अयोध्या में चंदा घोटाले के बाद अब हडपी जा रही जमीन-प्रियंका
नई दिल्ली। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार के ऊपर करारा हमला बोलते हुए कहा है कि देश के भीतर महिलाओं के विश्वास को बेच दिया गया है। महिलाओं के साथ धोखा करते हुए उन्हें उनके हक नहीं दिए जा रहे हैं। अयोध्या में दलितों की जमीन हड़प ली गई है। एक तरह से राम के नाम पर लूट मचाई जा रही है। उन्होंने अयोध्या में हुए जमीन घोटाला मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग उठाई है।
बृहस्पतिवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित की गई प्रेसवार्ता में मीडिया कर्मियों के साथ बातचीत करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के ऊपर करारा हमला बोलते हुए कि देश में लगभग हर घर की ओर से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए राम मंदिर ट्रस्ट को कुछ ना कुछ जरूर दान किया गया है। घर घर जाकर चंदा इकट्ठा करने के लिए प्रचार भी किया गया। यह भक्ति की बात है, लेकिन दुखद यह है कि इसके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। दलितों की जमीन के टुकड़े जिन्हे खरीदा नहीं जा सकता था, उन्हें हड़प लिया गया है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि जमीन के कुछ टुकड़े कम मूल्य के थे, लेकिन ट्रस्ट को कम दामों में खरीदकर अधिक कीमत पर बेचा गया। इसका मतलब यह हुआ है कि चंदे के जरिए जो पैसा देशवासियों से इकट्ठा किया गया है, उसमें जमीन खरीद के नाम पर घोटाला किया जा रहा है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि एक तरह से राम के नाम पर देश के भीतर लूट मचाई की जा रही है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने अयोध्या में जमीन घोटाले की जांच जिला स्तर के अधिकारी को दिए जाने पर सवाल उठाते हुए इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग उठाई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाते हुए कहा है कि 10000 वर्ग मीटर की जमीन 8 करोड़ रुपए में राम मंदिर ट्रस्ट को बेची गई। फिर उसी जमीन का दूसरा हिस्सा जो 12000 वर्ग मीटर का था, उसे 2 करोड रुपए में किसी रवि मोहन तिवारी को बेचा गया, जब यह जमीन 19 मिनट बाद बेची गई तो रवि मोहन तिवारी ने उसी 2 करोड रुपए की जमीन को राम मंदिर ट्रस्ट को 18.5 करोड रुपए में बेच दिया। क्या यह घोटाला नहीं है? क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है?