और जब आंदोलनजीवी बताने पर आया भाकियू सुप्रीमो में उबाल
बागपत। किसानों को जमाती और आंदोलनजीवी बताए जाने पर उबाल खाये भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने पद की गरिमा के अनुरूप ही शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। किसान सरकार की भाषा को साफ-साफ समझ रहे हैं। पीएम ने किसानों को जमाती और आंदोलनजीवी बताकर उनका अपमान किया है। नये कृषि कानूनों की वापसी होने तक किसान किसी भी कीमत पर राजधानी से अपने घर नहीं लौटेंगे।
जनपद के कस्बा दोघट में राजेंद्र चौधरी के आवास पर आयोजित की गई किसान पंचायत में शामिल होने के लिए पहुंचे भाकियू सुप्रीमों चौधरी नरेश टिकैत ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री किसी एक व्यक्ति या दल का नहीं बल्कि समूचे देश का होता है। लेकिन दुर्भाग्य से पीएम ने किसानों को जमाती और आंदोलनजीवी बताकर उनका अपमान किया है। प्रधानमंत्री द्वारा बोले जा रहे शब्दों से ही साफ-साफ पता चल रहा है कि उनकी किसानों के साथ कितनी हमदर्दी है। सरकार किसानों के हित के बारे में कतई नहीं सोचती है। प्रधानमंत्री के मन की बात और किसानों की आय को दोगुना करने जैसे वचनों को देश की जनता के साथ किसान भी अच्छी तरह से समझ चुका है। उन्होंने कहा कि किसान के पास शांति का हथियार हैं और वह सदा शांति चाहते हुए अपने काम में लगा रहता है। लेकिन सरकार नये कृषि कानून लाकर किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है।
उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से यह बयान बार-बार जारी किया जाता है कि वह किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। लेकिन जब बात करने की बारी आती है तो वह अपने पांव पीछे खींच लेती है। किसान बात करने के लिए ही तो जाड़े-पाले और सांस थमाती बरसात की मार सहते हुए धरने पर बैठे हैं। सरकार को अब यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि पिछले लगभग 3 माह से आंदोलन पर उतरे किसान अब किसी भी कीमत पर धरने से उसी समय उठेंगे, जब सरकार द्वारा नये कृषि कानून वापस लेकर एमएसपी पर कानून बना दिया जाएगा और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। इससे पहले किसान घर वापस नहीं लौटेंगे।