महाराष्ट्र में खेल बिगाड़ने के लिए फडणवीस ने फेंका पासा
मुंबई । महाराष्ट्र की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस के एक बयान ने नई गरमाहट ला दी है। फडणवीस ने दावा किया था कि शरद पवार ने दो साल पहले मिलकर गठबंधन सरकार बनाने का ऑफर दिया था। उधर कांग्रेस के साथ पहले से शिवसेना की रस्साकशी चल रही है। फडणवीस ने कहा है कि एनसीपी दो साल पहले बीजेपी के साथ हाथ मिलाना चाहती थी, जब मैं मुख्यमंत्री था।
फडणवीस ने दावा किया कि एनसीपी दो साल पहले ही बीजेपी के साथ आना चाहती थी। इस सिलसिले में बैठकें भी हुई थीं। फडणवीस ने हालांकि यह भी कहा कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने साफ कर दिया था कि शिवसेना की रजामंदी के बिना ऐसा कदम नहीं उठाया जा सकता। फडणवीस की बात में इसलिए दम दिखता है, क्योंकि उस दौर में शिवसेना और बीजेपी में जबरदस्त अनबन चल रही थी। ऐसे में एनसीपी को सत्ता में आने का मौका मिल सकता था। वैसे भी महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज शरद पवार की चालों को समझना आसान नहीं है। फडणवीस का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब महा विकास अघाड़ी में शक्ति संतुलन बिगड़ता दिख रहा है। राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार के फैसलों में कांग्रेस की भूमिका नहीं है। हालांकि बाद में राहुल और उद्धव ठाकरे के बीच फोन पर बात हुई और राहुल ने कहा कि हम हर फैसले में आपके साथ हैं। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण ने भी इसी तरह का बयान दिया।
दरअसल महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार भले ही बना ली हो, दोनों पार्टियों के बीच वैचारिक मतभेद उभर आते हैं। राहुल गांधी ने इससे पहले कहा था कि वह राहुल सावरकर नहीं हैं। दरअसल, बीजेपी के खिलाफ दिए रेप इन इंडिया बयान पर राहुल ने कहा था कि उनका नाम राहुल सावरकर नहीं है, वह कभी माफी नहीं मांगेंगे। इस पर शिवसेना के सीनियर नेता संजय राउत ने नसीहत दे डाली कि नेहरू-गांधी की तरह सावरकर भी देश के गौरव हैं, उनका अपमान नहीं होना चाहिए। उधर अशोक चव्हाण ने कहा था कि शिवसेना और कांग्रेस के बीच अनबन के लिए ब्यूरोक्रेट जिम्मेदार हैं। 18 जून को उद्धव के साथ थोराट और चव्हाण की मीटिंग हुई और थोराट ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन से नाराज नहीं है।