'पिछड़ों' को लेकर बसपा भाजपा आमने सामने
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग को अपने पक्ष में करने के लिये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच वाकयुद्ध चरम पर है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार सुबह पिछड़े वर्ग की जातीय जनगणना कराने से मना करने पर केन्द्र की भाजपा सरकार की आलोचना की जबकि शाम होते होते सुश्री मायावती के कभी निकट सहयोगी रहे और अब योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा सुप्रीमो पर राजनीति से पिछड़ों के अस्तित्व खत्म करने का आरोप लगाया।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया " केन्द्र सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना कराने से साफ तौर पर इन्कार कर देना यह अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय, जो भाजपा के चुनावी स्वार्थ की ओबीसी राजनीति का पर्दाफाश व इनकी कथनी व करनी में अन्तर को उजागर करता है। सजगता जरूरी।"
उन्होने कहा " एससी व एसटी की तरह ही ओबीसी वर्ग की भी जातीय जनगणना कराने की माँग पूरे देश में काफी जोर पकड़ चुकी है, लेकिन केन्द्र का इससे साफ इन्कार पूरे समाज को उसी प्रकार से दुःखी व इनके भविष्य को आघात पहुँचाने वाला है जैसे नौकरियों में इनके बैकलॉग को न भरने से लगातार हो रहा है।"
बसपा प्रमुख के ट्वीट का जवाब देते हुये कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाया कि मायावती ने यूपी की राजनीति से पिछड़ों और दलितों का अस्तित्व खत्म करने की साजिश रची। उन्होने कहा कि पिछड़े वर्ग से आने वाले दर्जनों नेताओं को न सिर्फ पार्टी से निकाला बल्कि सत्ता में रहते हुए उनको प्रताडि़त भी किया। अब चुनाव नजदीक हैं तो पिछड़ों और दलितों को लेकर फर्जी चिंता जता रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह दिलचस्प है कि वो पिछड़ों के संरक्षण को लेकर चिंता जता रही हैं जबकि सत्ता में रहते हुए उन्होंने पिछड़ों और दलितों के लिए कुछ भी नहीं किया। मौर्य ने कहा कि बसपा प्रमुख ने सरकार में रहते हुए सिर्फ मुख्तार जैसे माफियाओं के संरक्षण का ही ध्यान दिया। वह अंसारी को 'रॉबिनहुड' कहकर बुलाती थीं। पिछड़ों के साथ हमेशा दुर्व्यवहार करने वाली मायावती अब उनमें वोट बैंक तलाश रही हैं।
वार्ता