CM के अपने समुदाय के बीच दौरे-फिर से तेज हुए कयास
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की ओर से कर्नाटक में भले ही नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को खारिज कर दिया गया है। ऊपरी तौर से सब कुछ ठीक-ठाक दिखाई दे रहा अंदर खाने ऑल इज वेल नजर नही आ रहा है। सीएम येदुरप्पा की गतिविधियां बीते कुछ दिनों में जिस तरह से लिंगायतों के बीच बढ़ी हैं। उसे शक्ति प्रदर्शन के लिहाज से देखा जा रहा है।
उत्तर भारत की पार्टी समझी जाने वाली भाजपा के लिए दक्षिण में सत्ता प्राप्ति का पहला द्वार खोलने वाले राज्य कर्नाटक में भले ही नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को पार्टी नेतृत्व की ओर से खारिज कर दिया गया हो, मगर सीएम बीएस येदुरप्पा की गतिविधियों को देखा जाए तो बीते कुछ दिनों में उन्होंने लिंगायत मठों का दौरा करना तेज कर दिया है। मुख्यमंत्री अपने बेटे बीवाई विजेंद्र के साथ लगातार लिंगायत मठों का दौरा करते हुए धर्मगुरुओं से मुलाकात कर रहे हैं।
दरअसल कर्नाटक में एक बड़ी आबादी वाले लिंगायत समुदाय में सीएम येदुरप्पा की अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसे मजबूत करने और शक्ति प्रदर्शन के लिए मुख्यमंत्री येदुरप्पा एक बार फिर से अपने समुदाय के लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि लिंगायत समुदाय के बैक्किनाकल मठ के स्वामी मलिकार्जुन मुरुघराजेंद्र ने जिस तरह से कहा है कि लोगों को कर्नाटक में लीडरशिप में बदलाव की बात नहीं करनी चाहिए। उनके बयान का अब यह अर्थ निकाला जा रहा है कि शायद उन्होंने येदुरप्पा के पक्ष में यह बात कही है जो भाजपा नेतृत्व पर दबाव की रणनीति हो सकती है। आमतौर पर उत्तर भारत की पार्टी समझी जाने वाली बीजेपी के लिए यह दक्षिण में एक द्वार खुलने जैसा था। उससे पहले बीजेपी ने 2006 जेडीएस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन दो साल बाद यह गठबंधन टूट गया था। तब जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी पर आरोप लगा था कि उन्होंने येदियुरप्पा को सीएम पद देने से इंकार कर दिया था। इसे लिंगायत समुदाय ने अन्याय के तौर पर लिया था। इसके बाद नए हुए चुनाव में येदियुरप्पा के नाम पर वोट हुआ और वह सीएम बने।