टूटी परंपरा एक बार फिर भाजपा सरकार-सीएम खुद हारे दल को जीत
देहरादून। विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में मतदाताओं ने पहली बार राज्य में दोबारा से मौजूदा सरकार को सत्ता नहीं देने की परंपरा को तोड़ दिया है। उत्तराखंड में पहली बार दोबारा से भाजपा सरकार सत्तारूढ़ होने जा रही है। परंतु राज्य में बीजेपी को जीत दिलाने वाले मुख्यमंत्री स्वयं की सीट नहीं बचा सके हैं।
बृहस्पतिवार को हुई विधानसभा चुनाव की मतगणना में स्थानीय एवं राष्ट्रीय मुद्दों का असर साफ दिखाई दिया है। पहाड़ के भीतर भी मोदी मैजिक मतदाताओं पर अपना असर दिखाने में सफल रहा है। वहीं मैदानी इलाकों में महंगाई और किसान आंदोलन जैसे मुद्दों ने अपना असर दिखाया है। 2017 के चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी की ओर से उत्तराखंड में तीन मुख्यमंत्री बदले गए, जिसके चलते सबसे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी गई। लेकिन वह अपनी कार्यशैली के चलते कार्यकर्ताओं एवं विधायकों को अपने पक्ष में नहीं रख सके। जिसके चलते कार्यकर्ताओं एवं विधायकों में बढी नाराजगी के चलते 4 साल बाद त्रिवेंद्र रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा। बाद में पुष्कर सिंह धामी को चुनाव से 8 महीने पहले मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने राज्य में अपनी सक्रियता दिखाई और बीजेपी को वापस मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया। हालांकि पुष्कर सिंह धामी खुद चुनाव जीतने में असफल रहे हैं।