यूपी भाजपा में बदलाव और धर्मपाल का राजनीतिक धर्म
लखनऊ। सुनील बंसल ने कहा कि प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल उत्तर प्रदेश को अच्छी तरह जानते हैं। धर्मपाल के नेतृत्व में प्रदेश संगठन आगे के चरणों में प्रवेश करेगा। बंसल ने कहा कि संगठनात्मक कार्य करने के लिए उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है।
धर्म को दूसरे लोग किस नजर से देखते हैं, इस विवाद में तो हम नहीं पड़ना चाहते, लेकिन हम उसे कर्त्तव्य से जोड़ते हैं। हमारा धर्म जैसे पत्रकारिता है तो राजनेता का धर्म राजनीति है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के महामंत्री संगठन धर्मपाल सैनी को निश्चित रूप से कठिन दायित्व सौंपा गया है। उनके पूर्ववर्ती सुनील बंसल ने उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 64 सांसद दिलाये थे। इसके बाद 2022 में विधानसभा के चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 403 में 273 विधायक मिले हैं। धर्मपाल सैनी को 2024 के लोकसभा चुनाव में इस आंकड़े को और आगे बढ़ाना हैं। उन्होंने गत 23 अगस्त को लखनऊ में पहले मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट की थी। इसके बाद राष्ट्रीय महामंत्री संगठन सुनील बंसल, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के साथ प्रदेश के पदाधिकारियो के साथ भी बैठक की थी। इस बैठक के बाद धर्मपाल ने कहा था कि 80 सीटों पर चुनाव जीतने का लक्ष्य है अर्थात सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा को बिजयी बनाने की रणनीति धर्मपाल बना रहे हैं। उनका यह राजनीतिक धर्म कठिन साधना से कम नहीं होगा।
धर्मपाल सिंह में संगठन की अतुलनीय क्षमता है। छोटे से छोटे कार्यकर्ता तक उनका संवाद रहता है। कार्यकर्ता को नाम लेकर बुलाते है और उससे कुशल क्षेम पूछना नहीं भूलते। इस प्रकार सहजता का संबंध कायम हो जाता है। प्रदेश के नये महामंत्री संगठन धर्मपाल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) से लम्बे अर्से तक जुड़े रहे है। इसी संगठन से सुनील बंसल भी जुड़े हुए थे। छात्र संगठन में सबसे ज्यादा सफलता अर्जित करने वाला अभाविप पूर्ववर्ती कांग्रेसी और वामपंथी छात्र संगठनों को धराशायी करने में उसी प्रकार सफल रहा है जैसे भाजपा ने देश भर में कांग्रेस और वामपंथी दलों की सत्ता का सफाया कर दिया है।
धर्मपाल का कहना है कि भाजपा पूरे प्रदेश में सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी सर्वव्यापी और सर्वग्राही दल है। इसलिए अब उत्तर प्रदेश में सभी लोकसभा सीटों अर्थात 80 सीटों पर चुनाव जीतने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिन बूथों और क्षेत्रों में पार्टी कमजोर है, वहां मेहनत कर पार्टी को मजबूत किया जाएगा। धर्मपाल ने अपने पूर्ववर्ती सुनील बंसल की तारीफ करते हुए कहा कि प्रदेश में संगठन का बिस्तार और सुदृढ़ीकरण उन्होंने जिस तरह किया है उसका उदाहरण दूसरा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमको प्रदेश महामंत्री संगठन का दायित्व सौंपा गया है, उस पर पूरी तरह खरा उतरने का प्रयास करेंगे। लखनऊ में 23 अगस्त को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सैनी की परिचयात्मक बैठक हुई थी। हालांकि धर्मपाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अभाविप के सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर ही काफी चर्चित हुए थे। इसके बाद झारखण्ड में प्रदेश महामंत्री संगठन रहते उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी को उल्लेखनीय सफलता दिलायी। इसलिए लखनऊ में भी उनके परिचय की कोई खास जरूरत नहीं महसूस हुई।
