चीन को करारा जवाब
नई दिल्ली। शी जिनपिंग के होश ठिकाने पर नहीं लग रहे हैं। जिनपिंग के चहेते जनरल ने ही यह घटिया हरकत करायी है। भारत ने चीन की घुसपैठ को करारा जवाब दिया है। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन कर रहे चीन के लगभग तीन सौ सैनिकों को भारतीय जवानों ने पीछे धकेल दिया है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीन की नापाक साजिश को विफल करते हुए भारत के भी लगभग आधा दर्जन जवान घायल हो गये लेकिन चीन का लगभग दो गुना नुकसान हमने किया है। वेशर्म चीन को पुरानी मार भी याद नहीं रहती है। लगभग दो साल पहले 15 जून 2020 में गलवां घाटी में हमने चीन के 40 सैनिक मार गिराये थे। चीन की सरकार ने पहले यह बात छिपायी थी लेकिन छिप नहीं सकी। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कोरोना को लेकर सख्त प्रतिबंध लगाया था और इसी के चलते एक अस्पताल में कितने ही मरीज भस्म हो गये। इसी के बाद वहां प्रतिबंधों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए और शी जिनपिंग से इस्तीफे की मांग तक की गयी। उधर, ताइवान ने चीन के खिलाफ जबर्दस्त मोर्चा खोला है। अब भारत के खिलाफ घटिया हरकतें चीनी सैनिक कर रहे हैं तो कहीं यह कार्रवाई शी जिनपिंग के लिए ताबूत में आखिरी कील न साबित हों। अरुणाचल प्रदेश के आकाश में भारतीय वायुसेवा ऐक्टिव कॉर्म्बेट पैट्रोल उड़ाने भर रही हैं ताकि चीन अगर वायु सीमा का उल्लंघन करता है तो उसे तत्काल जवाब दिया जा सके। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस मामले को लेकर जवाब दिया है। विपक्षी दलों विशेष रूप से कांग्रेस को ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर देश को प्राथमिकता पर रखकर बयान देना चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को अरुणाचल प्रदेश के तवाग में हुई घटना के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा 9 दिसंबर 2022 को चीनी सेना (पीएलए) के जवानों ने यथा स्थिति को बदलने की कोशिश की लेकिन हमारी सेना ने दृढ़ता से उनका सामना किया। इस दौरान हाथपाई भी हुई। भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट में वापस भेज दिया। इस दौरान हमारी सेना के किसी जवान की न तो मौत हुई और न कोई घायल हुआ। इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं भौमिक अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
चीनी घुसपैठ को करारा जवाब देते हुए अरुणाचल प्रदेश के आकाश में भारतीय वायुसेना एक्टिव कॉम्बैट पैट्रोल उड़ानें भर रही है, ताकि चीन द्वारा वायुक्षेत्र उल्लंघन को रोका जा सके। हालिया हफ्तों में अरुणाचल प्रदेश के वायुक्षेत्र में चीन द्वारा किए जा सकने वाले उल्लंघनों को रोकने के लिए लड़ाकू विमानों को दो-तीन बार उड़ानें भरनी पड़ीं। भारतीय वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के पार चीन की हवाई गतिविधियां बढ़ी हुई महसूस की थी। गत 12 दिसम्बर को पता चला था कि पिछले सप्ताह भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर संक्षिप्त झड़प हुई, जिसके बाद दोनों सेनाएं पीछे हट गईं।
यह झड़प अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को हुई थी। सूत्रों के अनुसार, चीनी सेना ने एलएसी को पार कर लिया था, जिसका भारतीय जवानों ने सख्त और पुष्ट तरीके से विरोध किया।
दोनों सेनाओं के बीच सबसे बुरी झड़प जून, 2020 में गलवान घाटी में हुई थी, जब 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, और चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे या जख्मी हुए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच कई बार झड़पें हुईं, जिनमें पैंगोंग लेक के दक्षिणी तट पर हुई झड़प भी शामिल है। मिलिटरी कमांडरों के बीच कई बैठकों के बाद लद्दाख स्थित गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स समेत कई अहम ठिकानों से भारतीय और चीनी सेनाएं पीछे हटी थीं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, सीमा के अलग-अलग अनुमानों के चलते इस तरह की झड़पें दोनों देशों के बीच वर्ष 2006 से ही होती आ रही हैं। सेना के एक बयान में कहा गया है कि 9 दिसंबर की झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं। इसके बाद दोनों पक्ष तुरंत क्षेत्र से हट गए। तवांग में हुए झड़प पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि भारतीय सेना ने बहादुरी से चीनी सैनिकों को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी केंद्र पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं। चीन के साथ झड़प पर संसद में रक्षामंत्री ने बयान देते हुए कहा कि हमारा कोई जवान शहीद नहीं हुआ, न गंभीर रूप से घायल हुआ। तवांग में हुए झड़प पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के 1 इंच जमीन पर कोई भी कब्जा नहीं कर सकता है। हमारे जवानों ने 8 की रात को और 9 की सुबह को जो वीरता दिखाई है, मैं इसकी प्रशंसा करता हूं। सेना ने कुछ ही देर में घुसे हुए सभी लोगों को भगा दिया और हमारी भूमि की रक्षा की।
सर्दी के मौसम में सेना की तैयारी थोड़ी बदल जाती है। हाड़ कंपा देने वाली बर्फीली ठंड में जंग लड़ने के हथियार भी काम नहीं करते, ऐसे में उसका मैनेजमेंट अलग तरह से करना पड़ता है। भारत और चीन की सेनाएं अब भी पूर्वी लद्दाख में आमने सामने हैं। यह लगातार तीसरी सर्दी है जब दोनों देशों ने भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती अग्रिम चौकियों पर कर रखी है। इस बीच, ठंड से पहले भारत और चीन दोनों तरफ से जंग के लिए तैयार रहने को लेकर बयान आए हैं। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सेना को अपनी तैयारी पीक लेवल पर रखनी चाहिए। उधर, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी से कहा है कि लड़ने और युद्ध जीतने की तैयारी रखे।
चीनी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ की गुस्ताखी चीन के इस्टर्न कमांड को हेड करने वाले जनरल के इशारे पर की। चीन के इस्टर्न थिएटर कमांड के कमांडर लिन जियानगयांग हैं। जियानगयांग चीनी सेना के उन अफसरों में से एक हैं, जिनका पिछले साल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक समारोह में जनरल के पद पर प्रमोशन किया था। तब वो सेंट्रल थिएटर कमांड को संभाल रहे थे। लिन जियानगयांग को इसी साल जनवरी में चीनी सरकार ने ईस्टर्न कमांड का कमांडर बनाया गया। साल 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पीएलए ने कई बार थिएटर कमांड के कमांडर बदले हैं। ईस्टर्न थिएटर कमांड में पूर्वी चीन, पूर्वी चीन सागर और ताइवान का इलाका आता है। भारत के लिहाज से जिस तवांग इलाके में झड़प हुई वो इसी क्षेत्र में आता है। हालांकि चीन ने ईस्टर्न थिएटर के जिस याग्त्से इलाके से भारत में दाखिल होने की कोशिश की थी, वहां भारत मजबूत स्थिति में है। दरअसल, ये इलाका 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है।इस बीच तवांग में हुई झड़प के बाद हालात की समीक्षा के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आपात बैठक बुलाई। बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी मौजूद थे। दोनों मंत्रियों के साथ-साथ सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख और कई बड़े अधिकारी शामिल थे। (हिफी)