मुख्यमंत्री ने की BJP की यात्रा रद्द- पुलिस ने कस्बे में कर ली थी घेराबंदी
नई दिल्ली। काशी-तमिल संगमम का सफर शुरू हो चुका है। भाजपा दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना में सत्ता प्राप्त करने के लिए जोरदार अभियान शुरू कर रही है। हैदराबाद में पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार प्रजा संग्राम यात्रा निकाल रहे थे लेकिन के. चन्द्रशेखर राव की सरकार ने इसकी आगे इजाजत नहीं दी। इन संग्राम यात्रा को 28 नवम्बर को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस संबोधित करने वाले थे। संग्राम यात्रा का यह पांचवा चरण था। यह यात्रा जहां पर सभा करने वाली थी, उसको स्थानीय प्रशासन ने साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील बताया है। इसलिए पदयात्रा और जनसभा की अनुमति नहीं दी गयी। वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि तेलंगाना सरकार ने राजनीतिक कारणों से यात्रा और जनसभा पर रोक लगायी है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसके चलते विभिन्न क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन भी किया है। तेलंगाना सरकार भाजपा की केन्द्र सरकार पर विकास में बाधा डालने का भी आरोप लगाती है। राज्यपाल तमिलिसाईं सुन्दर राजन पर भी मुख्यमंत्री ने कई आरोप लगाये हैं। केसीआर तो 2024 में केन्द्र में अपनी पार्टी की सरकार का सपना भी देखने लगे हैं।
तेलंगाना पुलिस ने गत 27 नवम्बर को बीजेपी के राज्य प्रमुख बंदी संजय कुमार को उनकी प्रजा संग्राम यात्रा के पांचवें चरण और निर्मल जिले के भैंसा शहर में एक सार्वजनिक सभा की अनुमति देने से इनकार कर दिया। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन बीजेपी नेताओं में शामिल थे जो अगले दिन जनसभा को संबोधित करने वाले थे। बंदी संजय कुमार पैदल मार्च के पांचवें चरण के लिए निर्मल जा रहे थे लेकिन उन्हें जगतियाल जिले में पुलिस ने रोक दिया और वापस जाने के लिए कहा। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने भैंसा और अन्य इलाकों में सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील स्थिति को देखते हुए पदयात्रा और जनसभा की अनुमति देने से इनकार कर दिया। वहीं, पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जगतियाल और निर्मल जिलों के विभिन्न इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया। तेलंगाना बीजेपी ने आरोप लगाया कि पुलिस कार्रवाई के दौरान पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं को चोटें आईं। कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार से मार्च और जनसभा के लिए तुरंत अनुमति देने की मांग की है। बता दें कि भैंसा शहर में पिछले साल और 2020 में विभिन्न समुदायों से संबंधित समूहों के बीच झड़पें हुई थीं। बंदी संजय कुमार तेलंगाना की भारतीय जनता पार्टी के तीसरे प्रदेश अध्यक्ष हैं। साथ ही करीमनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा के सदस्य हैं। वे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, बीबीनगर, हैदराबाद के बोर्ड सदस्य भी हैं। संजय कुमार 2014 और 2018 में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनावों में करीमनगर से बीजेपी के प्रत्याशी थे लेकिन दोनों ही मौकों पर उन्हें हार मिली। 2019 के आम चुनाव में, बीजेपी ने उन्हें करीमनगर लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा और वे 89,508 मतों के अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचे। तेलंगाना में इस प्रकार केसीआर और बीजेपी आमने-सामने आ गए हैं। पुलिस ने बीजेपी की प्रजा संग्राम यात्रा को इजाजत मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के निर्देश पर रद्द कर दी। पुलिस ने भैंसा कस्बे में घेराबंदी कर ली थी। यहां से यात्रा शुरू होनी थी।
उधर, मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हैं। तेलंगाना सरकार का विधानसभा सत्र दिसंबर में आयोजित होगा। केंद्र द्वारा तेलंगाना पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण राज्य में वर्ष 2022-23 के राजस्व संग्रह में 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कमी आई है। विधानसभा सत्र में इस विषय पर चर्चा होगी। केंद्र की भाजपा सरकार ने प्रगतिशील राज्य तेलंगाना पर अनावश्यक प्रतिबंध लगाए। इसके कारण वित्तीय वर्ष 2022-23 के राजस्व संग्रह में 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कमी आई है। इस तरह के कदमों से केंद्र तेलंगाना के विकास को रोक रहा है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने राज्य के लोगों को इसके बारे में विस्तार से सूचित करने के लिए दिसंबर के महीने में एक सप्ताह के लिए विधायी सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया है। सीएम केसीआर ने वित्त मंत्री हरीश राव और विधायी मामलों के मंत्री प्रशांत रेड्डी को इस दिशा में कदम उठाने का निर्देश दिया है। तेलंगाना सरकार राज्यपाल के खिलाफ भी एक प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रही है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के एक नेता ने कहा कि तेलंगाना सरकार दो महीने से अधिक समय पहले राज्य विधानसभा द्वारा लाए गए कई विधेयकों के प्रति राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन के कथित अड़ियल रवैये के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रही है। टीआरएस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने राज्य के विधायी मामलों के मंत्री वेमुला प्रशांत रेड्डी को दिसंबर में एक हफ्ते तक चलने वाले विधानसभा सत्र की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि इस सत्र में एक और प्रस्ताव लाया जाएगा, जिसमें केंद्र से संविधान के अनुच्छेद 200 में संशोधन के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया जाएगा। जिसमें विधायिका द्वारा पारित विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राज्यपालों को एक विशिष्ट समय सीमा तय करने का प्रस्ताव होगा, भले ही वे कुछ आधारों पर विधेयकों को स्वीकृत या अस्वीकार करने का निर्णय लेते हों। ध्यान रहे कि 14 सितंबर को तेलंगाना विधानसभा ने आठ विधेयक पारित किए थे। इनमें से एक विधेयक 15 राज्य विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों के लिए एक सामान्य भर्ती बोर्ड के गठन को लेकर है, राज्यपाल इन विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं। आठ बिलों में से सात राजभवन की ओर से लंबित हैं, जो मुख्यमंत्री राव और राज्यपाल सुंदरराजन के बीच मतभेदों के संभावित विस्तार का संकेत देता है।
राज्यपाल ने उन्हें एक विधेयक- तेलंगाना माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में जून में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित जीएसटी परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार माल और सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में कुछ और वस्तुओं को शामिल करने की मांग की गई थी। हालांकि, सात विधेेयक अभी भी राज्यपाल की सहमति का इंतजार कर रहे हैं। सात विधेयकों में वानिकी विश्वविद्यालय तेलंगाना विधेयक 2022, आजमाबाद औद्योगिक क्षेत्र (पट्टे की समाप्ति और विनियमन) (संशोधन) विधेयक 2022, तेलंगाना नगरपालिका कानून (संशोधन) विधेयक- 2022, तेलंगाना सार्वजनिक रोजगार (सेवानिवृत्ति की आयु का विनियमन)
( संशोधन) विधेयक 2022, तेलंगाना विश्वविद्यालय सामान्य भर्ती बोर्ड विधेयक 2022, तेलंगाना मोटर वाहन कराधान (संशोधन) विधेयक 2022, और तेलंगाना राज्य निजी विश्वविद्यालय (स्थापना और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2022 शामिल है। (हिफी)़