सुनील बंसल से धर्मपाल ने अलग बातचीत भी की। बंसल ने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं को संगठन का विस्तार करते हुए अपने कार्य को स्थायी रूप देने और कार्य में गुणात्मक वृद्धि लाने का संकल्प लेकर काम करना है। नेतृत्व द्वारा सौंपे गये कार्य को पूरे समर्पण से करना होगा। बंसल ने कहा कि प्रदेश में पहले भी भाजपा का संगठन था लेकिन 2014 से सभी को एकजुट कर दिशा देने का कार्य शुरू किया गया। कार्यकर्ताओं को जब उचित दिशा मिली तो भाजपा ने 2014, 2017, 2019 और 2022 के चुनाव में भगवा फहराया है। सुनील बंसल ने कहा कि प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल उत्तर प्रदेश को अच्छी तरह जानते हैं। धर्मपाल के नेतृत्व में प्रदेश संगठन आगे के चरणों में प्रवेश करेगा। बंसल ने कहा कि संगठनात्मक कार्य करने के लिए उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है।
उत्तर प्रदेश बीजेपी में संगठन की कमान महामंत्री संगठन धर्मपाल सैनी को सौंपी गयी है। सुनील बंसल ने उत्तर प्रदेश में 8 साल रहते हुए जिस तरीके से कामयाबी की नई इबारत लिखी थी, उसके बाद अब धर्मपाल सैनी के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है और माना जा रहा है कि ये राह इतनी आसान नहीं है।
धर्मपाल सैनी को झारखंड की बजाय अब उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है। धर्मपाल सैनी ने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है सुनील बंसल ने आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश में जीत की नई इबारत लिखी उस रिकॉर्ड को मेंटेन रखना नए प्रदेश महामंत्री संगठन के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। हालांकि धर्मपाल सैनी उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले हैं। अभाविप में पहले उत्तर प्रदेश में पश्चिम क्षेत्र में काम भी किया है और इन अनुभवों का फायदा उन्हें जरूर मिलेगा।
2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में 80 में 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है लेकिन 2014 और 2019 में जब बीजेपी ने यूपी में शानदार सफलता हासिल की थी तब भी 80 सीटें जीत पाने का सपना अधूरा रह गया था। वही 2024 तक सरकार के खिलाफ जो एन्टी इनकंबेंसी का माहौल होगा उससे निपटना भी एक बड़ी चुनौती होगी। साथ ही साथ सांसदों के क्षेत्र में लोगों की जो नाराजगी है, उसे कैसे कम करेंगे यह भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। वहीं पार्टी के संगठनात्मक विस्तार में जाति और क्षेत्रीय समीकरण के संतुलन को बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती होगी। 2022 के विधानसभा चुनाव में ऐसा भी देखने को मिला है कि ओबीसी का एक बड़ा तबका पार्टी से संतुष्ट नहीं है ऐसे में उन्हें अपने साथ कैसे लाएंगे यह भी देखना होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा और आरएलडी का गठबंधन और किसानों का लगातार विरोध भी लोकसभा चुनाव में अहम मुद्दा होगा। जब बोर्ड निगम में कार्यकर्ताओं का एडजस्टमेंट किया जाएगा तब कार्यकर्ता असंतुष्ट न हों यह भी काफी महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा सहयोगी दल भी इससे कहीं नाराज न हों, यह भी एक बड़ी चुनौती होगी। इन सबके अलावा सबसे बड़ी चुनौती सरकार और संगठन के बीच सामंजस्य बनाकर रखने की होगी।
झारखण्ड में लोकसभा चुनाव के समय धर्मपाल ऐसी ही चुनौतियों का सामना कर चुके हैं। इसलिए उन्हंे भरोसा है कि उत्तर प्रदेश में अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे।
(हिफी)मनीषा स्वामी कपूर-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)