बिखर रहा अखिलेश का कुनबा
लखनऊ। सच कहें तो उत्तर प्रदेश में जब विधानसभा के चुनाव (2022) हो रहे थे और समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो गयी थीं, तभी मुलायम परिवार के बिखरने की शुरुआत हो गयी थी। अपर्णा का झुकाव पहले से भाजपा की तरफ था लेकिन अखिलेश यादव ने जिस तरह ओमप्रकाश राजभर और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के जयंत चौधरी के साथ गठबंधन करके अपने चाचा शिवपाल यादव को भी साथ-साथ चुनाव लड़ने के लिए राजी कर लिया था, उससे उम्मीद जगी थी कि यादव परिवार एकजुट हो गया। अखिलेश यादव ने मजबूत कुनबा बना लिया था। भाजपा और योगी आदित्यनाथ की प्रचंड आंधी के सामने भी 125 विधायक जुटा लेना मामूली बात नहीं कही जाएगी। अखिलेश यादव अगर इसे संभाल कर रखते, तब भी भाजपा को अगले साल होने वाले आम चुनाव में टक्कर दे सकते थे लेकिन स्वार्थ की राजनीति गठबंधनों को बिखेरती रहती है। यूपी में अखिलेश यादव के साथ भी यही हो रहा है। उनके चाचा शिवपाल यादव ने राष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे दिया। इसके लिए उनका बहाना भी बड़ा दिलचस्प है। इसी प्रकार सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में समर्थन दिया है। समाजवादी पार्टी ने विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का वचन दिया। राजनीति का तकाजा तो यही है कि अखिलेश यादव भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करें क्योंकि जब विपक्षी गठबंधन बनाने की पहल करने वाली ममता बनर्जी स्वयं कहती हैं कि यदि उन्हें पता होता कि द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी होंगी तो वे मुर्मू का ही समर्थन करतीं। अखिलेश यादव को अगर अपना कुनबा बिखरने से बचाना है तो उन्हें अपने पिता के धोपी पाट दांव का सहारा लेना होगा। वैसे भाजपा ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाकर विपक्षी एकता को चरमरा दिया है।
समाजवादी पार्टी के टिकट से विधायक बने शिवपाल यादव ने स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में एनडीए की प्रतिनिधि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेंगे। सपा से अलग द्रौपदी मुर्मू जो एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं, उन्हें समर्थन देने के सवाल पर शिवपाल ने कहा कि उनकी पार्टी ने कभी उन्हें बैठक में नहीं बुलाया, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए वोट नहीं मांगा। उन्होंने कहा कि एनडीए ने उन्हें खाने पर आमंत्रित किया और द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट मांगा, तो उन्होंने द्रोपदी मुर्मू को समर्थन देने की हामी भर दी। इस प्रकार शिवपाल और अखिलेश के बीच में फिर दूरियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं। कई मौकों पर अखिलेश पर निशाना साधने वाले शिवपाल अब अपने भतीजे की पार्टी के खिलाफ पार्षद पद के उम्मीदवार उतारेंगे। चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश में कभी सुलह होती है, तो कभी दूरियां बढ़ने लगती है। अखिलेश ने जब नेताओं की बैठकें रखी, तब शिवपाल यादव को उस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। इस बात पर शिवपाल यादव अपने भतीजे से खफा हो गए थे। हाल के समय में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा में अखिलेश और शिवपाल की मौजूदगी में चाचा और भतीजे के बीच तनातनी पर चुटकियां ली थीं। इसी बीच खबर है कि प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी उत्तरप्रदेश में होने वाले नगर निकाय और महापौर चुनाव में अखिलेश यादव की सपा से अलग और सपा के खिलाफ लड़ सकती है। दरअसल, विधानसभा चुनाव जीतकर आने के बाद शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की अपेक्षा की वजह से ही वह जल्द ही अपनी पार्टी के संगठन को पूरे प्रदेश में सक्रिय करेंगे और उत्तरप्रदेश में होने वाले नगर निकायों और महापौर के चुनाव में मैदान में उतरेंगे। शिवपाल ने कहा कि अखिलेश की बातों में आकर समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत भी गए लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस है कि उन्हें अखिलेश ने विधानसभा चुनाव में कोई जिम्मेदारी नहीं दी। साथ ही उन्होंने शिवपाल को पार्टी की किसी भी बैठक में नहीं बुलाया। शिवपाल यादव ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनको मनाने घर पर आए थे। इस दौरान साथ ही चुनाव लड़ने एवं भविष्य में सम्मान देने की बात कही थी और उनको राजी किया था।
सुहेलेदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की नाराजगी भी विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी पड़ेगी। सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर ने अपने पत्ते खोलते हुए कहा कि वह और उनकी पार्टी राष्ट्रपति चुनावों में राजग की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेंगे। बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर वोटिंग होगी और उससे पहले सपा गठबंधन में शमिल सुभासपा का राजग उम्मीदवार का समर्थन करना विपक्ष को भारी पड़ सकता है।एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए राजभर ने अखिलेश यादव पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को हमारी कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि, समाजवादी पार्टी के नेता को हमारी जरूरत नहीं है। प्रेस वार्ता में जयंत चौधरी को बुला लेते हैं, लेकिन ओपी राजभर को न बुलाना। राज्यसभा चुनाव आया तो राज्यसभा जयंत चौधरी को दे देना, हमें न पूछना। उनकी तरफ से लगातार नजरअंदाज करने वाली चीजें हो रही हैं। राष्ट्रपति चुनावों में किसके समर्थन के सवाल को लेकर उन्होंने बताया कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे बुलाकर कहा कि आप पिछड़े, दलित, वंचित की लड़ाई लड़ते हैं। आप द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करें। मैंने उनसे मुलाकात की जिसके बाद गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हुई। उनसे बात होने के बाद हमने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि वो अभी भी अखिलेश के साथ हैं और गठबंधन में जब तक वो हैं तब तक हम रहेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि वो अखिलेश के साथ वोट देने के लिए तैयार थे लेकिन उनकी तरफ से लगातार की जा रही नजरअंदाजी गलत थी और इसी लिए वे और उनके 6 विधायक राजग की उम्मीदवार को वोट करेंगे।उत्तर प्रदेश में 2022 का विधानसभा चुनाव सुभासपा और सपा ने एक साथ मिलकर लड़ा था। सुभासपा ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था और छह पर जीत हासिल की थी। इससे पहले, 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ थी और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद सत्ता में शामिल भी हुई थी लेकिन बाद में पार्टी सरकार से अलग हो गयी थी। ओपी राजभर इकलौते ऐसे नहीं है जिन्होंने ऐसा ऐलान किया है। बहुत सी ऐसी पार्टियां हैं, जिन्होंने राज्यों में चुनाव तो भाजपा के खिलाफ लड़ा है लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव में उसके उम्मीदवार को वोट दे रही हैं। यूपी से ऐसी पार्टियों की फेहरिस्त काफी लंबी है। ओपी राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव ने भी ऐसा ही ऐलान किया है। इसके अलावा, मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी द्रौपदी मुर्मू को ही वोट करेगी। प्रतापगढ़ की कुण्डा सीट से विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भैया ने भी एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया है। उनके दो विधायक हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)