65 साल बाद यूपी की विधानसभा में निर्दलीय विधायकों की संख्या (0) जीरो

65 साल बाद यूपी की विधानसभा में निर्दलीय विधायकों की संख्या (0) जीरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब तक 18 बार विधानसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। हर बार निर्दलीय विधायकों की संख्या कभी ज्यादा तो कभी कम रही है लेकिन दो बार यूपी की विधानसभा में निर्दलीयों की संख्या जीरो रह चुकी है। पढ़िए खोजी न्यूज़ की खबर.......

गौरतलब है कि 1947 में देश की आजादी के बाद 1952 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा के पहली बार चुनाव हुए तो इस चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की थी। इस चुनाव में जहां कांग्रेस 393 सीट जीतकर सरकार में आई थी तो वही कांग्रेस के सामने निर्दलीय विधायकों के रूप में 16 विधायक जीत कर अन्य राजनीतिक दलों के मुकाबले दूसरे नंबर पर थे। इस चुनाव में कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर निर्दलीय विधायक ही जीते थे जबकि अन्य राजनीतिक दल के विधायकों की संख्या निर्दलीय विधायकों से कम थी।

इसके बाद 1957 में दूसरी बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए। पहले चुनाव में जहां निर्दलीय विधायक दूसरे नंबर पर रहे थे तो वहीं 1957 के इस चुनाव में निर्दलीय विधायकों की संख्या 0 रह गई थी। तब 440 सदस्य वाली यूपी विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को 293 , प्रजा सोशलिस्ट को 47, एलपीएलपी को 41, सोशलिस्ट पार्टी को 25, भारतीय जनसंघ को 17, स्वतंत्र पार्टी को 9 तथा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 7 सीटें मिली थी। जबकि निर्दलीयों की संख्या ज़ीरो रही थी।

इसके बाद 15 बार यूपी में विधानसभा के चुनाव संपन्न होते रहे और निर्दलीय विधायकों की संख्या कभी ज्यादा तो कभी कम होती रही। मगर 2022 के विधानसभा चुनाव का जब बिगुल बजा और 10 मार्च को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आना शुरू हुआ तो इस बार भी निर्दलीय विधायकों की संख्या 0 रह गई। यूपी के विधानसभा चुनाव के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है । जब निर्दलीय विधायकों की संख्या उत्तर प्रदेश की विधानसभा में जीरो है। इस विधानसभा चुनाव में जहां 255 सीटें जीतकर भाजपा ने सरकार बनाई है तो वहीं समाजवादी पार्टी को 111, अपना दल सोनेलाल 12, राष्ट्रीय लोकदल 8, निषाद पार्टी के 6 , सुहेलदेव समाज पार्टी 6, कांग्रेस 2, राजा भैया की जनसत्ता दल दो व बसपा की एक सीट शामिल हैं।

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