दुकानों पर नाम लिखने का मामला- RLD हुई दोफाड- मंत्री और अध्यक्ष...

दुकानों पर नाम लिखने का मामला- RLD हुई दोफाड- मंत्री और अध्यक्ष...

मुजफ्फरनगर। श्रावण मास की कांवड़ यात्रा-2024 के दौरान कांवड़ यात्रा मार्गो पर खुले होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट तथा अन्य खाने पीने की सभी दुकानों पर दुकानदार का नाम लिखे जाने के मामले को लेकर राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं के अपने-अपने स्टैंड बन गए हैं। राष्ट्रीय लोकदल के कोटे से कैबिनेट मंत्री बने विधायक जहां इसे पुरानी व्यवस्था बता रहे हैं, वहीं प्रदेश अध्यक्ष ने इसे सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला आदेश करार दिया है।

दरअसल आगामी 22 जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत के साथ की कांवड़ यात्रा- 2024 आरंभ होने जा रही है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग स्थान पर गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों का जल कांवड़ में लेकर श्रद्धालु पदयात्रा करते हुए उससे भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शिव भक्त उत्तराखंड की तीर्थ नगरी हरिद्वार के अलावा बृजघाट से गंगाजल लेकर अपने आराध्य का जलाभिषेक करने के लिए विभिन्न देवालयों में जाते हैं।

आधिकारिक रूप से कांवड़ यात्रा सावन की शुरुआत के साथ आरंभ हो जाएगी। लेकिन दूर दराज के क्षेत्र में जाने वाले शिव भक्तों ने अभी से गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है। कांवड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने की चीजों को लेकर किसी तरह की घटना नहीं हो, इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन की ओर से कांवड़ यात्रा मार्ग पर खुले होटल, ढाबों एवं रेस्टोरेंट तथा अन्य खाने-पीने की चीजों की दुकानों पर दुकानदारों को अपना और कारीगर का नाम लिखने के निर्देश दिए हैं।

किसी भी तरह की अनहोनी घटना को टालने के लिए प्रशासन की ओर से जारी किए गए इन आदेशों को अब नेताओं ने अपनी राजनीति का माध्यम बना लिया है। जिसके चलते विपक्षी दल मुखर होते हुए अपने-अपने हिसाब से इसके लाभ और नुकसान बता रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के तौर पर शामिल राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं ने भी इस मामले को लेकर अपने बयान जारी किए हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं पुरकाजी विधानसभा सीट के विधायक अनिल कुमार ने जहां दुकानों पर नाम लिखने की व्यवस्था को पुरानी व्यवस्था करार देते हुए इसे विवादों को टालने वाला फैसला बताया है, वहीं राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने ट्विटर पर की गई पोस्ट में इसे लेकर अपनी ही सरकार के ऊपर ही अपना निशाना साधा है। आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष ने दुकानों पर नाम लिखने के आदेश को सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाला आदेश करार दिया है। उनका कहना है कि दुकानों पर नाम और धर्म लिखना गैर संवैधानिक है। इस अनुचित आदेश को प्रशासन द्वारा वापस लिया जाना चाहिए।

उधर आम जनमानस का कहना है कि दुकानों पर पहले से ही दुकानदारों द्वारा प्रोपराइटर का नाम लिखने की परंपरा रही है। अनेक दुकानों पर इस आदेश से पहले ही उनके प्रोपराइटर के नाम लिखे देखे जा सकते हैं। आम जनमानस का कहना है कि प्रशासन को दुकानों के नाम लिखने की व्यवस्था शायद इसलिए करनी पड़ी है क्योंकि हाईवे समेत अन्य सड़कों किनारे खुली खाने पीने की चीजों के दुकानों के नाम कुछ इस प्रकार से रखे गए हैं जो लोगों के बीच भ्रम पैदा करते हैं। भ्रम की यह स्थिति खुद दुकानदारों द्वारा उत्पन्न की गई है।

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