योगी सरकार का मनमाना रवैया लोकतंत्र की हत्या के समान : पांडेय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने बुधवार को कहा कि सड़क से सदन तक सरकार का मनमाना रवैया लोकतंत्र की हत्या के समान है।
डॉ पाण्डेय ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैनपुरी लोकसभा और रामपुर, खतौली विधानसभा तीनों क्षेत्रों के हुए उपचुनाव में लोकतंत्र की हत्या हुई है। रामपुर में जो हुआ वह तो अन्याय की पराकाष्ठा है। पुलिस ने लोगों को मताधिकार से न केवल वंचित किया बल्कि जाति-धर्म देखकर लोगों को मारा पीटा भी, जिससे बड़ी संख्या में लोग घायल हुए है। बड़ी संख्या में लोगों को मतदान केन्द्रों से डरा धमकाकर वापस घर भेज दिया गया। जिसके चलते रामपुर उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत बहुमत कम रहा। उन्होंने निर्वाचन आयोग समेत सभी संवैधानिक संस्थाओं से मांग की है कि रामपुर के उपचुनाव की जांच कर निर्णय ले और लोकतंत्र को बचाने का काम करें।
उन्होने कहा कि सरकार ने कैबिनेट के फैसले से तीन दिन के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया था। विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में भी पांच, छह व सात दिसम्बर को सत्र चलने की स्वीकृति हुई थी। लेकिन सरकार ने दूसरे दिन ही अचानक सदन स्थगित कर दिया। सदन में जनसमस्याओं और जनता के मुद्दों पर चर्चा होनी थी। सदस्यों के द्वारा तमाम प्रश्न लाये गए थे। यह सरकार हर विषय पर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। संविधान नहीं मान रही है। सरकार चाहती है कि सदन न चलाना पड़े। इस विधानसभा के गठन के नौ महीने हो गए। अभी तक विधानसभा की समितियों का गठन नहीं हुआ है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण लोक लेखा समिति होती है, जिसका कार्य सरकारी महकमों के खर्चों का लेखा जोखा जांचना होता है।
डॉ पाण्डेय ने कहा कि भाजपा सरकार का संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतने समय तक कमेटी का गठन नही हुआ। लोकतंत्र के सबसे बड़े अधिकार मतदान से लोगों को वंचित किया गया। निष्पक्ष चुनाव की मांग पर लोगों को लाठी डंडे से पीटा गया।
उन्होने कहा कि कानपुर के विधायक इरफ़ान सोलंकी, जो चार बार से विधायक हैं, उन्हें एक फर्जी घटना में फंसाया जाता है। उस मामले में एक महिला और कानपुर विकास प्राधिकरण का विवाद चल रहा था उस मामले में इरफ़ान सोलंकी और उनके भाई को फंसा दिया जाता है। सीसीटीवी में भी देखा गया कि घटना के समय इरफान सोलंकी या उनके परिवार का कोई भी सदस्य घटनास्थल पर मौजूद नही था। दबिश के नाम पर इरफ़ान की पत्नी और उनके बच्चों को परेशान किया गया। उन लोगों को अपमानित किया गया।
प्रदीप