चिराग के घर घुप्प अंधेरा-अध्यक्ष पद से हटाये गये
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी में मचे घमासान के बाद आखिरकार वही हुआ जिसके पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे। चाचा और भतीजे की लड़ाई में आखिरकार चाचा जीत गए। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर काबिज चिराग पासवान को संसदीय दल के नेता के साथ-साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया है।
उनका कहना था कि चिराग 3 पदों पर एक साथ नही रह सकते। बताया जा रहा है कि 20 जून तक पशुपति कुमार यानी चिराग पासवान के चाचा पार्टी के नए अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेंगे। वही चिराग पासवान ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। पटना में चिराग के समर्थकों ने चाचा पशुपति कुमार पारस के खिलाफ नारेबाजी और हंगामा भी शुरू कर दिया है। इस बैठक से पहले चिराग ने चाचा के नाम पर अधिक भावुक ट्वीट किया था। उन्होंने कहा कि पापा की मौत के बाद आपके व्यवहार से टूट गया। मैं पार्टी और परिवार को साथ रखने में असफल रहा। चिराग ने एक पुराना पत्र भी ट्विटर पर शेयर किया।
चिराग पासवान ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किया। लेकिन असफल रहा। पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों को मैं धन्यवाद देता हूं। एक पुराना पत्र साझा करता हूं।
दर्शन चिराग पासवान के खिलाफ पार्टी में इतनी बगावत बढ़ गई थी कि उनको आखिरकार राष्ट्रीय पद अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया। पार्टी के अंदर छिड़ी इस बगावत के पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि वे पिता रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद से सारे फैसले खुद ही लेने लग गए थे। वह किसी भी सांसद या पार्टी के पदाधिकारी से कोई राय नहीं लेते थे। बिहार में विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद चिराग पासवान ने एलजेपी के नेताओ से दूरी बना ली थी। इतना ही नहीं सांसदों से भी वे न के बराबर मिल रहे थे।
पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने चिराग पासवान पर आरोप लगाए कि हर फैसला राजनीतिक सलाहकार सौरभ पांडे की सलाह पर चिराग पासवान ले रहे थे। पार्टी सूत्रों की माने तो सौरभ पांडे की सलाह पर ही एलजेपी ने बिहार में एनडीए से बाहर जाकर चुनाव लड़ा, जिसके नतीजे सबके सामने।