गुर्जर मतों में प्रशांत के मुकाबले चंदन चौहान की हो सकती है बड़ी सेंध

गुर्जर मतों में प्रशांत के मुकाबले चंदन चौहान की हो सकती है बड़ी सेंध

मुजफ्फरनगर। जनपद की मीरापुर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दो गुर्जर प्रत्याशी आने के बाद से दिलचस्प बना हुआ है। सपा रालोद गठबंधन एवं भाजपा के बीच गुज्जर मतों में सेंधमारी करने में स्थानीय होने के कारण गठबंधन प्रत्याशी चंदन भारी पड़ रहे हैं जबकि प्रशांत का बाहरी होना उनकर लिए संकट पैदा कर रहा है।


गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर जनपद की मीरापुर विधानसभा पर मुस्लिम, गुर्जर एवं जाट मतदाता प्रत्याशी की जीत में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। यही वजह है कि जहां बिजनोर लोकसभा सीट जिसका मीरापुर विधानसभा सीट भी हिस्सा है, में 2009 में रालोद के सिंबल पर संजय चौहान तो 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जाट बिरादरी के कुंवर भारतेंदु सिंह ने जीत हासिल की थी।

2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गुर्जर करतार सिंह भड़ाना ने समाजवादी पार्टी के लियाकत अली को हराकर जीत हासिल की थी । 2017 में विधायक बनने के बाद करतार सिंह भड़ाना ने मंत्री नही बनने के बाद मीरापुर को अलविदा कह दिया था। तब से इस विधानसभा क्षेत्र के गुर्जर और जाट मतदाताओं के साथ-साथ भाजपा का कार्यकर्ता भी मायूस हो गया था।


2019 के लोकसभा चुनाव में इस बिजनौर लोकसभा सीट पर जहां भाजपा ने कुंवर भारतेंदु सिंह को प्रत्याशी बनाया तो वहीं बसपा ने पैराशूट प्रत्याशी मलूक नागर को लाकर चुनाव में उतार दिया था। तत्कालीन सांसद से नाराज इस इलाके की जनता एंव गुर्जर समाज ने पैराशूट प्रत्याशी होते हुए भी गुर्जर बिरादरी के मलूक नागर को इसलिए जीता दिया था कि शायद करतार सिंह भड़ाना की तरह मलूक नागर मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के सभी मतदाताओं के साथ-साथ गुर्जर समुदाय के लिए भी काम करेंगे, मगर जीतने के बाद करतार सिंह भड़ाना की तरह मलूक नागर ने भी बिजनौर लोकसभा के साथ-साथ मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों से भी अपना कनेक्शन काट लिया। यही वजह है कि अब जब सपा रालोद गठबंधन से चंदन चौहान गुर्जर स्थानीय होने के कारण मैदान में हैं तो वही भाजपा ने फिर से पैराशूट प्रत्याशी के रूप में प्रशांत गुर्जर को मैदान में उतार दिया है।

2022 के इलेक्शन में बाहरी बनाम स्थानीय की लड़ाई में चंदन चौहान गुर्जर समाज में इसलिए भी भारी पड़ रहे हैं कि इस इलाके से उनके दादा नारायण सिंह दो बार विधायक तो उनके पिता संजय चौहान एक बार विधायक एंव एक बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि भाजपा के प्रशांत गुर्जर ने खुद को स्थानीय साबित करने के लिए मीरापुर विधानसभा में अपने नाम से कुछ बीघे जमीन भी खरीदी है ताकि उन पर बाहरी होने का ठप्पा हट सके। बताया जा रहा है कि गुर्जर समाज का भरोसा करतार सिंह भड़ाना और बिजनौर के सांसद मलूक सिंह नागर को वोट देकर उठ चुका है, क्योंकि जीतने के बाद दोनों ही जनप्रतिनिधि मीरापुर विधानसभा से नदारद रहे हैं। अब यह तो 10 मार्च को ही तय हो पाएगा कि गुर्जर समुदाय चंदन को चाहता है या फिर प्रशांत पर ही भरोसा प्रकट करेगा।

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