समान नागरिक संहिता पर बीजेपी का एक और सहयोगी दल बिदका

समान नागरिक संहिता पर बीजेपी का एक और सहयोगी दल बिदका

नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता कानून लाने की तैयारी कर रही भारतीय जनता पार्टी का एक और सहयोगी दल बिदक गया है। भारतीय जनता पार्टी को झटका देते हुए एआईएडीएमके ने भारत सरकार से समान नागरिक संहिता के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं किए जाने का आग्रह किया है। पार्टी का मानना है कि समान नागरिक संहिता कानून भारत के अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

बुधवार को भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और तमिलनाडु में सहयोगी एआईएडीएमके ने समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए कानून को लाने की तैयारी में लगी केंद्र सरकार को झटका देते हुए कहा है कि समान नागरिक संहिता को लेकर संविधान में कोई संशोधन नहीं किया जाए। पीएम से मुलाकात कर सौंपी गये पत्र में पार्टी का मानना है कि समान नागरिक संहिता कानून भारत के अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।


उल्लेखनीय है कि एडीआईडीएमके केंद्र और तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी का सहयोगी दल है और उसके सांसद भी केंद्र में मंत्री हैं। नगालैंड की नेशनल पीपुल्स पार्टी के बाद एआईएडीएमके भाजपा की सहयोगी ऐसी दूसरी पार्टी है जिसने यूसीसी को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है। अब देखने वाली बात यह रह गई है कि विरोध में उतर रहे अपने प्रमुख सहयोगी दलों को भारतीय जनता पार्टी किस प्रकार से मैनेज करते हुए उन्हें यूसीसी लागू करने के लिए मना पाती है।

इससे पहले नागालैंड में भारतीय जनता पार्टी की एक और सहयोगी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। उल्लेखनीय है की विधि आयोग ने 14 जून को समान नागरिक संहिता कानून को लेकर जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से उनके विचार मांगने की कवायद शुरू कर दी थी। कहा जा रहा है कि समान नागरिक संहिता बिल आने वाले संसदीय सत्र में पेश किया जा सकता है।

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