। उन्हांेने कहा कि कांग्रेस को जवाहरलाल नेहरू की विरासत की रक्षा करनी है, जिसे पहले इंदिरा और राजीव गांधी ने आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा, ष्यह हमारा कर्तव्य है कि हम सोनिया गांधी की बात सुनें जिनके पास 20 साल तक पार्टी की कमान संभालने के बाद ज्ञान और अनुभव है। इस प्रकार खड़गे अपने को नेहरू गांधी परिवार का समर्थन उम्मीदवार साबित कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर नेहरू-गांधी परिवार के प्रति दुर्भावनापूर्ण मंशा रखने और इसके योगदान और बलिदान के प्रति कम सम्मान दिखाने का आरोप लगाया। अपने प्रचार के हिस्से के रूप में बिहार के दौरे पर आए खड़गे ने कहा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ''चुनावी लाभ के उद्देश्य से नहीं है बल्कि विभाजन की राजनीति के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई है जिसका भाजपा द्वारा कथित तौर पर प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ''भाजपा रोती रहती है कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है। यह गलत है। हमारी पार्टी में सभी निर्णय उचित परामर्श और उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद लिये जाते हैं।
उन्होंने कहा, ''भारत जोड़ो यात्रा को चुनावी लाभांश के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसका उद्देश्य उन लोगों को पराजित करना है जो धर्म, जाति, भाषाई और क्षेत्रीय पहचान के नाम पर देश को विभाजित करने पर तुले हुए हैं।
उधर, अध्यक्ष पद के दूसरे प्रत्याशी पूर्व अंतरराष्ट्रीय राजनयिक, शशि थरूर केरल के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं। थरूर अब केरल में तिरुवनंतपुरम के सांसद के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने कांग्रेस के सदस्य के रूप में इस क्षेत्र में लगातार दो चुनाव जीते हैं। उन्हें मनमोहन सिंह के प्रशासन के तहत यूपीए सरकार के मंत्रिमंडल में भी शामिल किया गया था। 1956 में लंदन में जन्मे, डॉ. थरूर ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में शिक्षा प्राप्त की, 1978 में फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी में पीएचडी पूरी की। संयुक्त राष्ट्र में एक पूर्व करियर के दौरान, उन्होंने कोफी अन्नान के संगठन के नेतृत्व में एक महासचिव, शरणार्थी कार्यकर्ता और प्रशासक के रूप में कार्य किया।
वह कहते हैं ''उदयपुर घोषणा एक ऐसी चीज है जिससे मैं और मेरे प्रतिद्वंद्वी समान रूप से बंधे हैं। मैं वादा करता हूं कि एक बार निर्वाचित होने के बाद मैं संगठन में सभी स्तरों पर 50 वर्ष से कम आयु के लोगों को 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का वादा पूरा करने का प्रयास करूंगा। इस आयु वर्ग में सभी महिलाएं, दलित, अल्पसंख्यक, सामान्य वर्ग शामिल हैं। थरूर द न्यू यॉर्क टाइम्स, द वाशिंगटन पोस्ट, गार्जियन जैसे भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों के लिए एक स्तंभकार और लेखक हैं। उन्होंने न्यूजवीक इंटरनेशनल में योगदान- संपादक और सामयिक स्तंभकार के रूप में भी काम किया। 2006 में, भारत सरकार ने थरूर को संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद के लिए नामित किया। थरूर दक्षिण कोरिया के बान की-मून के बाद दूसरे स्थान पर रहे। इस प्रकार वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की श्रेणी के विद्वान नेता हैं। (हिफी)