इस सीट के जरिये SP पर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने के फिराक में BJP
इटावा/ मैनपुरी। समाजवादी पार्टी के मजबूत किले के तौर पर माने जाने वाले मैनपुरी के करहल में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को घेरने की भारतीय जनता पार्टी की रणनीति के निहितार्थ तलाशे जाने लगे है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक गुरु नत्थू सिंह यादव की सीट से पहली दफा विधानसभा चुनाव लड़ रहे अखिलेश यादव की मजबूत घेराबंदी सत्तारूढ़ भाजपा की सपा के खिलाफ मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की रणनीति का एक अहम हिस्सा हो सकता है। 20 फरवरी को तीसरे चरण के मतदान में इस सीट का फैसला मतदाता करेंगे। यादव लैंड में अखिलेश के चुनावी रण में उतरने के ऐलान के साथ माना जा रहा था कि भाजपा इस सीट पर औपचारिकता निभाने के लिये कमजोर प्रत्याशी उतार कर सपा अध्यक्ष को आसान जीत का मौका दे देगी मगर कयासों के विपरीत भाजपा ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुये अपने कद्दावर केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल को टिकट थमा कर अपने आक्रामक रवैये का संकेत दे दिया था। इतना ही नहीं करहल में राजनीति के चाणक्य कहे जाने गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य नेताओं ने ताबड़तोड़ जनसभा कर सपा मुखिया को करहल में प्रचार करने के लिये लौटने पर विवश किया।
जानकारों के मुताबिक इस सीट का मिजाज ऐसा नही माना जा है कि सपा के मुकाबले भाजपा को कामयाबी मिलती दिख रही हो मगर भाजपा की आक्रामक नीति के चलते अखिलेश के लिये वोट मांगने उनके पिता एवं पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव को करहल की धरती पर उतरना पड़ा। यहां दिलचस्प है कि करहल के जरिये देश के प्रतिष्ठित यादव परिवार को अपनी एकता दिखाने का भी अवसर मिला जो भाजपा की पेशानी में बल डालने वाला हो सकता है। राजनीति से विरत रह कर खेती किसानी में मन लगाने वाले अखिलेश के चाचा अभय राम यादव, पीएसपीएल के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव,सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के अलावा भाई धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप यादव समेत सैकड़ो प्रमुख लोग अखिलेश के लिए एक मंच पर खड़े नजर आये।
परिवार का हर सदस्य चाहता है कि अखिलेश रिकॉर्ड मतों से करहल विधानसभा सीट से जीत करके पहली दफा विधानसभा में पहुंचे लेकिन भाजपा की मजबूत घेराबंदी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव प्रचार के आख़िरी दिन खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा उम्मीदवार एस पी सिंह बघेल के लिए वोट मांगने उतरे और मुलायम परिवार पर गंभीर आरोप लगाकर के अखिलेश को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल पर हुए कथित हमले के बाद भाजपा के तेवर और तल्ख हुये है मगर सपा के नेता मानते हैं कि एसपी सिंह बघेल ने खुद पर हमला करवा कर सपा को बदनाम करने और जनता से सहानुभूति लेने की कोशिश की है। जब बघेल को केंद्रीय स्तर की सुरक्षा मिली हुई है तो आखिरकार ऐसे में उनके ऊपर हमला कैसे संभव है।
करहल में यादव मतदाताओं की बहुतयात होने के बावजूद बघेल को जातीय समीकरण के आधार पर अपनी जीत का पूरा भरोसा है। उनका कहना है कि करहल विधानसभा सीट का जातीय समीकरण ऐसा है जिसके आधार पर उनकी जीत को कोई नही रोक रहा है। योगी को यकीन है कि करहल से अखिलेश यादव किसी भी सूरत में नहीं जीत सकते हैं । उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तो कह दिया कि करहल सीट से हारने के बाद अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी समाप्त पार्टी में तब्दील हो जाएगी। अमित शाह समाजवादियों को अपराधियों का संरक्षक और अपराधियों का मददगार बता कर के अखिलेश यादव को घेरने की बात कह कर के एसपी सिंह बघेल के लिए वोट मांगते हुए दिखाई दिए हैं।
इस सीट पर सबसे ज्यादा असर तो अखिलेश यादव के चाचा पीएसपीएल के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के उनको अपना नेता मान करके उत्तर प्रदेश का एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाने की बात से पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। शिवपाल के समर्थक कभी अखिलेश से नाराज हुआ करते थे, वह आज की तारीख में समाजवादी झंडा उठाकर के अखिलेश की बड़ी जीत के लिए तत्पर हो गए हैं।
प्रो.रामगोपाल यादव मतदान से पहले से अखिलेश यादव की जीत को सुनिश्चित करते हुए बताते हैं कि पता नहीं क्या सोच कर के भाजपा के सभी नेता करहल विधानसभा सीट पर राजनीति कर रहे हैं। इस सीट से अखिलेश की रिकॉर्ड मतों से जीत होगी जो 10 मार्च को नतीजे के तौर पर हर किसी को दिखाई देगी।
करहल विधानसभा क्षेत्र मुलायम के राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थू सिंह यादव का गृह क्षेत्र है। नत्थू सिंह ने 1967 में जसवंतनगर की विधानसभा सीट मुुलायम सिंह यादव को सौंप दी थी। पहली बार मुलायम सिंह यादव यहीं से विधानसभा पहुंचे।
राजनीतिक विश्लेषक उदयभान सिंह यादव ने कहा कि इटावा से मैनपुरी तक समाजवादियों का गढ़ माना जाता है । इलाके में मुलायम सिंह के परिवार की गहरी पैठ दिखती है और बीजेपी का कोई नामलेवा नजर नहीं आता। करहल में कुल तीन लाख 71 हजार वोट है जिनमे यादव एक लाख 44 हज़ार, शाक्य 35 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, लोधी 11 हजार, मुस्लिम 14 हजार, ब्राह्मण 14 हजार, जाटव 34 हजार है।
करहल सीट सपा के गठन से ही उसका गढ़ रही है। तीन दशक से पार्टी का सीट पर कब्जा है। यहां 38 फीसदी यादव हैं। करहल विधानसभा में साल 2017 में कुल 49.57 फीसदी वोट पड़े थे। सपा के सोबरन सिंह यादव को यहां 1 लाख 4 हजार 221 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी की रमा शाक्य को 65 हजार 816 लोगों ने मतदान किया था। तीसरे नंबर पर बीएसपी के दलवीर रहे, जिन्हें 29 हजार 676 वोट मिले।