कांग्रेस के लिए नसीहत
नई दिल्ली। कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर सदन में खूब गुबार निकाला। उन्होंने कहा, मैंने बजट को खूब टटोला, लेकिन मेरे विधानसभा क्षेत्र के लिए पूरे बजट में एक भी सड़क नहीं निकली। बजट में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका क्षेत्रों के लिए सड़कों की घोषणा की गई है, लेकिन मेरे विधानसभा क्षेत्र में ये तीनों ही नहीं हैं।
लगभग चालीस साल तक भारत की सत्ता संभालने वाली कांग्रेस को आज अगर पतन के दिन देखने पड़े हैं, तो इसके लिए उसकी सोच में आया बदलाव जिम्मेवार है। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष का बराबर महत्व होता है क्योंकि विधायक हों अथवा सांसद, उन्हें लोकतंत्र की मौलिक इकाई अर्थात जनता अपना प्रतिनिधि चुनकर संसद और विधानसभा में भेजती है। यह कांग्रेस ने आजादी के बाद साबित भी किया। पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में जब पहली केन्द्रीय सरकार बनी तब विपक्षी दल जनसंघ के नेता डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को मंत्री बनाया गया था। कांग्रेस ने अपनी इस
संस्कृति को भुला दिया जिसका नतीजा है कि आज उसे पर्याप्त सांसद न होने के चलते मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी नहीं मिल पाया है। इसके बावजूद कांग्रेस के नेता अपने में सुधार लाने को तैयार नहीं है। विपक्ष के सदस्यों की तो बात ही दीगर है, अपने ही दल के अलग विचार रखने वाले विधायकों के साथ भेदभाव करते हैं। उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्य रोकते हैं। राजनीतिक प्रतिशोध की यह पराकाष्ठा मानी जाएगी। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। सरकार बनाते समय ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट सीएम पद के लिए भिड़ गये थे। अशोक गहलोत सफल रहे। सचिन पायलट ने कुछ महीने पहले बगावत की थी लेकिन समझौता हो गया। पायलट और उनके समर्थकों के साथ सीएम का भेदभाव कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकती है। गहलोत इस बात को नहीं समझ रहे हैं।
राजस्थान विधानसभा में अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान सचिन पायलट खेमे के कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चैधरी का दर्द और गुस्सा छलक पड़ा। सड़क एवं पुल की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान हेमाराम चौधरी ने अपनी ही गहलोत सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई। हेमाराम चैधरी ने यहां तक कह दिया कि दुश्मनी मेरे से है तो मुझे सजा दो। आखिर गुड़ामालानी क्षेत्र की जनता ने क्या गुनाह किया है? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इसका जवाब देना चाहिए।
प्रदेश में तीन सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं। इसके लिए बिसात बिछ चुकी है। कांग्रेस इस रण में पूरी मजबूती के साथ उतरने को तैयार है। विधानसभा का सत्र 19 मार्च को खत्म हो गया। अब पार्टी अपनी पूरी ताकत उपचुनाव में झोंकेगी। इससे पहले कांग्रेस अपने प्रभारियों और पर्यवेक्षकों के जरिये उपचुनाव वाले क्षेत्रों में जनता की नब्ज टटोलने में जुटी है। हेमाराम चौधरी बाड़मेर के गुड़ामालानी से विधायक हैं। राजस्घ्थान में गत वर्ष आए सियासी संकट के दौरान वह पायलट खेमे में शामिल थे। हेमाराम चौधरी ने कहा कि बाड़मेर जिले में घटिया सड़कें बनी हैं। उनमें करोड़ों रुपये का घपला हुआ है। उन्होंने इसकी जांच सीबीआई से करवाने की भी मांग कर डाली। उन्होंने कहा कि एक सड़क के निर्माण में 2 से ढाई करोड़ रुपए का घपला हुआ है।
कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि दबाव में नहीं आने वाले एक्सईएन को सिंगल ऑर्डर से हटा दिया गया और दूसरे एक्सईएन को सिंगल ऑर्डर से ही लगा दिया गया। हेमाराम चौधरी ने कहा कि मेरे क्षेत्र में ठेकेदारों द्वारा एक्सईएन को धमकाया जा रहा है। मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक्सईएन को 1 घंटे में ही बोरिया बिस्तर बांधने पड़ जाते हैं तो ऐसे में मैं क्या करूं और कहां जाऊं। हेमाराम चौधरी ने यह भी कहा कि मेरे बोलने से कुछ भी होने वाला नहीं है, लेकिन विधानसभा में मैं कम से कम अपनी बात तो रख ही सकता हूं। हेमाराम चौधरी ने यह भी कहा कि एक जगह गुड़ामालानी का नाम चालाकी से डाल दिया गया, लेकिन गुड़ामालानी का उससे कोई वास्ता ही नहीं है। लोग आखिर केवल नाम से राजी होंगे या सड़क बनने से उन्हें खुशी मिलेगी। वहीं हेमाराम चैधरी ने यह भी कहा कि न पिछले साल के बजट में एक भी गांव को सड़क से जोड़ा गया और न ही इस साल के बजट में एक भी गांव को सड़क से जोड़ने की बात कही गई है। अगर ऐसा ही रहा तो क्या गांव पूरी जिंदगी बिना सड़कों के ही रहेंगे?
इस प्रकार कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर सदन में खूब गुबार निकाला। उन्होंने कहा, मैंने बजट को खूब टटोला, लेकिन मेरे विधानसभा क्षेत्र के लिए पूरे बजट में एक भी सड़क नहीं निकली। बजट में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका क्षेत्रों के लिए सड़कों की घोषणा की गई है, लेकिन मेरे विधानसभा क्षेत्र में ये तीनों ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कुछ हमारे क्षेत्र का भी ख्याल कर लीजिए। दुश्मनी अगर मुझसे है तो मेरे से ही निकालिए, गुड़ामालानी क्षेत्र की जनता ने तो कोई गलती नहीं की है।
प्रदेश में तीन सीटों पर उपचुनाव के लिए बिसात बिछ चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान आखिरी वक्त में ही करेगी और 30 मार्च को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख है। कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम 28 या 29 मार्च को घोषित किए जा सकते हैं। इसके पीछे की वजह बगावत को थामने की कांग्रेस की रणनीति बताई जा रही है। पार्टी उपचुनाव में किसान आन्दोलन को भुनाने का प्रयास भी करेगी।
पीसीसी चीफ का कहना है कि किसानों के साथ केन्द्र सरकार द्वारा अत्याचार किया जा रहा है। इससे उनके अंदर जो ज्वाला धधक रही है उसमें बीजेपी के सपने राख हो जाएंगे। वहीं कांग्रेस राज्य सरकार के दो साल के विकास कार्यों को लेकर भी जनता के बीच जाएगी। इसके साथ ही कोरोना काल में राज्य सरकार द्वारा किए गए बेहतर प्रबंधन को भी पार्टी चुनाव में मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा का कहना है कि उपचुनाव में जाने के लिए बीजेपी के पास मुद्दे नहीं है। इसके साथ ही विपक्ष में गुटबाजी भी हावी है लेकिन हकीकत ये भी है कि कांग्रेस खुद भी कमोबेश इन्हीं मुश्किलों से जूझ रही है। प्रत्याशियों के टिकट तय करना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। वहीं, उपचुनाव से पहले पार्टी को एकजुटता भी साबित करनी होगी। हाल ही में कांग्रेस विधायकों ने एससी-एसटी के साथ भेदभाव के जो आरोप लगाए हैं वे भी उपचुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। हेमाराम चौधरी का आरोप तो विपक्ष के लिए मजबूत हथियार साबित हो सकता है। (हिफी)